आस्था व उल्लास से मनाया गया शरद पूर्णिमा का पर्व
घर से लेकर मंदिरों तक में दिनभर धार्मिक कार्यक्रम हुए।
शाम को भगवान को खीर का भोग चढ़ाकर चांद की रोशनी में अमृतपान किया गया।
मंदिरों में सुंदरकांड और भक्ति गीतों का आनंद भी उमड़ा
ठाकुरजी को खीर का भोग लगाकर श्रद्धालुओं को वितरित किया गया।