Diwali 2025
MP News: जितेंद्र वर्मा@patrika.com: महंगाई के इस दौर में मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम शहर के पान बाजार, परचून गली में 80 साल की पुरानी किराना दुकानों पर मजदूरों के घर दीपावली मनाने के लिए आज भी मात्र 70 रुपए की राशन पुड़िया मिलती है। दुकानदारों को भले ही इस पर कोई लाभ न होता हो, लेकिन इस पुडिय़ा में इतना सामान होता है कि मजदूर त्योहार के मौके पर अपने घर में पूड़ी, सजी और थोड़ी-सी मिठाई बनाकर खा सके। यह परंपरा आज भी दुकानदारों के सेवा भाव और मानवीय संवेदना की मिसाल बनी हुई है।
अंग्रेजी हुकूमत के दौर में शहर के मध्य में व्यापारियों ने परचून की दुकानें खोली थीं। तब गरीब, मजदूर और निम्नवर्गीय लोग दिनभर मेहनत कर शाम को इन्हीं दुकानों से राशन लेकर परिवार का पालन-पोषण करते थे। आज भी इस बाजार की 80 प्रतिशत ग्राहकी मजदूरों की ही है।
दुकानदार मजदूर ग्राहकों को भगवान समान मानते हैं। दीपावली पर विशेष रूप से 70 रुपए में दाल, चावल, तेल, मसाले, गुड़ और बेसन की लगभग 400 ग्राम की पुडिय़ा तैयार करते हैं। इस पुडिय़ा से मजदूर परिवार पूड़ी, सब्जी, दाल-चावल और बेसन से मिठाई बनाकर दिवाली कात्योहार मना सकते हैं। इससे उनके घर में भी खुशियों के दीप जलते हैं।
एमपी के नर्मदापुरम की इस मार्केट में कई बार मजदूरों के पास राशन के लिए पैसे भी नहीं होते, लेकिन दुकानदार उन्हें कभी खाली हाथ नहीं लौटाते। दुकानदार नारायण खंडेलवाल बताते हैं कि लगभग 80 साल पहले हमारा व्यापार इन्हीं मजदूरों से शुरू हुआ था। उनके सुख-दुख में साथ देना ही हमारा धर्म है। जब भी जरूरत होती है, हम सामथ्र्य अनुसार उनकी मदद करते हैं।
कोरोना महामारी के कठिन दौर में भी इन दुकानदारों ने मजदूरों का साथ नहीं छोड़ा। उस समय उन्होंने मात्र 20 रुपए में राशन पुड़िया देकर गरीबों की सहायता की। कई आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को मुफ्त में भी राशन दिया गया।
Updated on:
18 Oct 2025 10:44 am
Published on:
18 Oct 2025 09:15 am
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