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नरवाई जलाने से पर्यावरण होता है प्रदूषित, भूमि की गुणवत्ता पर पड़ता है प्रभाव

विभाग ने नरवाई प्रबंधन के लिए किसानों को दी सलाह, कलेक्टर ने की अपील

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सिवनी. वर्तमान में जिले के किसानों द्वारा खरीफ फसल की कटाई के उपरांत खेतों में शेष बचे फसल अवशेष (नरवाई) में आग लगाकर आगामी रबी फसल की तैयारी की जाती है, लेकिन इस प्रकार नरवाई में आग लगाने से जन-धन की हानि होती है एवं पर्यावरण भी प्रदूषित होता है। सहायक कृषि यंत्री सिवनी ने बताया कि इससे मिट्टी के सूक्ष्म तत्व एवं मित्र कीट नष्ट हो जाते हैं। जिससे भूमि की उर्वरकता और गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। शासन द्वारा नरवाई जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए सतत प्रयास किए जा रहे हैं। किसान नरवाई प्रबंधन हेतु उपलब्ध कृषि यंत्रों का उपयोग कर फसल अवशेष को खेत की मिट्टी में मिलाकर मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बढ़ा सकते हैं। साथ ही फसल अवशेष को संग्रहित कर पशु आहार, मशरूम उत्पादन, पैकेजिंग सामग्री तथा औद्योगिक उपयोग के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है। फसल अवशेष प्रबंधन के उपकरणों की खरीदी हेतु शासन द्वारा समय-समय पर ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं। किसान योजनाओं का लाभ लेकर आधुनिक कृषि उपकरणों का उपयोग करें और पर्यावरण संरक्षण में सहयोग दें। कलेक्टर शीतला पटले ने किसानों से अपील की है कि वे नरवाई में आग लगाने से परहेज करें एवं नरवाई प्रबंधन के वैकल्पिक उपाय अपनाकर न केवल अपनी भूमि की उर्वरकता बढ़ाएं बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी सहभागिता निभाएं।