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Raebareli Education News: अब नहीं करनी होगी लंबी दूरी, बच्चों की लौटी मुस्कान, 82 स्कूलों की रौनक, पुनः संचालन का आदेश जारी

82 Schools in Raebareli Reopen: रायबरेली जिले के 82 विद्यालयों में एक बार फिर बच्चों की चहल-पहल लौटेगी। शासन के आदेश पर बीएसए ने इन स्कूलों का मर्जर निरस्त कर दिया है। अब बच्चों को लंबी दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी। इस फैसले से अभिभावक, शिक्षक और छात्र सभी उत्साहित हैं।

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पेयरिंग के चलते बंद हुए थे स्कूल, अब होंगे गुलजार, एक किलोमीटर से अधिक दूरी होने पर लिया गया फैसला (फोटो सोर्स : Whatsapp )

पेयरिंग के चलते बंद हुए थे स्कूल, अब होंगे गुलजार, एक किलोमीटर से अधिक दूरी होने पर लिया गया फैसला (फोटो सोर्स : Whatsapp )

Raebareli School Reopen: शिक्षा विभाग के एक बड़े निर्णय से जिले के 82 विद्यालयों की रौनक फिर से लौटने जा रही है। शासन के निर्देशों के बाद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) राहुल सिंह ने आदेश जारी कर इन विद्यालयों की पेयरिंग को निरस्त कर दिया है। मंगलवार से इन विद्यालयों में पुनः संचालन शुरू हो गया है, जिससे न सिर्फ बच्चों में उत्साह है बल्कि अभिभावक और शिक्षक भी राहत महसूस कर रहे हैं।

पेयरिंग का निर्णय और उसकी समस्या

ज्ञात हो कि शिक्षा विभाग ने प्राथमिक विद्यालयों की संख्या और संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए जिले के 129 विद्यालयों का विलय (पेयरिंग) कर दिया था। उद्देश्य यह था कि सीमित संसाधनों का अधिकतम उपयोग हो और शिक्षकों का कार्यभार संतुलित बने। लेकिन इस निर्णय से ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों और उनके अभिभावकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

कई विद्यालय ऐसे थे, जिनका विलय एक किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थित विद्यालयों से कर दिया गया। इसका सीधा असर छोटे बच्चों पर पड़ा, जिन्हें लंबी दूरी तय कर विद्यालय जाना पड़ता था। कई मामलों में बच्चों को राजमार्ग या मुख्य सड़क पार करनी पड़ती थी, जो उनके लिए खतरनाक साबित हो सकता था। परिणामस्वरूप कई बच्चों ने विद्यालय जाना ही छोड़ दिया और शिक्षा से वंचित रह गए।

82 विद्यालयों की पेयरिंग निरस्त

बच्चों और अभिभावकों की इन परेशानियों को देखते हुए शासन ने पुनर्विचार किया और बीएसए राहुल सिंह ने आदेश जारी कर जिले के 82 विद्यालयों का मर्जर निरस्त कर दिया। अब ये विद्यालय पूर्व की भांति संचालित होंगे। आदेश जारी होते ही सभी प्रधानाध्यापकों को निर्देश दे दिए गए हैं कि विद्यालयों का संचालन सुचारू रूप से शुरू करें।

इस फैसले से बच्चों, अभिभावकों और शिक्षक संगठनों में खुशी की लहर है। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष राजेश शुक्ला ने कहा कि यह निर्णय लंबे संघर्ष का परिणाम है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय वास्तव में आरटीई (Right to Education) अधिनियम का उल्लंघन था और संगठन लगातार इसके खिलाफ लड़ाई लड़ रहा था। अब बच्चों को फिर से नजदीकी विद्यालय में शिक्षा मिलेगी और उनकी सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।

ब्लॉकवार निरस्त स्कूलों की सूची

जिले के सभी 18 ब्लॉकों में कुल 82 विद्यालयों की पेयरिंग निरस्त की गई है। इनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं:

  • सलोन : 7 विद्यालय
  • डलमऊ : 1 विद्यालय
  • रोहनिया : 1 विद्यालय
  • छतोह : 6 विद्यालय
  • डीह : 2 विद्यालय
  • सरेनी : 4 विद्यालय
  • खीरों : 2 विद्यालय
  • राही : 3 विद्यालय
  • हरचंदपुर : 5 विद्यालय
  • बछरावां : 3 विद्यालय
  • लालगंज : 6 विद्यालय
  • अमावा : 9 विद्यालय
  • दीनशाह गौरा : 6 विद्यालय
  • महराजगंज : 3 विद्यालय
  • शिवगढ़ : 8 विद्यालय
  • ऊंचाहार : 6 विद्यालय
  • सतांव : 9 विद्यालय
  • जगतपुर : 1 विद्यालय

बच्चों की परेशानी का हल

पेयरिंग के कारण कई विद्यालयों के बच्चों को रोजाना लंबी दूरी तय करनी पड़ रही थी। उदाहरण के तौर पर प्राथमिक विद्यालय पूरे तिवारी और प्राथमिक विद्यालय अहमदपुर का विलय प्राथमिक विद्यालय किलौली में किया गया था। इससे पूरे तिवारी के 31 बच्चों को रोजाना तीन किलोमीटर दूर किलौली तक जाना पड़ रहा था। इसी तरह अहमदपुर के 29 बच्चों को 1.5 किलोमीटर दूर का सफर तय करना पड़ता था। यह रास्ता हाईवे से होकर गुजरता था, जो बच्चों के लिए खतरनाक था।

इसी तरह प्राथमिक विद्यालय कुटी को तीन किलोमीटर दूर स्थित प्राथमिक विद्यालय रैन में समायोजित कर दिया गया था। छोटे बच्चों को इतनी दूरी तय करना संभव नहीं था। अब इन सभी बच्चों को राहत मिलेगी और वे नजदीकी विद्यालय में सुरक्षित और आसानी से पढ़ाई कर सकेंगे।

शिक्षक और अभिभावक खुश

इस आदेश से अभिभावकों ने राहत की सांस ली है। उनका कहना है कि छोटे-छोटे बच्चों को लंबी दूरी तय कराना उनके लिए हमेशा चिंता का विषय था। अब नजदीक के विद्यालय खुल जाने से बच्चों की शिक्षा में निरंतरता बनी रहेगी और उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता भी खत्म होगी। शिक्षक संगठनों ने भी इस फैसले का स्वागत किया है और इसे शिक्षा के हित में बताया है।

शिक्षकों का कहना है कि विद्यालयों का मर्जर एक प्रयोग था जो व्यावहारिक तौर पर सफल नहीं हो पाया। अब जब विद्यालयों को पूर्व स्थिति में बहाल किया गया है तो इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा। बच्चे अपने नजदीकी विद्यालय में समय पर पहुंच सकेंगे और उनकी पढ़ाई सुचारू रूप से जारी रहेगी।

आरटीई अधिनियम और बच्चों का अधिकार

आरटीई अधिनियम के तहत बच्चों को उनके निवास स्थान से एक किलोमीटर के दायरे में प्राथमिक विद्यालय उपलब्ध कराना अनिवार्य है। पेयरिंग के कारण यह प्रावधान प्रभावित हो रहा था। कई बच्चों को एक किलोमीटर से अधिक दूरी तय करनी पड़ रही थी। इससे बच्चों का शिक्षा का मूलभूत अधिकार प्रभावित हो रहा था। अब जब 82 विद्यालयों को पुनः संचालित करने का आदेश जारी हुआ है, तो यह बच्चों के अधिकारों की रक्षा की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।


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