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Laxmi Chalisa Lyrics in Hindi: दिवाली पर जरूर पढ़ें लक्ष्मी चालीसा, बदल सकती है आपकी किस्मत!

Laxmi Chalisa Lyrics in Hindi: दिवाली के पावन अवसर पर श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। जानें लक्ष्मी चालीसा का महत्व, पाठ विधि और इसके अद्भुत लाभ जो जीवन में लाते हैं धन, सौभाग्य और शांति।

3 min read

भारत

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Dimple Yadav

Oct 20, 2025

Laxmi Chalisa Lyrics in Hindi

Laxmi Chalisa Lyrics in Hindi (photo- patrika)

Laxmi Chalisa Lyrics in Hindi: दिवाली का पर्व रोशनी, समृद्धि और शुभता का प्रतीक माना जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है, क्योंकि माना जाता है कि इस पावन रात्रि में स्वयं देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं और अपने भक्तों के घरों में स्थायी वास करती हैं। दिवाली की रात लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने से मां की कृपा तुरंत प्राप्त होती है और जीवन में धन, सौभाग्य व सुख-शांति आती है।

लक्ष्मी चालीसा देवी महालक्ष्मी की महिमा का सुंदर स्तोत्र है, जिसमें 40 चौपाइयों के माध्यम से उनके स्वरूप, गुण, शक्ति और करुणा का वर्णन किया गया है। यह केवल भक्ति का नहीं बल्कि वैदिक ऊर्जा संतुलन का भी एक माध्यम है। जब हम श्रद्धा से लक्ष्मी चालीसा का पाठ करते हैं, तो हमारी कर्म-ऊर्जा शुभ ग्रहों के साथ जुड़ती है और धनयोग प्रबल होता है।

श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ (Laxmi Chalisa Lyrics in Hindi)

श्री लक्ष्मी चालीसा

तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरवहु आस हमारी॥
जय जय जगत जननि जगदम्बा । सबकी तुम ही हो अवलम्बा॥
तुम ही हो सब घट घट वासी। विनती यही हमारी खासी॥
जगजननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी॥
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥
कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी। जगजननी विनती सुन मोरी॥
ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥
क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिन्धु में पायो॥
चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभु बनि दासी॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रुप बदल तहं सेवा कीन्हा॥
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥
तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥
अपनाया तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥
तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी। कहं लौ महिमा कहौं बखानी॥
मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन इच्छित वांछित फल पाई॥
तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मनलाई॥
और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करै मन लाई॥
ताको कोई कष्ट नोई। मन इच्छित पावै फल सोई॥
त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी॥
जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै। ध्यान लगाकर सुनै सुनावै॥
ताकौ कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै॥
पुत्रहीन अरु संपति हीना। अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना॥
विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥
पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥
बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥
प्रतिदिन पाठ करै मन माही। उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं॥
बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
करि विश्वास करै व्रत नेमा। होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा॥
जय जय जय लक्ष्मी भवानी। सब में व्यापित हो गुण खानी॥
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजै॥
भूल चूक करि क्षमा हमारी। दर्शन दजै दशा निहारी॥
बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी। तुमहि अछत दुःख सहते भारी॥
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥
रूप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥
केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिकाई॥

दिवाली पर लक्ष्मी चालीसा का पाठ विधि

शाम के समय स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूर्व दिशा की ओर मुंह करके मां लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएं। कुंकुम, पुष्प, अक्षत, धूप और नैवेद्य से पूजन करें। फिर श्रद्धा और एकाग्रता से लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें। अंत में आरती करें और शांति, सुख तथा धन की प्रार्थना करें।