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दलित युवक की विधवा का दर्द सुन फट जाएग कलेजा , मेरी गर्दन दबाकर भगा दिया, मॉब लिंचिंग में पति मैंने खोया और नौकरी ननद को

Raebareli News: फतेहपुर के दलित युवक हरिओम वाल्मीकि की मॉब लिंचिंग के बाद उसकी पत्नी संगीता उर्फ रिंकी इंसाफ के लिए दर-दर भटक रही है। पति की मौत के बाद ससुराल वालों ने उसे घर से निकाल दिया और नौकरी ननद को दे दी गई।

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पति खोया, ससुराल से निकाली गई! Image Source - 'X' @INCIndia

UP dalit mob lynching news: उत्तर प्रदेश के फतेहपुर की रहने वाली रिंकी का दर्द शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। वह बताती हैं, “ससुराल गई तो ननद, सास और देवर ने मेरा गला दबा दिया। सुहाग उतरने भी नहीं दिया और घर से निकाल दिया।” अब वह अपनी 11 साल की बेटी को लेकर पिता के घर रह रही हैं।

सरकार ने नौकरी देने का आश्वासन दिया था, लेकिन नौकरी ननद को दे दी गई। “मेरे ससुर पेंशन पाते हैं, ननद कल शादी के बाद अपने घर चली जाएगी, तो मैं बेटी को लेकर कहां जाऊंगी?” - यह सवाल संगीता का आज भी पीछा नहीं छोड़ता।

मॉब लिंचिंग में गई जान

1 अक्टूबर की रात रायबरेली के ऊंचाहार में 38 वर्षीय हरिओम वाल्मीकि की ग्रामीणों ने चोर समझकर पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। हरिओम के परिजनों के मुताबिक, वह पैदल अपनी ससुराल जा रहे थे, जब रास्ते में उन्हें ड्रोन चोर समझ लिया गया और बेरहमी से मारा गया। ग्रामीणों ने शव को नहर पुलिया के पास फेंक दिया। इस अमानवीय घटना के बाद राजनीतिक दौरे और बयानबाजी शुरू हो गई पर न्याय की दिशा में अब तक ठोस कदम नहीं उठे।

राहुल गांधी पहुंचे फतेहपुर

रायबरेली सांसद राहुल गांधी, प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और विधायक आराधना मोना मिश्रा समेत कई कांग्रेस नेता हरिओम के घर पहुंचे। राहुल गांधी ने पिता गंगादीन, मां केवला देवी और बहनों से मुलाकात की, पर हरिओम की पत्नी संगीता और बेटी अनन्या को मिलने का अवसर नहीं दिया गया। राहुल गांधी के आने से पहले ही हरिओम की ननद कुसुम को संविदा पर मेडिकल कॉलेज में नर्स की नौकरी दे दी गई, जिससे रिंकी का दर्द और बढ़ गया।

दिमागी रूप से कमजोर’ बताया गया हरिओम

फतेहपुर के तुरावली गांव में किराने की दुकान चलाने वाले मंगलदीन बताते हैं कि हरिओम कुछ साल पहले नागपुर के मानसिक चिकित्सालय में भर्ती था। पड़ोसी रामरतन ने बताया कि शादी के समय हरिओम की मानसिक हालत ठीक नहीं थी, लेकिन पिता की सरकारी नौकरी देखकर लड़कीवालों ने रिश्ता तय कर दिया। बाद में ससुराल वालों को सच्चाई पता चली।

ससुराल में झगड़े और तानों से टूटी संगीता की जिंदगी

संगीता बताती हैं, “शादी के बाद मेरी सास और ननदों ने मुझे चैन से जीने नहीं दिया। चोरी के झूठे आरोप लगाते, ताने मारते और कहते कि मैंने हरिओम पर जादू-टोना करा दिया है।” परेशान होकर वह मायके में आ गईं, जहां एनटीपीसी परिसर के एक बैंक में चपरासी की नौकरी मिलने के बाद बेटी के साथ जीवन चलाने लगीं। पर पति से उनका भावनात्मक रिश्ता कभी टूटा नहीं।

हरिओम पैदल 60 किलोमीटर चलकर पत्नी और बेटी से मिलने आता था

हरिओम का जब भी बेटी से मिलने का मन करता, तो 60 किलोमीटर पैदल चलकर आता। वापसी में पत्नी उसे गाड़ी में बैठाकर पैसे देकर भेजती थी। लेकिन 1 अक्टूबर को वह यात्रा उसकी आखिरी साबित हुई।

पोस्टमॉर्टम के बाद भी नहीं मिला सम्मान

2 अक्टूबर को पुलिस ने मोबाइल पर फोटो भेजकर शव की पहचान कराई। तस्वीर देखकर रिंकी सन्न रह गईं। रिंकी बताती हैं, “पोस्टमॉर्टम के बाद जब शव लेकर ससुराल पहुंची, तो सास, देवर और ननद ने गला दबाकर मुझे मारा। मेरे सुहाग की मिट्टी उठाने तक नहीं दिया।” पड़ोसियों और पिता की मदद से अंतिम संस्कार पूरा हुआ, लेकिन उन्हें घर से निकाल दिया गया।

तेरहवीं अब तक नहीं हुई, ससुरालवाले नौकरी और पैसों की दौड़ में

हत्या के 16 दिन बीत जाने के बाद भी हरिओम की तेरहवीं नहीं हुई। संगीता का आरोप है कि ससुराल वाले तेरहवीं इसलिए नहीं कर रहे क्योंकि वे मुआवजे और नौकरी के बंटवारे को लेकर राजनीति में जुटे हैं। वह कहती हैं कि मुझे उम्मीद है कि योगी सरकार मुझे और मेरी बेटी को न्याय देगी।


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