सतना। आपके बच्चे जो खिलौने खेल रहे हैं, इन खिलौनों से एक धीमा जहर बच्चों के खून में जा रहा है.... दीवारों पर जो पेंट लगाया जा रहा है उसमें उपयोग किया गया लेड आपके बच्चों का साइलेंट किलर है। यह किलर मध्यप्रदेश में ज्यादा खतरनाक स्थिति में है। इन सबको देखते हुए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने बच्चों में उच्च रक्त सीसा स्तर के पर्यावरणीय स्रोतों की पहचान के लिए देशव्यापी अध्ययन शुरू किया है। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ चुने गए हैं। प्रदेश में सतना, ग्वालियर, उज्जैन, सागर, छिंदवाड़ा, श्योपुर, मंडला व नीमच के आठ जिलों में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों पर फोकस रहेगा। यह देश में पहली बार हो रहा ऐसा सर्वे है, जो सीसे के स्रोतों को उजागर कर नीतियां बनाने में मदद करेगा।
मध्यप्रदेश में स्थिति चिंताजनक
सीसा एक घातक पर्यावरणीय विषाक्त पदार्थ है, जो बच्चों के मस्तिष्क विकास को रोकता है, आईक्यू घटाता है तथा एडीएचडी जैसी समस्याएं पैदा करता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार रक्त में सीसे का सुरक्षित स्तर 5 माइक्रोग्राम/डीएल है, लेकिन भारत में औसत 8-10 माइक्रोग्राम/डीएल तक पहुंच गया है। मध्यप्रदेश में यह 8.32 माइक्रोग्राम/डीएल है, जो चिंताजनक है। देश में प्रतिवर्ष 2.3 लाख मौतें इस वजह से हो रही हैं और 27 करोड़ बच्चे प्रभावित हैं। आईसीएमआर अहमदाबाद ने 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों के रक्त के नमूने लेकर सीसे के स्तर की पहचान कर ली है। इनमें से 6 माइक्रोग्राम/डीएल से अधिक स्तर वाले 'हाई-रिस्क' बच्चों के पर्यावरण की जांच होगी जिसमें सीसे के स्रोत का पता लगाया जाएगा।
इस तरह लेंगे नमूने
चिन्हित किए गए बच्चों के यहां सर्वेक्षण दल पहुंच कर नमूना संग्रहण करेगा। इस दौरान पीने के पानी के नमूने (घरेलू और सामुदायिक स्रोत), मसाले (हल्दी, मिर्च, धनिया), खाद्यान्न (चावल, गेहूं), दूध के नमूने, दीवारों, दरवाजों एवं खिलौनों में पेंट की परत के नमूने, घरेलू धूल एवं आसपास की मिट्टी के नमूने, प्रसाधन सामग्री (काजल, सुरमा), बच्चों के प्रचलित उपयोग वाले खिलौने से पर्यावरणीय नमून लिए जाएंगे। बाद में इस अध्ययन के नतीजे 12 राज्यों में फैलेंगे। जिसके बाद सीसे से बचाव के लिए नीति निर्धारण और पर्यावरणीय सुरक्षा के नियामक कदम तय किए जाएंगे।।
सीएमएचओ को दिये गए निर्देश
अपर मिशन संचालक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने आठ जिलों के सीएमएचओ को निर्देश दिए हैं कि सर्वे टीम को सहयोग दें। आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर पहुंच नमूने इकट्ठा करने में मदद करेंगी और इसके लिए परिवारों को जागरुक करेंगी। यह सर्वे न केवल वास्तविक आंकड़े देगा, बल्कि लाखों बच्चों का भविष्य बचाएगा।
Published on:
14 Sept 2025 09:05 am
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