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150 साल पुराने हटरी बाजार की ऐतिहासिक परंपरा बरकरार, ग्रामीण आज भी आते हैं खरीदारी के लिए, जानें क्या है खासियत?

Durg Hatri Bazar: दुर्ग शहर के हृदयस्थल में स्थित हटरी बाजार लगभग डेढ़ सौ साल पुराना है। यह बाजार ग्रामीण और शहरवासियों दोनों के लिए प्रमुख खरीदारी केंद्र है।

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डेढ़ सौ साल पुराना दुर्ग का हटरी बाजार (Photo source- Patrika)

डेढ़ सौ साल पुराना दुर्ग का हटरी बाजार (Photo source- Patrika)

दुर्ग शहर के हृदयस्थल में स्थित हटरी बाजार अपनी ऐतिहासिक धरोहर और व्यस्तता के लिए जाना जाता है। इस बाजार की स्थापना का कोई रिकॉर्ड नहीं हैं, लेकिन कुछ दुकानदारों के पास 1913 में जमा किए गए बाजार टैक्स की रसीद आज भी है, ऐसे में अनुमान लगाया गया है कि यह बाजार करीब डेढ़ सौ साल पुराना है।

हटरी बाजार एक मिश्रित बाजार है, जहां दैनिक जरूरत की वस्तुओं से लेकर सोने-चांदी के आभूषण, बर्तन, कपड़े और ताला-चाबी की दुकानें सभी एक ही जगह मिल जाती हैं। यहाँ की घनी आबादी और हलचल इसे शहर का प्रमुख व्यावसायिक केंद्र बनाती है।

ग्रामीण आज भी आते हैं खरीदारी करने

भिलाई शहर के कारखाना स्थापित होने के बाद धीरे-धीरे आबाद हुआ, लेकिन हटरी बाजार की ऐतिहासिक परंपरा आज भी बरकरार है। पहले दूर-दराज के गांवों के लोग यहां खरीदारी करने आते थे, खासकर किराने और कपड़े की दुकानों के लिए। लोग गुड़, शक्कर, नून, तेल, चावल और दाल जैसी दैनिक जरूरत की चीजें लेने आते थे।

शहर के विकास के साथ-साथ बाजार में अन्य प्रकार की दुकानें भी खुलने लगीं, जिससे यह एक मिश्रित और व्यस्त बाजार बन गया। जब दुर्ग नगर पालिका परिषद का गठन हुआ, तब बाजार को व्यवस्थित किया गया और आज यह शहर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के लिए प्रमुख खरीदारी केंद्र बना हुआ है।

बाजार का पांच कंडिल

हटरी बाजार के गांधी चौक क्षेत्र को पांच कंडिल कहा जाता है। जब दुर्ग में बिजली नहीं थी, तब गांधी चौक पर पांच लालटेन (कंडिल) जलाई जाती थी। लालटेन जलाने का काम दुर्ग के कोटवार करते थे। पुराने लोग आज भी क्षेत्र को पांच कंडिल ही कहते हैं।

बाजार में मिलने वाले प्रमुख सामान

पूजन सामग्री: अगरबत्ती से लेकर लाल कपड़ा, चुनरी, झंडी, गुलाल, बंदन, नारियल, पान सुपारी समेत पूजा के तमाम तरह के समान यहां उपलब्ध हैं।
कपड़ा: साड़ी, धोती, चादर, गमछा, गद्दा तकिया से लेकर हर तरह के सामान्य व आधुनिक रेडीमेड कपड़ों की दुकानें हैं।

जूता चप्पल: साधारण जूता चप्पल से लेकर बड़ी कंपनियों के जूते चप्पल इस बाजार में मिल जाते हैं।

मनिहारी: मनिहारी की दुकानें एक कतार से हैं। यहां चूडिय़ां, टिकली, बिंदी से लेकर महिलाओं के सौंदर्य प्रसाधन की चीजें व आर्टिफिशियल ज्वेलरी उपलब्ध हैं। दूल्हा दुल्हन के वस्त्र व शृंगार के सामान भी मिलते हैं।

अनाज: बाजार में एक तरफ बाकायदा अनाज की लाइन है। यहां हर तरह के दलहन तिलहन से लेकर चावल गेहूं उपलब्ध है। 30 से अधिक अनाज दुकानें हैं।

खाद्य व अन्य तेल: खाद्य तेल के साथ ही नारियल, सरसों तिल, समेत कई तरह के ठंडा व सुगंधित तेल उपलब्ध है। खाद्य तेल की अलग व सुगंधित तेलों की अलग दुकानें हैं।

बर्तन: फूलकांस, तांबा, पीतल से लेकर स्टील के बर्तन मिलते हैं। कुकर, कप प्लेट, क्रॉकरी व रसोई में उपयोग कई अन्य तरह के आधुनिक बर्तन उपलब्ध हैं।

फल सब्जी: सेब, केला, पपीता, अनार संतरा, आम अमरूद, सीताफल समेत तमाम तरह के मौसमी फलों के ठेले, गुमठी व पसरे लगे रहते हैं। धनिया मिर्च से लेकर हर तरह की हरी सब्जियां मिलती हैं।

सराफा: हटरी बाजार में गांधी चौक लाइन में कतार से सराफा दुकानें हैं।