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प्रेरणादायक वीडियो देखने से तनाव उतना ही घट सकता है जितना ध्यान करने से

जिन लोगों ने प्रेरणादायक वीडियो देखे या ध्यान किया, उनमें उम्मीद की भावना बढ़ी और उनका तनाव कम हुआ। यह प्रभाव तुरंत नहीं गया, बल्कि 10 दिन बाद भी सकारात्मक असर देखा गया। जबकि कॉमेडी या बेवजह स्क्रॉल करने से ऐसा नहीं हुआ।

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जयपुर। आज के समय में तनाव हर जगह मौजूद है—डेडलाइन, ट्रैफिक और मोबाइल नोटिफिकेशन तक में। ज़्यादातर लोगों के लिए सुकून ऐसा लगता है जैसे कोई लंबा वीकेंड जो कभी आता ही नहीं।

लेकिन अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन (APA) के एक नए अध्ययन ने इसका आसान समाधान बताया है—थोड़े समय तक प्रेरणादायक वीडियो देखना भी ध्यान (मेडिटेशन) जितना तनाव कम कर सकता है।


प्रेरणादायक वीडियो से तनाव में कमी

कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी, सांता बारबरा की डॉ. रॉबिन नबी कहती हैं, APA के “स्ट्रेस इन अमेरिका” सर्वे के अनुसार लोगों में चिंता लगातार बढ़ रही है। खासकर 18 से 44 वर्ष की उम्र के लोग हर दिन भारी तनाव महसूस कर रहे हैं।
कारण—काम का दबाव, दुनिया की घटनाएं, और जीवन की अनिश्चितता। व्यायाम या ध्यान जैसी राहत देने वाली चीज़ें मददगार हैं, लेकिन हर किसी के पास समय या ऊर्जा नहीं होती।


सकारात्मक मीडिया से सकारात्मक मन

यह शोध Psychology of Popular Media नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसमें उस धारणा को चुनौती दी गई है कि स्क्रीन का उपयोग हमेशा मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।

डॉ. नबी के अनुसार,

यानी, स्क्रीन नहीं बल्कि कंटेंट का चुनाव मायने रखता है। किसी के साहस या दया को दिखाने वाला छोटा वीडियो भी मनोबल को तुरंत बढ़ा सकता है।


प्रयोग में साबित हुआ असर

नबी और उनकी टीम ने अमेरिका में 1000 से अधिक वयस्कों पर चार हफ्ते का ऑनलाइन प्रयोग किया। यह समय थैंक्सगिविंग से क्रिसमस के बीच था—जब लोग सामान्यतः ज्यादा व्यस्त और थके रहते हैं।

प्रतिभागियों को पांच समूहों में बांटा गया—


  1. पहले समूह ने रोज़ 5 मिनट प्रेरणादायक वीडियो देखे,




  2. दूसरे ने कॉमेडी वीडियो,




  3. तीसरे ने गाइडेड मेडिटेशन किया,




  4. चौथा अपने फोन पर मनमाने तरीके से स्क्रॉल करता रहा,




  5. पाँचवें समूह को कोई निर्देश नहीं दिए गए।

हर सत्र के बाद सबने बताया कि वे कैसा महसूस कर रहे हैं। फिर एक हफ्ते और दस दिन बाद दोबारा उनसे प्रतिक्रिया ली गई।


उम्मीद की ताकत

डॉ. नबी के अनुसार, जिन लोगों ने प्रेरणादायक वीडियो देखे या ध्यान किया, उनमें उम्मीद की भावना बढ़ी और उनका तनाव कम हुआ। यह प्रभाव तुरंत नहीं गया, बल्कि 10 दिन बाद भी सकारात्मक असर देखा गया। जबकि कॉमेडी या बेवजह स्क्रॉल करने से ऐसा नहीं हुआ।


मन को रीसेट करने का सरल तरीका

यह शोध दिखाता है कि जो लोग ध्यान नहीं कर पाते, वे भी केवल एक प्रेरणादायक क्लिप देखकर तनाव घटा सकते हैं। इसके लिए किसी खास उपकरण या तैयारी की ज़रूरत नहीं, बस एक इरादे की।


‘मीडिया प्रिस्क्रिप्शन’ — स्क्रीन को समझदारी से उपयोग करें

डॉ. नबी इसे “मीडिया प्रिस्क्रिप्शन” कहती हैं — यानी स्क्रीन से दूरी नहीं, बल्कि उसका सोच-समझकर इस्तेमाल। कुछ मिनटों का सकारात्मक मीडिया दिमाग को रीसेट कर सकता है — तेज़, आसान और सबके लिए सुलभ।

तनाव पूरी तरह से गायब नहीं होगा, लेकिन ऐसा कंटेंट चुनना जो उम्मीद जगाए, मन की बेचैनी को शांत कर सकता है।
शायद सुकून कहीं दूर नहीं — वह हमारी स्क्रीन पर ही है, बस ‘प्ले’ दबाने की देर है।

(यह अध्ययन Psychology of Popular Media जर्नल में प्रकाशित हुआ है।)