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Bihar Chunav 2025: पहले चरण की 121 सीटों पर किसका पलड़ा भारी? जानें कहां कब डाले जाएंगे वोट?

Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा की 121 सीटों के लिए 6 नवंबर को मतदान होगा। ये 121 सीटें राज्य के 18 जिलों में फैली हैं। कब और किन सीटों पर मतदान होगा और किन क्षेत्रों में किसका पलड़ा भारी है। जानिए सबकुछ...

3 min read

पटना

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Anand Shekhar

Oct 07, 2025

Bihar Election 2025

बिहार चुनाव (फोटो : फ्री पिक)

Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल आखिरकार बज चुका है। इस बार का चुनाव कई मायनों में ऐतिहासिक है, क्योंकि 40 साल में पहली बार राज्य में केवल दो चरणों में मतदान कराया जाएगा। चुनाव आयोग ने सोमवार की शाम को घोषणा की कि पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को और दूसरे चरण का 11 नवंबर को होगा, जबकि मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी। पहले चरण में 121 सीटों पर वोट डाले जाएंगे और दूसरे चरण में 122 सीटों पर। लेकिन बड़ा सवाल है कि पहले चरण की इन 121 सीटों पर किसका पलड़ा भारी है?

NDA के गढ़ में पहली परीक्षा

पहले चरण में जिन जिलों में मतदान होना है, उनमें कुछ जिलों को छोड़ दें तो अधिकतर उत्तर बिहार के इलाके शामिल हैं। जैसे तिरहुत, मिथिलांचल और कोसी क्षेत्र, जो लंबे समय से NDA (भाजपा-जदयू गठबंधन) के मजबूत गढ़ माने जाते हैं। पिछले तीन विधानसभा चुनावों के आंकड़े बताते हैं कि इन इलाकों की लगभग 70 सीटें NDA के प्रभाव क्षेत्र में आती हैं। बीजेपी और जेडीयू का संगठनात्मक नेटवर्क यहां बेहद मजबूत है।

दरभंगा की 10 में से 9 सीटें फिलहाल NDA के पास हैं। मिथिलांचल की 46 सीटों में से 30 सीटें NDA ने पिछली बार जीती थीं। नालंदा की 7 में से 6 सीटें NDA के कब्जे में हैं। वहीं पटना जिले कि 13 सीटों की बात करें तो 5 एनडीए और 9 महागठबंधन के खाते में आई थी। इस लिहाज से पहले चरण की जंग NDA के लिए “मिशन डिफेंड” है। यानि अपने पुराने गढ़ को संभालना और महागठबंधन की सेंधमारी को रोकना।

पहले चरण में कहां-कहां डाले जाएंगे वोट

पहले चरण में जिन जिलों में वोटिंग होगी, वे हैं पटना, नालंदा, भोजपुर, बक्सर, शेखपुरा, लखीसराय, बेगूसराय, खगड़िया, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सहरसा, मधेपुरा, सिवान, गोपालगंज, सारण, वैशाली, समस्तीपुर। इन जिलों में कई सीटें ऐसी हैं जो पिछली बार बहुत कम अंतर से जीती या हारी गई थीं, यानी मुकाबला इस बार और भी दिलचस्प होगा।

  • पटना की 14 सीटें - मसौढ़ी, पालीगंज, बिक्रम, मनेर, फुलवारीशरीफ, दीघा, बांकीपुर, कुम्हरार, पटना साहिब, फतुहा, बाढ़, मोकामा, दानापुर, बख्तियारपुर।
  • दरभंगा की 9 सीटें - बेनीपुर, हायाघाट, दरभंगा ग्रामीण, दरभंगा शहरी, जाले, कियोटी, बहादुरपुर, गौरा बौराम, अलिनगर।
  • मुजफ्फरपुर की 11 सीटें - गायघाट, औराई, मीनापुर, बोचहां, सकरा, कुढ़नी, मुजफ्फरपुर, कांटी, बरुराज, पारू, साहेबगंज।
  • भोजपुर की 7 सीटें - आरा, अगिआंव, शाहपुर, बड़हरा, जगदीशपुर, तरारी, संदेश।
  • गोपालगंज की 6 सीटें - बैकुंठपुर, बरौली, भोरे, हथुआ, गोपालगंज, कुचायकोट।
  • सारण की 10 सीटें - तरैया, परसा, सोनपुर, छपरा, गरखा, अमनौर, मरहौरा, एकमा, मांझी, बनियापुर।
  • वैशाली की 8 सीटें - महुआ, लालगंज, वैशाली, पातेपुर, हाजीपुर, राघोपुर, राजापाकड़, महनार।
  • नालंदा की 7 सीटें - हरनौत, अस्थावां, इस्लामपुर, हिलसा, नालंदा, राजगीर, बिहारशरीफ।
  • बेगूसराय की 8 सीटें - चेरिया बरियारपुर, बखरी, तेघरा, मटिहानी, बेगूसराय, बछवाड़ा, साहबपुर कमल, मंझौल।
  • खगड़िया की 4 सीटें - परबत्ता, बेलदौर, अलौली, खगड़िया।
  • मुंगेर की 4 सीटें - जमालपुर, मुंगेर, तारापुर, लखनौर।
  • सिवान की 8 सीटें - सीवान, जीरादेई, दरौली, रघुनाथपुर, दरौंधा, बड़हरिया, गोरियाकोठी, महाराजगंज।
  • सहरसा की 4 सीटें - सिमरी बख्तियारपुर, सोनबरसा, महिषी, सहरसा।
  • मधेपुरा की 4 सीटें - आलमनगर (SC), बिहारीगंज, मधेपुरा, सिंहेश्वर (SC)।
  • लखीसराय की 2 सीटें - लखीसराय, सूर्यगढ़ा।
  • शेखपुरा की 2 सीटें - बरबीघा, शेखपुरा।
  • बक्सर की 4 सीटें - बक्सर, डुमरांव, राजपुर, ब्रह्मपुर।

NDA बनाम महागठबंधन , किसकी स्थिति मजबूत?

पहले चरण की 121 सीटों में NDA को जहां परंपरागत बढ़त है, वहीं महागठबंधन (RJD, कांग्रेस, वाम दल) इस बार अपने गठबंधन के नए तालमेल के दम पर इन इलाकों में चुनौती पेश करना चाहता है। RJD की रणनीति साफ है कि वह उत्तर बिहार के मुस्लिम-यादव (MY) वोट बैंक के साथ पिछड़ी जातियों को एकजुट करने की कोशिश में है, जबकि NDA का फोकस महादलित, अति पिछड़ा और महिला वोटरों पर रहेगा।

6 नवंबर को पहले चरण की वोटिंग

पहले चरण में मतदान की तारीख 6 नवंबर तय की गई है। इस चरण में कुल 121 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे और करीब 5.6 करोड़ मतदाता अपने प्रतिनिधियों का चयन करेंगे। इनमें महिलाओं की हिस्सेदारी करीब 48% है, जो हर चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा रही हैं।

छोटे दलों के लिए कठिन परीक्षा

चुनाव आयोग के इस बार दो चरणों में मतदान कराने के फैसले से छोटे दलों को बड़ा झटका लग सकता है। जानकारों का मानना है कि दो चरणों में चुनाव होने से संगठन और संसाधन वाले बड़े दलों को फायदा मिलेगा, जबकि छोटे क्षेत्रीय दलों के लिए प्रचार और संसाधन प्रबंधन मुश्किल होगा।