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Diwali 2025: 62 साल बाद दीपावली पर दुर्लभ योग, 1963 में भाईदूज एक माह बाद मनानी पड़ी थी, जानिए इस बार कब करें लक्ष्मी पूजन?

Diwali 2025 Date:1963 में दीपावली 17 अक्टूबर को मनाई गई थी, लेकिन भाईदूज एक माह बाद मनाई गई थी। जानिए इस बार कब मनाएं ​दीपावली का त्योहार-

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diwali 2024

दीपावली की रौनक में नहाया जयपुर का एमआई रोड. फोटो अनुग्रह सोलोमन।

Diwali 2025 Date: सामान्यत: दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है, किंतु पंचांगों की गणना और सूर्यास्त के समय में सूक्ष्म अंतर के कारण कई बार देश के विभिन्न हिस्सों में दीपावली दो दिनों तक मनाई जाती है।

ऐसी ही स्थिति वर्ष 1962 और 1963 में भी बनी थी। विशेष बात यह रही कि 1963 में दीपावली 17 अक्टूबर को मनाई गई थी, लेकिन भाईदूज एक माह बाद मनाई गई थी, क्योंकि बीच में ही अधिक मास (पुरुषोत्तम मास) आ गया था।

कब मनाया जाना चाहिए दीपावली का त्योहार?

दीपावली के इतिहास पर नजर डालें तो वर्ष 1900 में 23 अक्टूबर और 1901 में 11 नवंबर को भी ऐसी ही स्थिति रही थी, जब दीपावली के दिन रात में अमावस्या नहीं थी।

फिर ऐसी स्थिति वर्ष 2024 में भी देखने को मिली, जब पंचांगों के मतभेद और सूर्यास्त के बाद अमावस्या तिथि आरंभ होने के कारण कुछ हिस्सों में दीपावली 31 अक्टूबर को, जबकि कुछ जगहों पर एक नवंबर को मनाई गई।

देश के पंचांगों में दिवाली की तिथि के भ्रम को दूर करने के लिए काशी विद्वत परिषद के विद्वानों ने अलग-अलग पंचांगों की गणनाओं की तुलना के बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कर पूरे देश में 20 अक्टूबर को ही धर्मशास्त्र और परंपराओं के हिसाब से दिवाली मनाना उचित बताया है।

पंचांगों के मतभेद से उलझन

जोधपुर के प्रमुख ज्योतिषियों के अनुसार देश के हर क्षेत्र में अलग-अलग पंचांगों का प्रयोग होता है और पंचांग गणना करने वाले विद्वानों की विधि भी भिन्न होती है। धर्मग्रंथों जैसे ‘धर्मसिंधु’ और ‘निर्णयसिंधु’ में भी अमावस्या की व्याप्ति को लेकर अलग-अलग मत पाए जाते हैं।

इसी कारण दीपावली पर्व का निर्णय प्रत्येक वर्ष सूर्यास्त और अमावस्या तिथि की स्थिति को देखकर किया जाता है। पं. ओमदत्त शंकर के अनुसार गणेश व लक्ष्मी पूजन परंपरानुसार स्थिर लग्न में किया जाता है।

जिस दिन सूर्यास्त के बाद एक घड़ी से अधिक तक अमावस्या रहे, उसी दिन दीपावली मानी जानी चाहिए। कालनिर्णय पंचांग भी इसी मत का समर्थन करता है।

प्रदोष काल में अमावस्या

इस वर्ष अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर दोपहर 3:45 बजे से प्रारंभ होकर 21 अक्टूबर शाम 5:55 बजे तक रहेगी। ‘धर्मसिंधु’ और ‘निर्णयसिंधु’ के अनुसार यदि अमावस्या दो दिन व्यापी हो, तो पहले दिन प्रदोष काल में दीपावली मनाना श्रेष्ठ माना है।

इस वर्ष 20 अक्टूबर की रात को निशीथ काल (मध्यरात्रि) और प्रदोष काल दोनों उपलब्ध रहेंगे। धर्मनिष्ठ लोग सूर्यास्त के बाद अल्पकालिक अमावस्या होने पर भी प्रदोषकाल तक लक्ष्मी पूजन कर सकते हैं।

देश के प्रमुख पंचाग धर्मसिंधु’, ‘निर्णयसिंधु’ और श्रीगंगा सभा पंचांग भी इस स्थिति में पूजन की अनुमति देते हैं।

  • पंडित अनीष व्यास, ज्योतिष

Diwali 2025 Date: प्रमुख तिथियां

  • धनतेरस– 18 अक्टूबर 2025 (शनिवार)
  • नरक चतुर्दशी / छोटी दीपावली – 19 अक्टूबर (रविवार)
  • दीपावली / लक्ष्मी पूजन – 20 अक्टूबर (सोमवार)
  • गोवर्धन पूजा – 22 अक्टूबर (बुधवार)
  • भाईदूज– 23 अक्टूबर (गुरुवार)