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छत्तीसगढ़ में “बस्तर बीयर” के नाम से मशहूर सल्फी, जानिए इसकी कुछ अनसुनी और रोचक बातें…

Bastar Beer(Sulfi): छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के लिए सल्फी एक पारंपरिक और महत्वपूर्ण पेय है, जो विशेष रूप से बस्तर क्षेत्र में अत्यधिक लोकप्रिय है।

छत्तीसगढ़ में "बस्तर बीयर" के नाम से मशहूर सल्फी, जानिए इसकी कुछ अनसुनी और रोचक बातें...(photo-patrika)
छत्तीसगढ़ में "बस्तर बीयर" के नाम से मशहूर सल्फी, जानिए इसकी कुछ अनसुनी और रोचक बातें...(photo-patrika)

Bastar Beer: छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के लिए सल्फी एक पारंपरिक और महत्वपूर्ण पेय है, जो विशेष रूप से बस्तर क्षेत्र में अत्यधिक लोकप्रिय है। इसे ताड़ प्रजाति के एक विशेष पेड़ से निकाला जाता है और स्थानीय लोग इसे "बस्तर बीयर" के नाम से भी जानते हैं। सल्फी का रस निकालने की प्रक्रिया काफी पारंपरिक होती है, जिसमें ग्रामीण या आदिवासी लोग पेड़ पर चढ़कर एक बर्तन को रस संग्रहण के लिए बांधते हैं।

इसके बाद पेड़ में एक हल्का सा कट लगाया जाता है, जिससे धीरे-धीरे रस टपककर बर्तन में एकत्रित होता है। यह रस ताजा अवस्था में मीठा और पौष्टिक होता है, जिसे तुरंत पीया जाता है। हालांकि यदि इसे कुछ समय तक धूप में रखा जाए, तो यह किण्वित होकर हल्का नशीला बन जाता है। सल्फी न केवल एक पारंपरिक पेय के रूप में जानी जाती है, बल्कि यह स्थानीय संस्कृति, परंपरा और जीविका से भी गहराई से जुड़ी हुई है।

Bastar Beer: आदिवासियों का पेय

सल्फी छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के लिए एक पारंपरिक और अत्यंत महत्वपूर्ण पेय है, विशेष रूप से बस्तर क्षेत्र में। यह पेय न केवल उनकी संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है, बल्कि सामाजिक और धार्मिक आयोजनों में भी इसकी खास भूमिका होती है। सल्फी का रस ताड़ प्रजाति के एक विशेष पेड़ से निकाला जाता है। इसे “बस्तर बीयर” के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह ताजगी देने वाला और कभी-कभी हल्का नशीला भी हो सकता है।

प्राकृतिक तरीका और उपयोग

सल्फी निकालने की प्रक्रिया पूरी तरह पारंपरिक होती है। पेड़ पर चढ़कर उसमें हल्का कट लगाया जाता है और एक बर्तन बांधकर रस इकट्ठा किया जाता है। यह रस सुबह-सुबह ताजा पीने योग्य होता है और स्वाद में मीठा तथा ठंडक देने वाला होता है। कुछ घंटों के भीतर ही यह किण्वित होकर हल्का नशीला हो जाता है, जिससे इसे सीमित मात्रा में ही सेवन किया जाता है।

आर्थिक और सामाजिक महत्व

सल्फी न केवल एक पेय है, बल्कि आदिवासी समुदाय के लिए आय का स्रोत भी है। यह गर्मी के मौसम में अधिक मात्रा में निकाली जाती है और स्थानीय बाजारों में बेची जाती है। इसके अलावा, यह पेय सामाजिक मेलजोल, उत्सव और रिश्तों की पहचान का माध्यम भी है, जिससे यह आदिवासी जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है।

सल्फी के बारे में कुछ रोचक बातें

बस्तर बीयर के नाम से प्रसिद्ध: सल्फी को स्थानीय लोग “बस्तर बीयर” के नाम से जानते हैं क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से किण्वित होकर हल्का नशीला प्रभाव देती है, फिर भी यह पूरी तरह देसी और पारंपरिक है।

पेड़ से सीधे मिलने वाला पेय: सल्फी का रस सीधे ताड़ जैसे पेड़ से निकाला जाता है, जिसमें किसी कृत्रिम प्रक्रिया या मिलावट की जरूरत नहीं होती। यह इसे पूरी तरह जैविक और प्राकृतिक पेय बनाता है।

सुबह मीठी, दोपहर तक नशीली: सल्फी का ताजा रस सुबह के समय मीठा और ताजगी देने वाला होता है, लेकिन जैसे-जैसे दिन चढ़ता है और धूप लगती है, यह किण्वित होकर नशीली हो जाती है।

स्वास्थ्य लाभ भी जुड़े हैं: पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार सल्फी शरीर को ठंडक देने, थकान दूर करने और पाचन में मदद करने वाला पेय माना जाता है, खासकर गर्मी के मौसम में।

आदिवासी संस्कृति का प्रतीक: सल्फी केवल एक पेय नहीं, बल्कि बस्तर की आदिवासी संस्कृति, रीति-रिवाज और सामाजिक परंपराओं का अभिन्न हिस्सा है। इसे पर्व-त्योहार, विवाह, और अन्य सामुदायिक आयोजनों में विशेष रूप से परोसा जाता है।