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Hartalika Teej 2025: हरतालिका तीज पर पूजा में जरूर रखें ये 7 शुभ वस्तुएं, बढ़ेगा सौभाग्य

Hartalika Teej 2025: हरतालिका तीज के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और माता पार्वती व भगवान शिव का विधिपूर्वक पूजन करती हैं। साज-सज्जा के साथ-साथ पूजा में कुछ आवश्यक वस्तुएं सम्मिलित की जाती हैं, जिन्हें बहुत ही मंगलकारी माना जाता है।

3 min read

भारत

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MEGHA ROY

Aug 23, 2025

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Hartalika Teej Puja Vidhi: सुहागन महिलाएं अखंड सौभाग्य और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए हरतालिका तीज का व्रत पूरे श्रद्धा से रखती हैं। इस बार हरतालिका तीज 26 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और माता पार्वती व भगवान शिव का विधिपूर्वक पूजन करती हैं। साज-सज्जा के साथ-साथ पूजा में कुछ आवश्यक वस्तुएं सम्मिलित की जाती हैं, जिन्हें बहुत ही मंगलकारी माना जाता है। आइए जानते हैं, ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा से क्या हैं वे 7 जरूरी पूजन सामग्री, जिन्हें पूजा में रखना अत्यंत शुभ माना गया है।

ये 7 विशेष पूजा सामग्री हैं अनिवार्य

हरतालिका तीज का व्रत सुहागन महिलाएं अखंड सौभाग्य और खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना के लिए रखती हैं। इस पावन अवसर पर व्रत और पूजा के साथ कुछ विशेष वस्तुओं को शामिल करना बेहद शुभ माना जाता है। मां पार्वती को समर्पित इस पूजा में उनकी सुहाग सामग्री का विशेष महत्व होता है। ऐसे में महिलाएं पूजा में सात महत्वपूर्ण वस्तुएं जरूर शामिल करती हैं, जो देवी पार्वती के सुहाग का प्रतीक मानी जाती हैं। ये सात शुभ वस्तुएं हैं – मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम और सिंदूर। मान्यता है कि इन सामग्रियों को पूजा में सम्मिलित करने से माता पार्वती अत्यंत प्रसन्न होती हैं और व्रती महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
साथ ही गीली मिट्टी, बेल पत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल और फूल, अकांव का फूल, तुलसी, मंजरी, जनेऊ, वस्त्र, मौसमी फल-फूल, नारियल, कलश, अबीर, चंदन, घी, कपूर, कुमकुम, दीपक, दही, चीनी, दूध और शहद भी।

हरतालिका तीज का व्रत करने की विधि (Hartalika Teej Vrat Vidhi)

व्रत संकल्प

भोर में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और मन को एकाग्र कर “उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये” मंत्र का उच्चारण करते हुए व्रत का संकल्प लें।

पूजन विधि

  • हरतालिका तीज की पूजा प्रदोष काल (सूर्यास्त के आसपास का समय) में करना श्रेष्ठ माना गया है।
  • संध्या स्नान के बाद सुहागिन स्त्रियां नए वस्त्र पहनती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं।
  • गीली मिट्टी से शिव-पार्वती और गणेश जी की प्रतिमाएं बनाकर स्थापित करें।
  • दूध, दही, घी, शहद और चीनी से पंचामृत तैयार करें और भगवान को अर्पित करें।
  • माता पार्वती को सुहाग की सामग्री अर्पित की जाती है, वहीं शिवजी को वस्त्र चढ़ाए जाते हैं।
  • इसके बाद व्रत कथा का श्रवण करें और क्रमशः गणेशजी, शिवजी व माता पार्वती की आरती उतारें।
  • रात्रि भर जागरण करने का विधान है।
  • अगले दिन सुबह पुनः स्नान कर माता पार्वती का पूजन करें, उन्हें सिंदूर अर्पित करें और ककड़ी व हलवे का भोग लगाएं।
  • भोग लगाने के बाद ककड़ी खाकर व्रत का पारण करें और पूजा सामग्री किसी सुहागिन महिला को दान करें।

हरतालिका तीज व्रत कथा (Hartalika Teej Vrat katha)

माना जाता है कि माता पार्वती ने बचपन से ही भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने की इच्छा रखी थी। इसके लिए उन्होंने बारह वर्षों तक कठोर तप और निराहार उपवास किया। एक समय नारद मुनि ने पार्वती के पिता, हिमालय को भगवान विष्णु से विवाह का प्रस्ताव दिया, जिससे वे प्रसन्न होकर सहमत हो गए। यह सुनकर पार्वती व्याकुल हो उठीं और अपनी सखियों के साथ एकांत गुफा में चली गईं, जहां उन्होंने रेत का शिवलिंग बनाकर तप किया।

भाद्रपद शुक्ल तृतीया और हस्त नक्षत्र के दिन पार्वती ने निर्जला व्रत रखकर रात्रि जागरण किया। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया और वरदान दिया। अगले दिन पार्वती ने व्रत का पारण किया और पूजा सामग्री गंगा में विसर्जित कर दी। बाद में हिमालय ने शिव को अपनी पुत्री का वर स्वीकार कर लिया।इसलिए हरतालिका तीज का व्रत सौभाग्य, प्रेम और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए अत्यंत फलदायक माना जाता है।


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