Brahma Temples: ब्रह्मा मंदिर केवल राजस्थान में ही नहीं बल्कि भारत में भी है। जहां ब्रह्मा देव की पूजा की जाती है। तो आइए जानते हैं भारत के इन खूबसूरत मंदिरों के बारे में..
पुष्कर में ब्रह्मा को समर्पित मंदिर दुनिया का सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, लेकिन ये निश्चित रूप से भारत का एकमात्र ब्रह्मा मंदिर नहीं है। हालांकि, ये ब्रह्मा को समर्पित सबसे पुराना मंदिर है। ऐसा कहा जाता है कि ब्रह्मा अन्य देवताओं की तुलना में काफी उदार थे, उन्होंने अपने आशीर्वाद के नतीजों पर बिना कोई विचार किए भक्तों को वरदान दिया है। कहा जाता है कि उन्होंने हिरण्यकश्यप और महिषासुर से लेकर रावण तक को आशीर्वाद दिया था, जिसकी वजह से उन्हें और कई देवताओं को नकारात्मक परिणाम सहने पड़े थे। आइए जानते हैं ब्रह्मा के 5 खूबसूरत मंदिरों के बारे में..
राजस्थान के अजमेर जिले में पुष्कर झील के पास स्थित ब्रह्मा मंदिर भारत में सबसे अधिक देखे जाने वाले ब्रह्मा मंदिरों में से एक है। मंदिर के दर्शन करने के लिए यात्री सबसे ज्यादा कार्तिक पूर्णिमा के दिन इस मंदिर में लाखों लोग आते हैं। जहां वे झील में डुबकी लगाते हैं और देवताओ की पूजा करते हैं। इस मंदिर को काफी खूबसूरत तरीके से बनाया गया है। इस मंदिर में एक मोर पंख भी हैं। जो बेहद सुदंर लगता है।
असोत्रा मंदिर राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित है। यह एक और मंदिर है जो मुख्य रूप से ब्रह्मा को समर्पित है। इस मंदिर को गांव के राजपुरोहितों द्वारा स्थापित किया गया था, जिसका निर्माण जैसलमेर और जोधपुर के पत्थरों से किया गया है। हालांकि, देवता की मूर्ति संगमरमर से बनी है। इस मंदिर में रोजाना 200 किलो से अधिक अनाज पक्षियों को खिलाया जाता है।
ब्रह्मपुरीश्वर मंदिर त्रिची के पास थिरुपत्तूर में स्थित एक मंदिर है। भक्तों का मानना है कि श्री ब्रह्मपुरीश्वर मंदिर, तिरुपत्तूर में भगवान ब्रह्मा का आशीर्वाद प्राप्त करके व्यक्ति अपना भाग्य बदल सकता है। पौराणिक कथाओं मे कहा जाता है कि शिव की पत्नी पार्वती ने एक बार ब्रह्मा को शिव समझ लिया था। इससे शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने ब्रह्मा का एक सिर काट दिया और उनकी शक्तियां छीन ली गई। शिव से माफी मांगने के लिए ब्रह्मा तीर्थयात्रा के लिए निकल गए थे। यात्रा के दौरान ब्रह्मा देव थिरुपत्तूर पहुंचे, जहां उन्होंने 12 शिव लिंग स्थापित किए और वहां शिव की पूजा की। उनसे प्रभावित होकर शिव ने उन्हें श्राप से मुक्त किया और उनकी सभी शक्तियां उन्हें वापस लौटा दी। शिव ने उन्हें मंदिर में पूजने का भी वरदान दिया, तब से इस मंदिर में ब्रह्मा की पूजा की जाती है।
ब्रह्मा करमाली मंदिर वालपोई से लगभग सात किमी और पणजी से लगभग 60 किमी दूर स्थित है। हालांकि यह मंदिर उतना पुराना नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह मूर्ति लगभग 11वीं शताब्दी की है। ब्रह्मा को समर्पित ये गोवा का एकमात्र मंदिर है। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर में रखी गई ब्रह्मा की काली पत्थर की मूर्ति को 20 वीं शताब्दी में गोवा के कैरम्बोलिम में लाया गया था।
आदि ब्रह्मा मंदिर भुंतर से लगभग 5 किमी और कुल्लू शहर से 10 किमी दूर खोखन गांव में एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। यह कुल्लू घाटी और ब्यास नदी का शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है। भुंतर और कुल्लू शहर और अन्य आस-पास के स्थानों से सड़क मार्ग द्वारा मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। ऐसा कहा जाता है कि, मंदिर की पूजा मंडी और कुल्लू दोनों जिलों के लोगों द्वारा की जाती थी। हालांकि, जैसे ही दो राज्य विभाजित हुए, मंडी में दूसरी तरफ एक प्रतिकृति बनाई गई, जहां भक्तों को उस मंदिर में जाने के लिए मजबूर होना पड़ा, जो राज्य की सीमाओं के भीतर था। बौद्ध प्रभाव होने की वजह से इस मंदिर का आदि रखा गया।
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Published on:
01 Dec 2024 06:02 pm