Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

खुशियों से बढ़ती है जीवन में संतुष्टि

खुशियां जीवन में संतुष्टि बढ़ाने में व्यायाम से ज्यादा असरदार साबित होती हैं। एक नए अध्ययन के मुताबिक जीवन से संतुष्टि सिर्फ शारीरिक सक्रियता से नहीं, बल्कि स्वास्थ्य में सुधार से आती है—खासकर मानसिक स्वास्थ्य से।

2 min read

जयपुर। खुशियां जीवन में संतुष्टि बढ़ाने में व्यायाम से ज्यादा असरदार साबित होती हैं। एक नए अध्ययन के मुताबिक जीवन से संतुष्टि सिर्फ शारीरिक सक्रियता से नहीं, बल्कि स्वास्थ्य में सुधार से आती है—खासकर मानसिक स्वास्थ्य से।

शेफील्ड हैलम यूनिवर्सिटी के स्टीव हेक और उनकी टीम ने ब्रिटेन में पार्करन (साप्ताहिक मुफ्त 5 किलोमीटर दौड़/वॉक कार्यक्रम) में भाग लेने वाले लोगों पर अध्ययन किया। इसमें दसियों हजार सर्वे प्रतिक्रियाओं और करीब दस लाख प्रतिभागियों के रिकॉर्ड को जोड़ा गया। नतीजे बताते हैं कि स्वास्थ्य, खुशी और उपलब्धि की भावना जीवन संतुष्टि के सबसे बड़े कारक हैं।

मानसिक स्वास्थ्य सबसे अहम

जीवन संतुष्टि कई चीज़ों से प्रभावित होती है—कुछ पर हमारा नियंत्रण नहीं होता जैसे व्यक्तित्व, लेकिन रिश्ते, आर्थिक चिंताएं और समुदाय जैसे पहलुओं को हम बदल सकते हैं। इनमें स्वास्थ्य सबसे ऊपर आता है।

अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों की सेहत शुरुआत में बहुत खराब थी, उनके जीवन में सुधार की गुंजाइश सबसे ज्यादा थी। जब उनकी सेहत बेहतर हुई, तो उनकी जीवन संतुष्टि भी सबसे अधिक बढ़ी।

खुशी, उपलब्धि और आनंद का महत्व

नतीजे दिखाते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य का प्रभाव शारीरिक फिटनेस या दौड़ की गति से भी ज्यादा है। इसमें लोगों का खुश रहना, मानसिक संतुलन महसूस करना, व्यक्तिगत उपलब्धि की भावना और सबसे बढ़कर—कार्यक्रम में आनंद लेना शामिल है।

यानी सामुदायिक स्तर पर ऐसा कार्यक्रम जो खुशी, गर्व और आनंद की भावना पैदा करे, वह जीवन संतुष्टि पर ज्यादा असर डाल सकता है।

अलग-अलग समूहों पर असर

अध्ययन में यह भी सामने आया कि उम्र और लिंग जैसे कारक भी मायने रखते हैं। जीवन संतुष्टि का स्तर उम्र के साथ "यू-आकार" में बदलता है—मध्य आयु में गिरावट और बाद में वृद्धि। बुजुर्ग और महिलाएं पार्करन में शामिल होने के बाद जीवन संतुष्टि में ज्यादा सुधार बताती हैं।

आर्थिक मूल्य भी बड़ा

शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि पार्करन ब्रिटेन को सालाना करीब 835 मिलियन डॉलर का लाभ देता है। इसमें रन/वॉक से सीधे 94 मिलियन डॉलर, अतिरिक्त शारीरिक गतिविधि से 165 मिलियन डॉलर और बेहतर स्वास्थ्य स्थिति से लगभग 579 मिलियन डॉलर शामिल हैं।

सिर्फ दौड़ना नहीं, मॉडल कई जगह लागू

शोध का संदेश यह है कि जीवन संतुष्टि बढ़ाने में मानसिक स्वास्थ्य सबसे बड़ी भूमिका निभाता है। खुशी, उपलब्धि और आनंद जैसे पहलू किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के लिए जरूरी हैं।

इसी मॉडल को सामुदायिक वॉकिंग ग्रुप, मुफ्त आउटडोर क्लास, कार्यस्थल गतिविधि कार्यक्रम या पुस्तकालय-आधारित सामुदायिक आयोजनों में भी अपनाया जा सकता है।

शोधकर्ताओं का कहना है—“पार्करन में भाग लेने वालों की जीवन संतुष्टि बढ़ती है। अब हमें यह भी पता चल गया है कि इसका असली कारण क्या है—स्वास्थ्य में सुधार, गतिविधि में बढ़ोतरी और भागीदारी से मिलने वाला आनंद।”

यह शोध PLOS Global Public Health जर्नल में प्रकाशित हुआ है।