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Govardhan Puja 2025: दिवाली के अगले दिन कब है गोवर्धन पूजा? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Govardhan Puja 2025 Shubh Muhurat : Govardhan Puja 2025 दिवाली के अगले दिन 22 अक्टूबर 2025 (बुधवार) को मनाई जाएगी। जानें गोवर्धन पूजा की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, कथा, अन्नकूट का महत्व और पूजा विधि।

3 min read

भारत

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Manoj Vashisth

Oct 21, 2025

Govardhan Puja 2025

Govardhan Puja 2025 : दिवाली के अगले दिन कब है गोवर्धन पूजा? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)

Govardhan Puja 2025 : दीपावली की जगमग रोशनी के बाद एक ऐसा त्योहार आता है जो हमें प्रकृति, गायों और भगवान कृष्ण के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त करने का मौका देता है। यह है गोवर्धन पूजा। इसे अन्नकूट उत्सव के नाम से भी जाना जाता है। हर साल यह त्योहार दिवाली के ठीक अगले दिन मनाया जाता है, लेकिन अक्सर तिथियों के कारण इसकी तारीख को लेकर थोड़ा भ्रम हो जाता है।

तो आइए, जानते हैं 2025 में गोवर्धन पूजा कब है, इसका सही मुहूर्त क्या है और इस खास दिन को मनाने का सही तरीका क्या है।

गोवर्धन पूजा 2025 की सही तारीख और शुभ मुहूर्त | Govardhan Puja 2025 Date and Time, Shubh Muhurat, Puja Vidhi

गोवर्धन पूजा हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है। चूंकि इस बार दिवाली की अमावस्या तिथि 21 अक्टूबर की शाम को समाप्त होगी, इसलिए उदयातिथि के नियम के अनुसार गोवर्धन पूजा अगले दिन मनाई जाएगी।

शुभ फल की प्राप्ति के लिए आपको इन दोनों में से किसी भी शुभ मुहूर्त में गोवर्धन पूजा करनी चाहिए।

जानकारीतिथि/समय
गोवर्धन पूजा की तिथिबुधवार, 22 अक्टूबर 2025
प्रतिपदा तिथि का आरंभ21 अक्टूबर 2025, शाम 5 बजकर 54 मिनट से
प्रतिपदा तिथि का समापन22 अक्टूबर 2025, रात 8 बजकर 16 मिनट तक
प्रातःकाल पूजा का शुभ मुहूर्तसुबह 06:30 बजे से 08:47 बजे तक
सायाह्नकाल पूजा का शुभ मुहूर्तदोपहर 03:36 बजे से 05:52 बजे तक

क्यों मनाते हैं गोवर्धन पूजा? कथा और महत्व

यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण की उस लीला को याद दिलाता है जब उन्होंने देवराज इंद्र के घमंड को तोड़ा था।

पौराणिक कथा: अहंकार पर प्रकृति की विजय

कथा के अनुसार, एक बार ब्रजवासी वर्षा के देवता इंद्र को प्रसन्न करने के लिए एक भव्य पूजा की तैयारी कर रहे थे। बाल कृष्ण ने यह देखकर अपनी माता यशोदा से पूछा कि यह सब किसके लिए हो रहा है। जब उन्हें पता चला कि यह पूजा इंद्रदेव के लिए है, तो उन्होंने ब्रजवासियों को समझाया कि हमें उस गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए, जिसकी हरी-भरी घास पर हमारी गायें चरती हैं और जिसकी कृपा से ही वर्षा होती है।

कृष्ण की बात मानकर ब्रजवासियों ने इंद्र की जगह गोवर्धन पर्वत और गौ-माता की पूजा की। इससे क्रोधित होकर इंद्र ने मूसलाधार बारिश शुरू कर दी, जिससे पूरा गोकुल डूबने लगा। तब भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर विशाल गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और सभी ब्रजवासियों तथा पशुओं को उसके नीचे सुरक्षित आश्रय दिया। लगातार सात दिनों तक बारिश के बाद इंद्रदेव को अपनी भूल का एहसास हुआ और उन्होंने श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी।

तभी से यह पर्व मनाया जाता है और यह संदेश देता है कि हमें प्रकृति और पर्यावरण का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि वही हमारे जीवन का आधार हैं।

अन्नकूट उत्सव और गौ-पूजन

अन्नकूट: इंद्र पर विजय के बाद ब्रजवासियों ने गोवर्धन पर्वत को छप्पन भोग (56 प्रकार के व्यंजन) अर्पित किए थे। इसलिए इस दिन को अन्नकूट पर्व भी कहते हैं। इस भोग में दाल, चावल, सब्जी, मिठाई, खीर, चूरमा आदि सभी तरह के पकवान शामिल होते हैं, जो यह दर्शाते हैं कि भगवान के प्रति हमारा प्रेम और कृतज्ञता असीमित है।

गौ-पूजन: गोवर्धन पूजा में गौ-धन यानी गायों की पूजा का विशेष महत्व है। गाय को देवी लक्ष्मी का रूप माना जाता है, जो हमें स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं। इस दिन गाय, बैल और कृषि में उपयोग होने वाले पशुओं की भी पूजा की जाती है।

गोवर्धन पूजा की सरल विधि

इस दिन आपको ये आसान विधि अपनाकर पूजा करनी चाहिए:

गोवर्धन निर्माण: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। पूजा के लिए घर के आँगन या पूजा स्थल पर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की सुंदर आकृति बनाएं।

सजावट: गोवर्धन महाराज को फूलों, जौ, चावल (अक्षत), रोली और कच्ची हल्दी से सजाएं। उनके सिर पर मुकुट और आंखें भी बनाई जाती हैं।

नाभि स्थापना: गोवर्धन की आकृति के बीच में एक मिट्टी का दीपक (या कटोरी) रखें, जिसे उनकी नाभि माना जाता है। इसमें दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल और बताशे भरकर रखें।

पूजा सामग्री: रोली, अक्षत, धूप, दीप, फूल, बताशे, मिठाई, खीर, नैवेद्य आदि अर्पित करें। भगवान कृष्ण की प्रतिमा या तस्वीर की भी पूजा करें।

परिक्रमा: पूजा करते समय लोटे से जल गिराते हुए और जौ बोते हुए सात बार परिक्रमा करें।

पशु-पूजन: यदि संभव हो तो गाय, बैल और अन्य पशुओं को तिलक लगाकर, फूलों की माला पहनाकर उनकी पूजा करें और उन्हें अच्छा भोजन खिलाएँ।

इस पावन पर्व को पूरे विधि-विधान और सच्चे मन से मनाएं, ताकि आपके घर में सुख-समृद्धि बनी रहे और भगवान कृष्ण की कृपा आप पर हमेशा बनी रहे।

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