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Bhai dooj Mantra : “गंगा पूजे यमुना को, यमी पूजे यमराज को…” भाईदूज पर पढ़ें ये मंत्र

Bhai dooj Mantra : भाई दूज 2025 के अवसर पर अपने भाई-बहन को भेजें दिल छू लेने वाली शुभकामनाएं, कोट्स और मैसेज। जानें भाई दूज का महत्व, शुभ समय और खूबसूरत विशेज जो रिश्ते को और मजबूत बनाएं।

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भारत

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Dimple Yadav

Oct 22, 2025

Bhai dooj Mantra

Bhai dooj Mantra (photo- gemini ai)

Bhai dooj Mantra : दीपावली की जगमगाहट के दो दिन बाद मनाया जाने वाला भैया दूज भाई-बहन के प्रेम, स्नेह और अपनापन का प्रतीक पर्व है। रक्षाबंधन के बाद यह दूसरा ऐसा त्यौहार है जो भाई-बहन के रिश्ते की गहराई को दर्शाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र, सुख और समृद्धि की कामना करती हैं।

भैया दूज की तिथि और महत्व

भैया दूज का त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाने और पारिवारिक एकता का संदेश देता है। इस वर्ष भैया दूज 2025 का पर्व पूरे देश में उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा।

भैया दूज पूजा विधि: कैसे करें अपने भाई की पूजा

इस दिन बहनें सुबह स्नान कर शुभ मुहूर्त में पूजा की तैयारी करती हैं। आसन पर चावल के घोल से चौक बनाया जाता है और भाई को उस पर बिठाकर पूजा की जाती है। बहनें भाई के हाथों पर चावल का घोल, सिंदूर, फूल, पान और सुपारी रखती हैं। फिर “गंगा पूजा यमुना को, यमी पूजे यमराज को…” मंत्र बोलते हुए तिलक किया जाता है। इसके बाद कलावा बांधकर भाई को मिठाई खिलाई जाती है। कहा जाता है कि बहन के हाथ से किया गया तिलक और भोजन भाई की आयु बढ़ाता है और उसके जीवन से सभी बाधाएं दूर करता है।

भैया दूज पर दीपदान का महत्व

भैया दूज के दिन बहनें यमराज के नाम से चौमुखा दीपक जलाकर घर की दहलीज पर रखती हैं। माना जाता है कि इससे घर में सुख-शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। यह दीपक यमराज से सुरक्षा का प्रतीक है और घर में किसी भी प्रकार की नकारात्मकता को दूर करता है।

भ्रातृ द्वितीया: एक अनोखी परंपरा

भैया दूज को भ्रातृ द्वितीया भी कहा जाता है। इस दिन बहन के घर जाकर भोजन करने की परंपरा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, बहन के हाथ का भोजन ग्रहण करने से भाई की उम्र बढ़ती है और उसे यमराज का भय नहीं रहता।

भैया दूज की पौराणिक कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, सूर्यदेव और छाया के दो संतान हुए। यमराज और यमुना। यमुना अपने भाई यमराज से बहुत स्नेह करती थीं और उन्हें बार-बार अपने घर आने के लिए आमंत्रित करती थीं। एक दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमराज बहन के घर पहुंचे। यमुना ने उनका स्वागत किया, पूजा की और स्वादिष्ट भोजन कराया। यमराज उनकी भक्ति और स्नेह से प्रसन्न होकर वरदान देने लगे। यमुना ने कहा कि “जो भी बहन इस दिन अपने भाई का तिलक करे, उसे मृत्यु का भय न हो।” यमराज ने प्रसन्न होकर “तथास्तु” कहा। तभी से हर वर्ष यह पर्व मनाया जाता है।