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गोबर के दीयों से रौशन होंगे घर, आत्मनिर्भरता की लौ जलाती स्वसहायता समूहों की महिलाएं

Diwali 2025: दीपावली पर बालोद की महिलाओं ने गोबर और मिट्टी से पर्यावरण मित्र दीये बनाकर आत्मनिर्भरता की नई मिसाल पेश की। बिहान योजना से बदल रही जिंदगी।

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गोबर के दीयों से रौशन होंगे घर (Photo source- Patrika)

गोबर के दीयों से रौशन होंगे घर (Photo source- Patrika)

दीपावली रोशनी का त्योहार है, लेकिन इस बार बालोद जिले की महिलाएं सिर्फ दीये नहीं जला रहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता की लौ भी प्रज्वलित कर रही हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) से जुड़ी इन महिलाओं ने गोबर और मिट्टी से ऐसे आकर्षक दीये तैयार किए हैं, जो न केवल घरों को रौशन करेंगे बल्कि उनके जीवन में भी नई चमक भर देंगे।

स्वसहायता समूहों की ये महिलाएं अब पारंपरिक सीमाओं से निकलकर स्वरोजगार की नई मिसाल पेश कर रही हैं — कभी राखी बनाकर तो कभी हर्बल गुलाल, और अब दीपावली पर पर्यावरण-हितैषी दीये बनाकर। (Balod Women's Group) ये दीये सिर्फ सजावट का हिस्सा नहीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण, आत्मनिर्भरता और ग्रामीण नवाचार का प्रतीक बन चुके हैं।

महिला समूह की महिलाओं ने हर घर को किया रौशन

महिला समूह की महिलाओं ने गोबर के दीये बनाए हैं, जिनसे लोगों के घर रोशन होंगे। नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन बिहान महिला सशक्तिकरण (Lakhpati Didi) की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है। इसके तहत महिला सेल्फ-हेल्प ग्रुप, विलेज ऑर्गनाइजेशन और क्लस्टर लेवल ऑर्गनाइजेशन बनाए गए हैं, जिन्हें महिलाएं ही ऑपरेट और मैनेज कर रही हैं। इससे उनकी कुशल लीडरशिप और आत्मविश्वास बढ़ा है। नतीजतन, ऑर्गनाइजेशन चलाने के साथ-साथ महिलाएं अलग-अलग सेल्फ-एम्प्लॉयमेंट और आजीविका के कामों में शामिल होकर अपने हुनर ​​को निखार रही हैं।

पूजन सामग्री, मिट्टी और गोबर के दीये बना रहीं महिलाएं

मुख्यमंत्री और विभागीय मंत्री की इच्छा के अनुसार, ग्रामीण महिलाओं को अलग-अलग इनकम वाले कामों से जोड़कर लखपति दीदी बनाने की पहल शुरू की गई है। रेगुलर कामों के अलावा, बिहान की महिलाओं को मौसमी प्रोडक्ट बनाने का भी बहुत शौक है। रक्षाबंधन पर राखियां बनाना, होली पर हर्बल गुलाल बनाना। (Diwali Products) दिवाली के त्योहार पर मिट्टी और गोबर से बने आकर्षक दीये और अगरबत्ती, धूप, हवन सामग्री जैसी अलग-अलग पूजा सामग्री बनाई जा रही हैं। जिले के 13 सेल्फ-हेल्प ग्रुप की 34 महिलाएं इस काम में लगी हुई हैं।

सरस मेला में भी बेच रहीं उत्पाद

डौंडी डेवलपमेंट ब्लॉक के कोटागांव गांव की प्रेमबती देवांगन बताती हैं कि वह मिट्टी और गोबर के दीये भी बनाती हैं। वह अब तक 2,000 दीये बनाकर 35,000 रुपये में बेच चुकी हैं। (Self-Help Group) बिहान के जरिए वह रायपुर के साइंस ग्राउंड में लगने वाले सरस मेले में भी इन्हें बेच रही हैं। जिले में करीब 8 लाख रुपये के दीये और पूजा का अलग-अलग सामान बिक चुका है।