Udanti-Sitanadi Tiger Reserve (Photo source- Patrika)
उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में प्रकृति ने अपनी रंगीन छटा बिखेरी है। यहां अनेक दुर्लभ तितलियों की उपस्थिति दर्ज की गई है, जिनमें बैंडेड पिकॉक, ब्लू मॉरमॉन, कॉमन पैंसी और ब्लू टाइगर जैसी खूबसूरत प्रजातियां शामिल हैं। मानसून के बाद जंगल में तितलियों की यह उड़ान न केवल देखने के लिए है, बल्कि स्थानीय पारिस्थितिकीय तंत्र और वनस्पतियों के परागण के लिए भी लाभकारी है। उपनिदेशक वरूण जैन के अनुसार, रिजर्व में तितलियों के लिए अनुकूल वातावरण और पर्याप्त भोजन उपलब्ध है। इस दौरान स्पॉट बेलिड ईगल जैसी दुर्लभ पक्षी प्रजातियों की उपस्थिति भी दर्ज की गई।
उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में अनेक दुर्लभ प्रजाति की तितलियाें का आगमन हुआ है। हाल ही में 6 प्रमुख व आकर्षक तितलियों की मौजूदगी वन विभाग ने दर्ज की है। एक्सपर्ट बताते हैं कि अमूूमन मानसून के बाद तितलियों का आगमन होता है। इस समय वनस्पतियों में नई कोमलता और मधुरता आती है। तितलियों के आगमन से स्थानीय पारिस्थितिकीय तंत्र को भी लाभ होता है।
वनस्पतियों के परागण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक वरूण जैन ने बताया कि उदंती सीतानदी क्षेत्र में तितलियों की अनेक प्रजातियां पाई जाती है। इनमें कई आकर्षक व सुंदर तितलियां भी शामिल हैं। प्रमुख रूप से यहां बैंडेड पिकॉक, ब्लू मॉरमॉन, कॉमन मॉरमॉन, कॉमन-जे, नवाब, राजा, ब्लू टाइगर, ग्रास ब्लू, वांडरर, कॉमन पैंसी, कॉमन इवनिंग ब्राउन दिखाई पड़ते हैं। इनमें से कुछ तितलियां अत्यंत दुर्लभ मानी जाती है।
दुर्लभ तितलियों की उपस्थिति इस क्षेत्र की जैवविविधता की समृद्धि को दर्शाता है। यहां की जलवायु वनस्पति और शांत वातावरण इन दुर्लभ प्रजातियों को फलने-फूलने का अवसर देता है। यह क्षेत्र तितलियों के गहन अध्ययन और फील्ड रिसर्च के लिए उपयुक्त है। अधिकारी ने दावा किया कि उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में स्पॉट बेलिड ईगल आऊल भी कैमरे में कैप्चर हुआ है। उन्हाेंने बताया कि इसकी ऊंचाई लगभग 2.2 से 2.5 फीट तक होगी।
जंगल में जब सूरज की रौशनी से झिलमिलाते पंखों वाली तितलियां उड़ती हैं तो यह नजारा मन मोहने वाला होता है। उपनिदेशक वरूण जैन ने बताया कि उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व में तितलियों के लिए अनुकूल वातावरण के साथ ऊर्जा (भोजन) उपलब्ध है। तितलियों की ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत फूलों का रस है। इसके अलावा सड़े-गले फल, पेड़ों का रस (जब फूल नहीं होते तब यह विकल्प), कीचड़ वाले पानी के गड्ढे (खनिज और लवण प्राप्त करने के लिए) भोजन के प्रमुख स्त्रोत हैं।
देश में लगभग 1500 प्रजातियों की तितलियां पाई जाती हैं, जो अपनी रंग-बिरंगी पंखों और विविध आकार के कारण पर्यावरण और पारिस्थितिक तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये तितलियां मुख्य रूप से वन, घास के मैदान, उद्यान और रिजर्व क्षेत्रों में देखने को मिलती हैं।
तितलियां फूलों का रस पीती हैं और परागण (pollination) में मदद करती हैं, जिससे पौधों की प्रजनन क्षमता बढ़ती है।
कुछ प्रजातियां अत्यंत दुर्लभ हैं और केवल विशेष वन्य क्षेत्रों जैसे टायगर रिजर्व में पाई जाती हैं।
मानसून के बाद उनकी संख्या और गतिविधि अधिक होती है, क्योंकि वनस्पतियों में नई कोमलता और फूलों की उपलब्धता बढ़ जाती है।
तितलियां पारिस्थितिक तंत्र की स्वास्थ्य सूचक भी मानी जाती हैं; उनकी उपस्थिति से इलाके की जैवविविधता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
Updated on:
12 Oct 2025 02:41 pm
Published on:
12 Oct 2025 02:40 pm
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