प्रयागराज: पिछले एक हफ्ते से गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। अगर ऐसा ही रहा तो अगले कुछ दिनों में 1978 की बाढ़ का रिकॉर्ड टूट सकता है। केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक, गंगा का जलस्तर फाफामऊ में 88.390 मीटर और यमुना का जलस्तर नैनी में 87.990 मीटर तक पहुंचने का रिकॉर्ड है। रविवार रात तक गंगा का जलस्तर फाफामऊ में 85.87 मीटर और यमुना का जलस्तर नैनी में 85.82 मीटर हो गया। जानकारों का कहना है कि अगले दो दिन और जलस्तर बढ़ सकता है। इसके चलते प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है।
पिछले कुछ सालों के आंकड़ों पर नजर डालें तो फाफामऊ में 2021 में जलस्तर 86.04 मीटर, 2022 में 85.93 मीटर, 2023 में 81.250 मीटर और 2024 में 84.07 मीटर था। लेकिन 2025 में गंगा और यमुना का बढ़ता जलस्तर चिंता का सबब बन गया है।
कछारी इलाकों समेत दो दर्जन से ज्यादा मोहल्लों में बाढ़ का पानी घुस गया है। करीब 1 लाख घर प्रभावित हुए, जिसमें प्रयागराज के 10,000 से अधिक घर पूरी तरह जलमग्न हो गए। 12,000 से अधिक लोग अपने घरों से विस्थापित हुए हैं, जो राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं। छोटा बघाड़ा जैसे निचले इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
कुछ स्थानों पर लोगों को मोबाइल चार्जिंग के लिए नाव से 2 घंटे का सफर करना पड़ रहा है, जबकि कई इलाकों में सड़कें और रास्ते डूब गए हैं। अगर नुकसान की बात की जाए तो सड़कों और मकानों को भारी नुकसान पहुंचा है, जिसमें 95 करोड़ की सड़क भी शामिल है जो बह गई।
1978 की बाढ़ को शहर के सबसे भीषण बाढ़ों में गिना जाता है। उस समय गंगा का जलस्तर फाफामऊ में 87.98 मीटर और छतनाग में 88.03 मीटर तक पहुंच गया था, जबकि यमुना नैनी में 87.98 मीटर रिकॉर्ड की गई थी। उस बाढ़ ने मुंफोर्डगंज, मुठ्ठीगंज जैसे इलाकों को पूरी तरह जलमग्न कर दिया था, और लोग नावों से पहले मंजिलों तक पहुंचते थे।
शहर में नालों की साफ-सफाई ठीक से नहीं होने और बाढ़ के पानी के दबाव के कारण 50 से ज्यादा मोहल्लों में गंदा पानी घरों में घुस गया है। कई जगह पेड़ और घर भी गिर गए हैं। हालांकि, अपर नगर आयुक्त दीपेंद्र चौधरी का कहना है कि जलभराव की स्थिति इतनी गंभीर नहीं है, लेकिन पानी घुसने से लोगों को परेशानी जरूर हो रही है।
गंगा-यमुना के अलावा केन, चंबल और बेतवा नदियों का जलस्तर भी तेजी से बढ़ रहा है। इससे जिले की 10 से ज्यादा सड़कें बंद हो गई हैं। नदियों का पानी बढ़ने पर प्रशासन ने सभी गेट बंद कर दिए हैं। बाढ़ से बचाव के लिए बक्शी बांध, बेनी बांध, यमुना बांध नंबर एक और दो बनाए गए हैं। निचले इलाकों से पानी निकालने के लिए बक्शी बांध, मोरी गेट, बलुआघाट, गम्फोर्डगंज, यमुना गेट नंबर एक और दो, यमुना बैंक रोड, कटघर में चार अस्थाई पंपिंग स्टेशन भी लगाए गए हैं।
Updated on:
04 Aug 2025 09:44 pm
Published on:
04 Aug 2025 09:43 pm