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दो माह में बीस से ज्यादा मवेशी आए ट्रेन की चपेट में, रेलवे स्टेशन के अंदर आने पर नहीं लग पा रही रोक

रेलवे ट्रैक पर घूम रहे मवेशियों से रफ्तार पर लग जाता है ब्रेक, यात्री हो रहे परेशान, कर देते हैं घायल

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Over 20 cattle have been hit by trains in two months, and entry into the railway station remains elusive.

प्लेटफॉर्म पर घूमता सांड

बीना. रेलवे स्टेशन सहित आसपास का रेलवे ट्रैक खुला होने के कारण आए दिन मवेशी ट्रेनों से टकरा रहे हैं। यदि यही हाल रहा तो किसी दिन मवेशियों के कारण बड़ा रेल हादसा भी हो सकता है।
ट्रैक पर घूम रहे आवारा मवेशी ट्रेनों की रफ्तार पर ब्रेक लगा रहे हैं। यही कारण है कि आए दिन कभी ट्रेन की चपेट में आने से मवेशी की मौत हो जाती है, तो कभी उन्हें बचाने के चक्कर में ड्राइवर के लिए इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन रोकनी पड़ती है। जबकि जंक्शन से वंदेभारत, शताब्दी, राजधानी एक्सप्रेस जैसी हाइस्पीड ट्रेनें गुजरती हैं, जिन्हें किसी मवेशी के सामने आने से तत्काल रोकना मुमकिन नहीं होता है।
दरअसल रेलवे ने पूरे मंडल में ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाए जाने के कारण जागरूकता अभियान चलाया था और लोगों को अपने मवेशी बांधकर रखने व रेलवे ट्रैक पर नहीं आने देने के लिए जागरूक किया, लेकिन ट्रैक पूरी तरह से खुला होने के कारण कहीं से भी मवेशी अंदर आ जाते हैं। यह मवेशी ट्रेन की चपेट में आ जाते हैं, लेकिन रेलवे इन्हें रोकने में नाकाम साबित हो रही है और स्टेशन परिसर के साथ रेलवे ट्रैक पर मवेशियों को घूमते देखा जा सकता है। पिछले दो महीनों की बात करें, तो बीस से ज्यादा मवेशी ट्रेन की चपेट में आ चुके हैं, जिनमें से कुछ ही जान भी जा चुकी है।

प्लेटफॉर्म पर भी धमाचौकड़ी
रेलवे स्टेशन पर मवेशियों की धमाचौकड़ी से हर कोई परेशान है, लेकिन इससे निजात दिलाने के लिए रेलवे स्टेशन पर कोई भी अधिकारी ध्यान नहीं दे रहा है। अब तो हाल यह है कि मवेशियों का चौबीसों घंटे प्लेटफॉर्म पर ही डेरा रहता है, जो यात्रियों को परेशान करते हैं और मारकर चोटिल कर रहे हैं।

हो रही समय की बर्बादी
रेलवे ट्रैक पर मवेशी के ट्रेन से टकराने के बाद यदि वह इंजन के आगे फंस जाएं, तो ट्रेन को आगे बढ़ाना मुश्किल हो जाता है। इसके बाद उन्हें हटाने पर ही ट्रेन को आगे बढ़ाया जा सकता है। इसलिए ड्राइवर इस स्थिति से निपटने के लिए कई बार इमरजेंसी ब्रेक लगा देते हैं, जिसमें घटना होने का भी डर बना रहता है। चूंकि रेलवे ट्रेनों का समय से संचालन करने के लिए उनकी रफ्तार बढ़ा रही है, इस स्थिति में इस प्रकार से मवेशियों के सामने आ जाने के कारण उनकी रफ्तार पर ब्रेक लग जाता है। इस दौरान यदि कोई हाइ स्पीड ट्रेन रुकती है, तो दोबारा आगे बढ़ाने में कम से कम पांच से सात मिनट खराब होते हैं। साथ ही स्पीड कम होने के कारण भी गति पर असर पड़ता है और गंतव्य तक पहुंचने में 15 मिनट तक ट्रेन लेट हो जाती है।