Diwali 2025 Lakshmi Puja 2025 Timing : 21 अक्टूबर 2025 को है दिवाली: जानिए लक्ष्मी पूजन का सही समय
Diwali 2025Lakshmi Puja 2025 Timing : कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या की रात… जब दीपों की रोशनी से हर घर जगमगा उठता है, यह सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि देवी लक्ष्मी, गणेश, माता सरस्वती और मां काली के आशीर्वाद को पाने का महासंयोग होता है। इस वर्ष 20 और 21 अक्टूबर 2025 को मनाई जाने वाली दीपावली पर, लक्ष्मी पूजन के लिए समय भले ही कम हो, लेकिन उसका महत्व अपार है। अगर आप चाहते हैं कि वर्षभर आपके घर में सुख-समृद्धि बनी रहे, तो आपको यह ज़रूरी जानकारी नोट कर लेनी चाहिए!
ज्योतिषियों के अनुसार, दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के लिए प्रदोष काल का समय सबसे उत्तम और फलदायी माना गया है। यह वह समय होता है जो सूर्यास्त के ठीक बाद शुरू होता है, जब वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार सबसे अधिक होता है।
पूजन का शुभ मुहूर्त (21 अक्टूबर 2025) | समय |
लक्ष्मी पूजन का महासंयोग | शाम 05:50 बजे से 05:56 बजे तक (केवल 6 मिनट!) |
प्रदोष काल का समय (पूजन जारी रखने के लिए) | शाम 05:50 बजे से रात 08:18 बजे तक |
महानिशीथ काल (तांत्रिक/साधकों के लिए) | रात 11:36 बजे से देर रात 12:25 बजे तक |
प्रातःकाल (चल, लाभ, अमृत): 09:05 AM से 01:28 PM तक
अपराह्न (शुभ): 02:55 PM से 04:23 PM तक
जरूरी बात: इस वर्ष, आपको विशेष ध्यान देना होगा कि आप इन 6 मिनट के महासंयोग में अपना मुख्य पूजन जरूर संपन्न कर लें।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, कार्तिक अमावस्या की रात को महालक्ष्मी स्वयं पृथ्वी पर आती हैं और हर घर में भ्रमण करती हैं। जिस घर में साफ़-सफ़ाई और प्रकाश होता है, वहां वे अंश रूप में निवास करती हैं।
शुद्धि और सज्जा: दिवाली के दिन पूरे घर की अच्छे से साफ़-सफ़ाई करें और पवित्रता के लिए गंगाजल का छिड़काव करें।
रंगोली और द्वार: घर के मुख्य द्वार पर और पूजा स्थल के पास सुंदर रंगोली बनाएं।
चौकी की स्थापना: पूजा स्थल पर लाल कपड़ा बिछाकर एक चौकी रखें। इस पर गणेश जी को दाईं ओर रखते हुए माता लक्ष्मी, सरस्वती माता, कुबेर देव और राम दरबार की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
कलश और दीपक: एक जल से भरा कलश उत्तर दिशा में रखें। घी का बड़ा दीपक आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में रखें ताकि यह पूरी रात जलता रहे।
धूप, दीप, जल, मौली, हल्दी, अबीर-गुलाल, चावल।
फल-फूल (विशेषकर कमल का फूल), मिठाई, गुड़।
पान, सुपारी, लौंग, इलायची, और कमलगट्टे ज़रूर रखें।
धनतेरस पर खरीदी गई सभी नई वस्तुएं/गहने पूजा स्थल पर रखें।
पूजा के बाद, घर के कोने-कोने में दीपक जलाएं। ध्यान रहे, मंदिर में एक घी का और एक सरसों के तेल का बड़ा दीपक रात भर जलता रहना चाहिए।
आज 13 या 26 दीपक जलाएं: घर के हर कोने में दीप जलाएं, विशेषकर तुलसी के पास और मुख्य द्वार पर
क्यों होती है मां काली की पूजा? - दिवाली की रात को ही मां काली की पूजा का भी विधान है। खासकर बंगाल, ओडिशा और असम में, इसे काली पूजा के रूप में मनाया जाता है। महानिशीथ काल (आधी रात) में इनकी पूजा दुष्ट शक्तियों का नाश करने और जीवन में संतुलन लाने के लिए की जाती है।
कुबेर पूजन का महत्व: दिवाली पर केवल लक्ष्मी जी ही नहीं, बल्कि धन के देवता कुबेर की पूजा भी अनिवार्य है। कुबेर पूजा से तिजोरी में धन का ठहराव होता है। इसलिए, पूजा में कुबेर देवता की प्रतिमा या यंत्र ज़रूर रखें।
पूजा के अंत में मां लक्ष्मी की यह आरती अवश्य गाएं:
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता। तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥ उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता। सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
Published on:
21 Oct 2025 01:28 pm
बड़ी खबरें
View Allधर्म और अध्यात्म
धर्म/ज्योतिष
ट्रेंडिंग