बिहार में चुनाव की तारीखें जारी होने के बाद लग जाएगी आचार संहिता। (फोटो : फ्री पिक)
शादाब अहमद
नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के साथ ही राजनीतिक जंग का मैदान अब सोशल मीडिया पर ज्यादा गरमा गया है। इस बार सबसे बड़ा ‘हथियार’ बना है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ)। सत्ताधारी एनडीए हो या फिर विपक्षी महागठबंधन खुद के कार्यक्रमों और प्रचार के साथ एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप के लिए भी एआइ से बने वीडियो और फोटो जमकर काम में ले रहे हैं। इस तरह की सामग्री से कई बार निजी हमले भी किए जा रहे हैं। इस बीच चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को चेताया है कि वे प्रचार में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित गलत और भ्रामक वीडियो का इस्तेमाल न करें। आदर्श आचार संहिता के नियम सिर्फ जमीनी प्रचार तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि सोशल मीडिया और इंटरनेट पर साझा की जा रही सामग्री पर भी पूरी तरह लागू होते हैं।
1. कांग्रेस ने पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी मां से जुड़ा वीडियो बनाकर वायरल किया था। इस पर भाजपा ने आपत्ति जताई थी।
2. भाजपा ने ‘तबेला टाइम्स’ और ‘हम समय बानी’ सीरिज में लालू काल की नीतियों और परिवारवाद को कटघरे में खड़ा किया
3. कांग्रेस का ‘बवाल बिहारी’ और ‘वोट चोरी’ सीरिज बेरोजगारी और चुनावी गड़बडिय़ों पर केंद्रित। पीएम मोदी और चुनाव आयोग पर तंज कसते वीडियो वायरल हुए
4. जेडीयू नीतीश सरकार की सफलता के साथ लालू को निशाने पर लेने वाले बना रही वीडियो
4. सभी दल एआइ से वोक्स पोप बनाकर वायरल कर रहे हैं
बड़ी पार्टियों ने अब अपनी आईटी सेल में एआइ विशेषज्ञ रख लिए हैं। ये लोग न सिर्फ कंटेंट तैयार कर रह हैं बल्कि यह भी तय करते हैं कि किस समय और किस प्लेटफॉर्म पर उसे वायरल करना है।
चुनाव आयोग ने कहा कि किसी भी पार्टी या उम्मीदवार की आलोचना केवल उनकी नीतियों, कार्यक्रमों, पूर्व रिकॉर्ड और कार्यों तक सीमित रहनी चाहिए। निजी जीवन पर टिप्पणी पर रोक है। इसके अलावा किसी भी राजनीतिक दल या उनके कार्यकर्ताओं के खिलाफ बिना पुष्टि के आरोप या जानकारी को तोड़-मरोड़ कर पेश करना गलत है और इसे सख्ती से रोका जाएगा। आयोग ने गहरी चिंता जताई कि कुछ लोग एआइ टूल्स की मदद से डीप फेक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर गलत सूचना फैला रहे हैं, जिससे चुनावी माहौल को दूषित किया जा सकता है। आयोग ने एआइ-जनरेटेड या डिजिटल रूप से बदला गया कंटेंट पर साफ-साफ टैग लगाना अनिवार्य किया है। टैग में एआइ-जेनरेटेड, डिजिटली एनहांस्ड या सिंथेटिक कंटेंट जैसे शब्द स्पष्ट रूप से लिखे जाने चाहिए ताकि जनता को कोई भ्रम न हो।
Published on:
10 Oct 2025 12:32 pm
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