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डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा जिला अस्पताल, ट्रामा सेंटर भी बीमार

प्रबंधन बार-बार शासन को भेज रहा डिमांड, फिर भी नहीं हो रही सुनवाई

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सिवनी. जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। हालांकि सुविधाएं सीमित होने से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है। आलम यह है कि कई बार तो विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी की वजह से मरीजों की जान पर बन आ रही है। आए दिन मरीजों को जबलपुर, नागपुर रेफर कर दिया जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि शासन द्वारा पड़ोसी छिंदवाड़ा मेडिकल कॉलेज में सात आकस्मिक चिकित्सा अधिकारी की नियुक्ति की गई है, लेकिन सिवनी में एक भी नियुक्ति नहीं है। वहीं नेशनल हेल्थ मिशन से भी अधिकारियों की नियुक्ति न होने से स्वास्थ्य सुविधाएं प्रभावित हो रही हैं। जिला अस्पताल में वर्तमान में चार चिकित्सा विशेषज्ञ के पद स्वीकृत हैं जबकि दो पद रिक्त हैं। यहां चार शिशु रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति होनी थी, लेकिन तीन ही डॉक्टर कार्यरत हैं। इसके अलावा यहां एक निश्वेतना विशेषज्ञ, एक नेत्र रोग विशेषज्ञ, एक अस्थि रोग विशेषज्ञ, दो रेडियोलॉजिस्ट, एक नाक, कान, गला विशेषज्ञ, एक दंत रोग विशेषज्ञ, एक क्षय रोग विशेषज्ञ, 12 मेडिकल ऑफिसर, दो दंत शल्य चिकित्सक, एक आयुष चिकित्सक का पद रिक्त है।

ट्रामा सेंटर में स्थिति काफी खराब
जिला अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर (आघात केंद्र) में डॉक्टरों की स्थिति तो काफी खराब है। यहां एक चिकित्सा विशेषज्ञ, दो निश्चेतना विशेषज्ञ, दो अस्थि रोग विशेषज्ञ, दो सर्जिकल विशेष, छह चिकित्सा अधिकारी के पद स्वीकृत हैं, जबकि एक भी डॉक्टर कार्यरत नहीं है। यहां कुल स्वीकृत 13 पद रिक्त हैं। बता दें कि जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर में एक विशेष सुविधा रहती है जो गंभीर और जानलेवा चोटों, जैसे कि सडक़ दुर्घटना या गोली लगने से हुई चोटों का तुरंत और प्रभावी ढंग से इलाज करती है। इसमें जीवन-रक्षक उपकरण, अनुभवी विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम(जैसे ट्रॉमा सर्जन, न्यूरोसर्जन) और समर्पित स्टाफ चौबीसों घंटे उपलब्ध होता है ताकि मरीजों की जान बचाई जा सके और उनकी विकलांगता को कम किया जा सके।

मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल का भी शुरु नहीं हुआ काम
सिवनी में मेडिकल कॉलेज भले ही खुल गया है, लेकिन इलाज की सुविधा अब तक शुरु नहीं हुई है। मल्टीपेशलिटी हॉस्पिटल का कार्य ठंडे बस्ते में है। लगभग 9 माह पहले सिवनी मेडिकल कॉलेज के सेकंड फेज का काम शुरु होना था, लेकिन बजट के अभाव में रूक गया। परिणामस्वरूप लोगों को इजाल के लिए भटकना पड़ रहा है। बता दें कि सिवनी में मेडिकल कॉलेज खोलने को लेकर जनप्रतिनिधियों ने काफी प्रयास किया। वर्ष 2024 में 328 करोड़ की लागत से सिवनी में मेडिकल कॉलेज बन गया और पढ़ाई भी शुरु हो गई। हालांकि मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल की सुविधा अब तक नहीं मिल पाई है। जिलेवासियों को 800 बेड का आठ मंजिला अस्पताल का इंतजार है।

मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों से थोड़ी राहत
मेडिकल कॉलेज में पदस्थ डॉक्टरों से सिवनी जिला अस्पताल को थोड़ी राहत है। हफ्ते में तीन दिन डॉक्टर ओपीडी में और शेष तीन दिन सर्जरी कर रहे हैं। वहीं इंटर्नशिप कर रहे डॉक्टरों से भी मदद मिल रही है। हालांकि जिला अस्पताल में मरीजों के बढ़ते दबाव को दूर करने के लिए स्थाई नियुक्ति की दरकार है। जिससे कई समस्या दूर हो जाएगी और मरीजों को भटकना नहीं पड़ेगा।

इनका कहना है…
जिला अस्पताल में स्वीकृत पद के हिसाब से डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं है। इससे समस्या तो आती ही है। नेशनल हेल्थ मिशन के तहत आकस्मिक चिकित्सा अधिकारियों की नियुक्ति होनी है। शासन को डिमांड भेजा गया है। उम्मीद है कि जल्द ही नियुक्ति हो जाएगी।

डॉ. पुरुषोत्तम सूर्या, आरएमओ, जिला अस्पताल, सिवनी