Yogi Adityanath Political Move: संभल की सियासत एक नया मोड़ ले चुकी है, जहां मस्जिद में सर्वे के बाद अन्य धार्मिक स्थलों पर भी सर्वे की मांग तेज़ हो गई है। जो हमारा है, वापस दो के नारे के बीच यह विवाद राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में आ गया है। क्या संभल, अयोध्या की तर्ज़ पर हिंदुत्व की नई प्रयोगशाला बनेगा? योगी आदित्यनाथ ने पुलिस अफसर के बयान का समर्थन कर बड़ा राजनीतिक संदेश दिया, जबकि 46 साल बाद यहां होली मनाए जाने से माहौल और गरमाया। 2027 के चुनावों में यह मामला कितना असर डालेगा? मुस्लिम वोट बैंक की चुनौती के बीच, क्या योगी की सियासी चाल सफल होगी?
उत्तर प्रदेश में दो साल बाद विधानसभा चुनाव हैं. राम मंदिर निर्माण के बाद अयोध्या का मुद्दा खत्म हो चुका है। राम मंदिर की तरह ही संभल के हरि मंदिर को बाबर के आदेश पर ढाहाया गया था। संभल में ही भगवान विष्णु के कल्की अवतार होने की मान्यता है यानी संभल में मंदिर का यह मुद्दा 2027 के चुनाव में हिंदुत्व की प्रयोगशाला साबित हो सकता है।
पिछले साल नवंबर में कोर्ट के आदेश के बाद संभल की शाही जामा मस्जिद में सर्वे का काम शुरू हुआ इसी दौरान दंगे भड़क गए, जिसने संभल में मंदिर मस्जिद लड़ाई पर सियासी पिच तैयार कर दी। संभल में मुस्लिम इलाकों में मंदिरों के मिलने का सिलसिला ऐसा शुरू हुआ कि पूरे उत्तर प्रदेश में मंदिर खोजे जाने लगे। बिजली चोरी के खिलाफ एक्शन में प्रशासन को 400 साल पुराना मंदिर संभल में मिला। इस मंदिर में बकायदा भगवान हनुमान, शिवलिंग, नंदी और कार्तिकेय की मूर्तियां मिलीं, जहां 46 साल बाद होली का त्यौहार धूमधाम से मनाया गया। स्थानीय लोगों ने मिलकर इस उत्सव को खास बना दिया।
दरअसल, संभल के जरिए योगी आदित्यनाथ की कोशिश 2024 के लोकसभा चुनाव में रह गई कसर को पूरा करने की तैयारी में है। इसमें हिंदू वोट बैंक के सहारे ही आगे बढ़ना है क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को मुस्लिम का केवल 8 फीसदी वोट मिला, जबकि इंडिया गठबंधन को 65 फीस मुस्लिम वोट मिला।
संबंधित विषय:
Updated on:
15 Mar 2025 01:13 pm
Published on:
15 Mar 2025 01:12 pm
बड़ी खबरें
View Allसम्भल
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग