Kali Mata mantra for blessings|फोटो सोर्स –Freepik
Kali Mata Aarti Mantra: दिवाली के पावन अवसर पर मां काली की पूजा का विशेष महत्व होता है। यह दिन अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है और मां काली के आशीर्वाद से जीवन में सकारात्मकता, शक्ति और समृद्धि का संचार होता है। काली माता की आरती और मंत्रों का जाप करने से न केवल मन को शांति मिलती है, बल्कि हमारे संकट और भय भी दूर होते हैं।
इस दिवाली, काली माता की पूजा में जुड़ी शुभ मंत्रों और आरती के साथ कुछ विशेष उपाय भी किए जाते हैं, जो मां की कृपा को प्राप्त करने में मददगार साबित होते हैं। इस लेख में हम आपको माँ काली की आरती, पूजा के दौरान पढ़े जाने वाले शुभ मंत्र बताए गए है।
आरती काली मां की कीजै,
भक्तों को सुख-सम्पत्ति दीजै।
कालरात्रि भवानी माता,
जगदंबा दुख हारन दाता।
जो जन शरण तुम्हारी आते,
मनवांछित फल सब पाते॥
आरती काली माँ की कीजै,
भक्तों को सुख-सम्पत्ति दीजै।
शंभु शंकर के प्राण प्यारी,
महाकाल की तू महतारी।
धूप, दीप अरु फूल चढ़ाएँ,
भक्त प्रेम से गुण गाएँ॥
आरती काली मां की कीजै,
भक्तों को सुख-सम्पत्ति दीजै।
मां का रूप है भयंकर,
दुर्गा, चंडी, शक्ति अमर।
रक्तबीज को मार गिराया,
भूत, पिशाच डर के भागा॥
आरती काली माँ की कीजै,
भक्तों को सुख-सम्पत्ति दीजै।
मां भवानी दया दिखाओ,
हम भक्तों को कष्ट मिटाओ।
तेरे दर पर शीश झुकाते,
हर संकट से रक्षा पाते॥
आरती काली माँ की कीजै,
भक्तों को सुख-सम्पत्ति दीजै।
जय काली! जय महाकाली!
दुष्टों की तू विनाशक वाली।
करुणा कर दो हम पर माता,
पूर्ण करो हर एक विधाता॥
आरती काली मां की कीजै,
भक्तों को सुख-सम्पत्ति दीजै।
ह्रौं काली महाकाली किलिकिले फट् स्वाहा॥
ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं कालिके क्लीं श्रीं ह्रीं ऐं॥
काली बीज मंत्र
ॐ क्रीं काली
'ॐ क्रीं ह्रुं ह्रीं'
पांच अक्षरी काली मंत्र
ॐ क्रीं ह्रुं ह्रीं हूँ फट्
ॐ हूँ ह्रीं हूँ फट् स्वाहा
ॐ श्री कालिकायै नमः
काली मां का मंत्र
”ॐ हरिं श्रीं कलिं अद्य कालिका परम् एष्वरी स्वा:”
ह्रीं ह्रीं ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणकालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं॥
क्रीं ह्रुं ह्रीं दक्षिणेकालिके क्रीं ह्रुं ह्रीं स्वाहा॥
ॐ ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं दक्षिणकालिके ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं स्वाहा॥
ॐ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं दक्षिणकालिके स्वाहा॥
”कृन्ग कृन्ग कृन्ग हिन्ग कृन्ग दक्षिणे कलिके कृन्ग कृन्ग कृन्ग हरिनग हरिनग हुन्ग हुन्ग स्वा:”
“ॐ महा काल्यै छ विद्यामहे स्स्मसन वासिन्यै छ धीमहि तन्नो काली प्रचोदयात”
ॐ क्रीं कालिकायै नमः
Published on:
19 Oct 2025 01:29 pm
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