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Narak Chaturdashi 2025 : नरक चतुर्दशी पर ज्योतिषी के बताएं यह खास उपाय, मिल सकती है अकाल मृत्यु से मुक्ति!

Narak Chaturdashi 2025:19 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी नरक चतुर्दशी। जानें छोटी दीपावली का महत्व, अभ्यंग स्नान मुहूर्त, यमराज पूजा विधि और बन रहे शुभ योग।

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Narak Chaturdashi 2025

Narak Chaturdashi 2025 (photo- gemini ai)

Narak Chaturdashi 2025: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी का पावन पर्व मनाया जाता है। यह पर्व दीपावली से एक दिन पहले और धनतेरस के अगले दिन आता है। इसे रूप चौदस, छोटी दीपावली, काली चौदस, या नरक निवारण चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सौंदर्य, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक शुद्धि का प्रतीक भी है।

नरक चतुर्दशी 2025 की तिथि और मुहूर्त

ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार, इस वर्ष नरक चतुर्दशी 19 अक्टूबर 2025 (रविवार) को मनाई जाएगी। चतुर्दशी तिथि प्रारंभ 19 अक्टूबर 2025, दोपहर 01:51 बजे से हो रही है, चतुर्दशी तिथि समाप्त 20 अक्टूबर 2025, दोपहर 03:44 बजे हो रही है। उदयातिथि के अनुसार यह पर्व 19 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान, तिलक, दीपदान और यमराज की पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है।

नरक चतुर्दशी का पौराणिक महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने इस दिन नरकासुर राक्षस का वध किया था। कहा जाता है कि नरकासुर ने माता अदिति के आभूषण चुरा लिए थे और 16 हजार कन्याओं को बंदी बना रखा था। भगवान विष्णु ने उन्हें मुक्त कर नरकासुर का अंत किया। इसी कारण इस दिन को नरक निवारण चतुर्दशी कहा जाता है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत और अंधकार पर प्रकाश का प्रतीक माना जाता है।

रूप चौदस का महत्व और सौंदर्य पूजा

नरक चतुर्दशी को रूप चौदस या रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है। इस दिन शरीर और मन को शुद्ध करने का विशेष विधान है।
महिलाएं प्रात काल ब्रह्म मुहूर्त में उबटन (हल्दी, चंदन, सरसों का तेल) लगाकर स्नान करती हैं। इसे अभ्यंग स्नान कहा जाता है।
मान्यता है कि ऐसा करने से रूप-लावण्य में वृद्धि होती है, रोग दूर होते हैं और शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। डॉ. अनीष व्यास के अनुसार, इस बार अभ्यंग स्नान का शुभ मुहूर्त 20 अक्टूबर 2025 को सुबह 05:13 मिनट से 06:25 मिनट तक रहेगा। इस समय स्नान कर भगवान विष्णु, यमराज और माता काली की आराधना करने से जीवन में सुख, शांति और दीर्घायु प्राप्त होती है।

नरक चतुर्दशी की पूजा विधि

इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान करने के बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख करके यमराज का तर्पण किया जाता है। शाम के समय घर के हर कोने, मुख्य द्वार, रसोई और तुलसी चौरा में दीपक जलाया जाता है। कहा जाता है कि ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और परिवार में स्वास्थ्य एवं समृद्धि बनी रहती है। शाम के समय देवी काली, भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा भी की जाती है। देवी काली की आराधना से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

नरक चतुर्दशी पर बन रहे शुभ योग

इस बार नरक चतुर्दशी 2025 पर दो अत्यंत शुभ योग बन रहे हैं। अमृतसिद्धि योग और सर्वार्थसिद्धि योग।

अमृतसिद्धि योग:

19 अक्टूबर शाम 05:49 से 20 अक्टूबर सुबह 06:29 तक रहेगा। इस योग में स्नान, दान और पूजा करने से सौभाग्य और दीर्घायु प्राप्त होती है।

सर्वार्थसिद्धि योग:

19 अक्टूबर शाम 05:49 से 20 अक्टूबर सुबह 06:29 तक रहेगा। यह योग सभी कार्यों की सिद्धि और मनोकामना पूर्ति का सूचक है। इस समय में खरीदारी, निवेश या नए कार्यों की शुरुआत करना अत्यंत शुभ माना गया है।

छोटी दीपावली और लोक परंपरा

नरक चतुर्दशी को ही छोटी दीपावली भी कहा जाता है। इस दिन दीपों की रोशनी से घरों को सजाया जाता है। लोग मिठाई बांटते हैं, घर की सफाई और सजावट करते हैं तथा लक्ष्मी पूजन की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। उत्तर भारत में इसे छोटी दिवाली कहा जाता है। गुजरात और महाराष्ट्र में यह दिन काली चौदस के नाम से प्रसिद्ध है, जहां माता काली की पूजा की जाती है।दक्षिण भारत में इसे नरक चतुर्दशी कहा जाता है, और लोग तिल के तेल से स्नान कर बुरी शक्तियों से रक्षा की कामना करते हैं।लोक मान्यता है कि इस दिन दीप जलाने से घर में लक्ष्मी का आगमन होता है और रोग-दोष दूर होते हैं।


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