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La Nina: ‘छोटी बच्ची’ की वजह से सर्दी बढ़ने का क्या है कनेक्शन, भारत में कड़ाके की ठंड पड़ने के आसार

La Nina Kya Hai : अक्टूबर के आने के साथ ही भारत में हल्की ठंड पड़नी शुरू हो गई है। इस बार El Nino के कारण भारत में कड़ाके की सर्दी पड़ सकती है। आइए, जानते हैं कि ये ला नीनो क्या है?

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La Nina की प्रतीकात्मक फोटो | डिजाइन- पत्रिका

La Nina Kya Hai : अक्टूबर का महीना शुरू हो गया है और मौसम अपने रंग बदलने लगा है। अब सुबह और शाम के वक्त ठंड का हल्का अहसास होने लगा है। आम तौर पर हम जानते हैं कि मौसम बदलते ही सर्दी, गर्मी या बारिश आती है, लेकिन इसके पीछे का मौसम विज्ञान (Weather Science) काफी दिलचस्प है। इसी से जुड़ा एक शब्द है- ला नीना (La Nina)। आइए समझते हैं इस “छोटी बच्ची” का मौसमी असर।

La Nina Latest Update: ला नीना की लेटेस्ट जानकारी

ला नीना लगातार दूसरे साल लौट आई है, जिससे इस बार सर्दियों में अमेरिका के मौसम पर असर पड़ सकता है। नेशनल क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर (NOAA) के अनुसार, प्रशांत महासागर के मध्य भाग का तापमान औसत से 0.5°C कम दर्ज किया गया है, जिसके चलते ला नीना एडवाइजरी जारी की गई है। यह ठंडा पड़ने वाला पैटर्न एल नीनो–दक्षिणी दोलन (ENSO) चक्र का हिस्सा है।

क्या है ला नीना (What Is La Nina)

‘ला नीना’ एक स्पेनी (Spanish) शब्द है, जिसका अर्थ है “छोटी बच्ची”। यह एक जलवायु घटना है, जो प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) के पूर्वी भाग में तब होती है जब समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से ठंडा हो जाता है।

वॉकर सर्कुलेशन (Walker Circulation)

इस दौरान पूर्व से पश्चिम की ओर चलने वाली सामान्य हवाएं और अधिक शक्तिशाली होने के बाद गर्म पानी को पश्चिम की ओर धकेल देती हैं। इस प्रक्रिया को वॉकर सर्कुलेशन (Walker Circulation) कहा जाता है।

एल नीनो (El Nino) का अर्थ : “छोटा लड़का” या “क्राइस्ट चाइल्ड”

यह तब होता है जब पूर्वी प्रशांत महासागर की सतह का तापमान सामान्य से अधिक गर्म हो जाता है। इस घटना को सबसे पहले 1600 के दशक में पेरू के मछुआरों ने देखा था। उन्होंने नोट किया कि दिसंबर के आसपास दक्षिण अमेरिकी तट पर समुद्र का पानी असामान्य रूप से गर्म होता है, इसलिए उन्होंने इसे “El Nino de Navidad” नाम दिया। वहीं, ला नीना (La Nina) इसका उलटा चरण है, जब यही क्षेत्र सामान्य से अधिक ठंडा हो जाता है।

Is bar thand kitni padegi | भारत पर ला नीना का असर

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के अनुसार, इस साल भारत में सामान्य से अधिक सर्दी पड़ने की संभावना है। मौसमी आंकड़ों से संकेत मिल रहे हैं कि प्रशांत महासागर में ला नीना की स्थिति विकसित हो सकती है।

2020 से 2022 के बीच दुनिया ने असामान्य रूप से लंबी ला नीना अवधि का अनुभव किया था। इसके बाद 2023 में एल नीनो की स्थिति बनी, जिससे वैश्विक तापमान बढ़ा और गर्मी 2024 तक बनी रही। अब 2025 में एक बार फिर ला नीना जैसी स्थितियों के संकेत मिल रहे हैं, जिसके चलते भारत में औसत से अधिक ठंड देखी जा सकती है।

भारत में कहां सबसे अधिक असर होने की संभावना?

ला नीना का असर भारत के उत्तर और उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में अधिक महसूस किया जा सकता है। जैसे- दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पंजाब में। ये भी जान लें कि ला नीना सीधे भारत में एंट्री नहीं मारता, लेकिन यह प्रशांत महासागर में शुरू होने वाली एक बड़ी वायुमंडलीय घटना है जो पूरी दुनिया के मौसम को प्रभावित करती है। इसके चलते भारत में सर्दी और वर्षा के पैटर्न में बदलाव देखने को मिलता है।