
पत्रिका फाइल फोटो
सिरोही। फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाकर सरकारी नौकरी हासिल करने के प्रदेश में अब तक कई मामले सामने आ चुके हैं। गत दिनों एसओजी की ओर से एसएमएस मेडिकल कॉलेज में गठित बोर्ड की ओर से करवाई गई जांच में 43 संदिग्धों में से 37 सरकारी कर्मचारियों के दिव्यांग प्रमाणपत्र संदिग्ध पाए गए थे, जो प्रदेश के 9 सीएमएचओ की ओर से जारी किए थे। यहां सिरोही सीएमएचओ कार्यालय में गत 6 साल से चल रही फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने की फैक्ट्री ने सभी को चौका दिया है।
चिकित्सा विभाग की ओर से गठित टीम की जांच में तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. राजेश कुमार के कार्यकाल में गत 6 साल में जारी किए गए 5177 दिव्यांग सर्टिफिकेट संदिग्ध पाए हैं। इनमें कई प्रमाणपत्र फर्जी भी निकले हैं। ऐसे में अब एसओजी की जांच में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्रों से सरकारी नौकरी हासिल करने वालों की संख्या बढ़ सकती है। साथ ही बड़ी संख्या में लोगों के फर्जी तरीके से पेंशन लाभ लेने का मामला भी सामने आ सकता है।
उल्लेखनीय है कि जोधपुर निवासी देवेन्द्र सिंह ने तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. राजेश कुमार की ओर से बड़ी संख्या में फर्जी सर्टिफिकेट बनाने की जिला कलक्टर से शिकायत की। इसके बाद आबूरोड निवासी ताराचंद ने भी शिकायत की। साथ ही सिरोही जिले के आबूरोड निवासी एक पति ने अपनी ही पत्नी के फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवा कर अनुचित तरीके से सरकारी योजना का लाभ लेने की अधिकारियों से शिकायत की तो अधिकारी भी हैरान रह गए। जिला कलक्टर के आदेश पर वर्तमान सीएमएचओ डॉ. खराड़ी ने टीम गठित कर जांच करवाई तो सर्टिफिकेट संदिग्ध पाया गया। इसके बाद एक के बाद एक कई सर्टिफिकेट संदिग्ध पाए गए। जिस पर विभाग हरकत में आया।
सीएमएचओ सिरोही डॉ. दिनेश खराड़ी ने बताया कि प्रमाणपत्र संदिग्ध लगने पर महिला को मेडिकल जांच के लिए नोटिस दिया, लेकिन वह नहीं आई। अब गुरुवार को फिर से नोटिस जारी कर मेडिकल जांच के लिए सिरोही बुलाया है।
हालांकि सिरोही सीएमएचओ कार्यालय की ओर से कितने लोगों के फर्जी सर्टिफिकेट जारी किए गए, उनमें से कितने लोगों ने फर्जीवाड़े से सरकारी नौकरी हासिल की और कितने पेंशन उठाकर सरकार को चपत लगा रहे हैं यह तो एसओजी की जांच के बाद ही सामने आ सकेगा। फिलहाल मामला सामने आने के बाद चिकित्सा मंत्री ने एसओजी को जांच के लिए लिखा है। एसओजी की जांच के बाद ही फर्जीवाड़े की परतें खुलेगी।
-केन्द्र के पोर्टल पर पूर्व सीएमएचओ डॉ. सुशील परमार के डिजीटल सिग्नेचर से फाइलें अपलोड की गई है। जबकि वे उस अवधि में सिरोही में पदस्थ नहीं थे।
-चिकित्सक गिन्नी अग्रवाल के अलग-अलग विशेषज्ञ के रूप में कई प्रमाणपत्रों पर साइन हैं। जबकि इस नाम की कोई चिकित्सक जिले में नहीं बताई जा रही।
-केन्द्र व राज्य के पोर्टल पर समान आधार नंबर से अलग-अलग साइन से फाइलें अपलोड। ऐसे में डिजीटल क्लोनिंग का अंदेशा।
सिरोही के अलावा जयपुर, भरतपुर, जैसलमेर, जोधपुर, पाली, बाड़मेर, बांसवाड़ा और श्रीगंगानगर में संदिग्ध दिव्यांग प्रमाण बनाए जाने का मामला सामने आ चुका है।
17 थर्ड ग्रेड टीचर, 3 सैकण्ड ग्रेड टीचर, 4 सहायक प्राध्यापक, 2 स्टेनोग्राफर, 2 एएनएम (नर्स), 2 पशु चिकित्सक, 1 एएओ, 1 सूचना सहायक, 1 कनिष्ठ लेखाकार, 1 स्कूल व्याख्याता, 1 कनिष्ठ सहायक, 1 ग्राम विकास अधिकारी, 1 कृषि पर्यवेक्षक
पति ने पत्नी का दिव्यांग प्रमाण पत्र फर्जी होने की शिकायत की थी, जो जांच में संदिग्ध लगा। महिला को मेडिकल जांच के लिए पूर्व में नोटिस दिया था, लेकिन वह उपस्थित नहीं हुई। आज फिर से नोटिस जारी कर सिरोही बुलाया है।
-डॉ. दिनेश खराड़ी, सीएमएचओ, सिरोही
Published on:
31 Oct 2025 11:32 am
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