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यूपी का एक ऐसा गांव, जहां गुटखा-बीड़ी-शराब छोड़िए… प्याज-लहसुन तक नहीं खाते लोग, 5000 है आबादी

Unique Village of UP : आज हम एक ऐसे गांव के बारें में आपको बताने जा रहे हैं, जहां एक भी व्यक्ति प्याज-लहसुन, शराब-गुटखा और सिगरेट का सेवन नहीं करते। यह परंपरा लगभग 20 पीढ़ियों से चली आ रही है।

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मिरगपुर गांव में लगा गेट, PC- Patrika

सहारनपुर : आज के दौर में मादक पदार्थों की चपेट में लगभग हर परिवार आ चुका है। हर घर में लगभग कोई न कोई किसी मादक पदार्थ का सेवन करता मिल ही जाएगा। लेकिन, अगर हम आपसे कहें कि एक घर या परिवार नहीं पूरा का पूरा एक गांव ऐसा है जो मादक पदार्थों का सेवन नहीं करता तो शायद आपको विश्वास हो जाए। लेकिन, इस गांव में लोग प्याज-लहसुन तक नहीं खाते। इस बात पर आपको विश्वास नहीं होगा। लेकिन, यह सच है इस गांव में कोई भी लहसुन-प्याज तक नहीं खाता। गांव का नाम है- मिरगपुर।

सहारनपुर मिरगपुर गांव ऐसे में पूरे देश में मिसाल बना हुआ है। यहां बुजुर्ग व्यक्तियों से लेकर बच्चे तक किसी भी प्रकार के व्यसन से दूर हैं। गांव में जो बहुएं दूसरी जगहों से ब्याह कर आती हैं वह भी इस परंपरा को बखूबी निभाती हैं। गांव की ही रहने वाली 100 साल की राजकली बताती हैं कि करीब 75 साल पहले उन्होंने मायके में उन्होंने प्याज-लहसुन खाया था। उसके बाद से इसे छूआ तक नहीं। गांव की एक अन्य महिला पाली ने बताया कि उनके यहां बिना लहसुन-प्याज के ही स्वादिष्ट सब्जियां बनती हैं।

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में दर्ज है गांव का नाम

मिरगपुर गांव का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में नाम दर्ज है। सरकार ने इसे नशा मुक्त गांव का सर्टिफिकेट भी दिया है। यहां शराब, मांस के साथ ही 36 तामसिक पदार्थों का सेवन पिछले करीब 600 सालों से मना है। इस गांव में कोई नशा नहीं करता, न ही नशे से जुड़ा कोई उत्पाद बिकता है।

बाबा फकीरा दास ने दिया था वरदान

इस गांव को नशा मुक्त रहने का आशीर्वाद बाबा फकीरा दास ने दिया था। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि इस गांव में करीब 600 साल पहले बाबा फकीरा दास आए थे। उस समय गांव में एक ही हिन्दू परिवार रहता था, जिसमें पांच भाई हुआ करते थे। बाबा फकीरा दास ने गांव को नशामुक्त रहने का वरदान दिया था। उसके बाद से ही गांव में कोई किसी तरह का नशा नहीं करता। आज इस गांव की आबादी 5000 से ज्यादा हो गई।

बिना प्याज-लहसुन के बनती है स्वादिष्ट सब्जी

इस गांव में बिना प्याज लहसुन के शाकाहारी स्वादिष्ट और सात्विक खाना बनता है। सबसे बड़ी इस गांव की नई पीढ़ी ने इस मामले में नवाचार नहीं किया। वह भी बिना प्याज-लहसुन के ही सात्विक खाने में विश्वास करते हैं।