हाल में एक बार फिर दुनियाभर में आई भूस्खलन और बाढ़ की लगातार घटनाओं ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। असल में अब जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक संकट बन गया है, जिसके प्रभाव हर देश में अलग-अलग रूप में सामने आते हैं। अगर भारत और अमरीका जैसी शक्तियों की बात की जाए तो दोनों ही देश जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हो रहे हैं लेकिन इनके भौगोलिक, पर्यावरणीय और विकासात्मक अंतर के कारण इन प्रभावों की प्रकृति भिन्न है।
भारत में मानसूनी जलवायु के कारण वर्षा एक सीमित अवधि में अधिक मात्रा में होती है, जिससे पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। हिमालय घाटी, उत्तराखंड, हिमाचल और पूर्वोत्तर राज्यों में अत्यधिक वर्षा, हिमनदों के पिघलने और वनों की कटाई जैसे कारण भूस्खलन के पीछे प्रमुख हैं। दूसरी ओर, अमरीका में विशेष रूप से कैलिफोर्निया और वाशिंगटन जैसे राज्यों में जंगलों की आग, अचानक भारी वर्षा और पर्वतीय ढलानों पर बसे क्षेत्रों में मानवीय गतिविधियां भूस्खलन को जन्म देती हैं।
भारत में भूस्खलन के खतरे को भांपने और चेतावनी देने की प्रणाली सीमित है, जबकि अमरीका में अत्याधुनिक सैटेलाइट और मौसम पूर्वानुमान प्रणाली के माध्यम से अधिक प्रभावशाली पूर्व चेतावनी दी जाती है। भूस्खलन के कारण न केवल सडक़ों, पुलों और भवनों को क्षति पहुंच रही है, बल्कि पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का जीवन भी असुरक्षित हो गया है। 2023 में हिमाचल और उत्तराखंड जैसे राज्यों में लैंडस्लाइड और बाढ़ के चलते हजारों लोगों को विस्थापित होना पड़ा। स्कूल और अस्पताल क्षतिग्रस्त हुए और पर्यटकों की आवाजाही ठप पड़ी, जिससे इन राज्यों की अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर पड़ा।
हमें इस तथ्य की ओर देखना होगा कि यदि हमने जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से नहीं लिया, तो भारत में प्राकृतिक आपदाओं की संख्या और तीव्रता आने वाले वर्षों में और बढ़ेगी। नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं, पर्यावरणविदों और आम नागरिकों को मिलकर इस दिशा में सतर्कता और जागरूकता से काम करने की आवश्यकता है। समय की यह जरूरत न केवल शिक्षा और मीडिया के लिए उपयोगी है, बल्कि आपदा प्रबंधन, पर्यावरण नीति निर्माण और सतत विकास से जुड़े क्षेत्रों में कार्य कर रहे सभी लोगों के लिए मार्गदर्शन का कार्य करता है। जलवायु परिवर्तन जैसे सामयिक मुद्दे की प्रासंगिकता इसलिए और भी बढ़ जाती है, क्योंकि यह केवल समस्या को नहीं दर्शाता बल्कि समाधान की दिशा में सोचने के लिए भी प्रेरित करता है।
पहले जहां भूस्खलन केवल भारी वर्षा या भूकंप के बाद होता था, अब यह बिना किसी पूर्व सूचना के भी घटित हो सकता है। इसका मुख्य कारण है जलवायु में आए तेज बदलाव जैसे कि असामान्य और अत्यधिक वर्षा, बर्फबारी का असंतुलन और वनों की अंधाधुंध कटाई। जलवायु परिवर्तन ने न केवल वर्षा के स्वरूप को बदल दिया है, बल्कि यह भी देखा गया है कि अब वर्षा कम समय में अधिक मात्रा में होती है, जिससे मिट्टी की पकड़ कमजोर हो जाती है और ढलानों से मलबा फिसलने लगता है। हिमालयी राज्यों जैसे उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और जम्मू-कश्मीर में भूस्खलन की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।
साल 2023 में हिमाचल प्रदेश में रिकॉर्डतोड़ बारिश ने कई स्थानों पर बड़े भूस्खलनों को जन्म दिया, जिससे सैकड़ों घर और सडक़ें बर्बाद हो गईं। केरल और नॉर्थ-ईस्ट राज्यों में भी भारी वर्षा के बाद भूस्खलन आम हो गया है। जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि पहाड़ी इलाकों में सतही तापमान में वृद्धि से बर्फ तेजी से पिघल रही है और उसकी वजह से नीचे की चट्टानों की स्थिरता प्रभावित हो रही है। इसके साथ-साथ मानवीय गतिविधियां जैसे अवैज्ञानिक निर्माण, पेड़ों की कटाई और अवैध खनन भी इस संकट को और बढ़ा रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर साल औसतन 300 से अधिक भूस्खलन दर्ज किए जाते हैं। इनमें से कई जानलेवा साबित होते हैं और आर्थिक दृष्टि से भी नुकसान पहुंचाते हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और भारतीय मौसम विभाग ने भूस्खलन पूर्व चेतावनी प्रणाली की दिशा में कार्य प्रारंभ किया है, लेकिन इनका विस्तार सीमित क्षेत्रों तक ही है। भारत में विशेषकर उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, असम और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में भारी मानसूनी वर्षा और ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने के कारण भूस्खलन आम बात हो गई है। पहाड़ी क्षेत्रों में अंधाधुंध निर्माण, सडक़ चौड़ीकरण, वनों की कटाई और बढ़ती आबादी के कारण ढलानों की स्थिरता लगातार कमजोर हो रही है। 2023 में केवल हिमाचल प्रदेश में 80 से अधिक बड़े भूस्खलन दर्ज किए गए, जिससे जान-माल का भारी नुकसान हुआ। भारत में जलवायु परिवर्तन मानसून के स्वरूप को असामान्य बना रहा है, जिससे कम समय में तीव्र वर्षा होती है और पहाड़ों की मिट्टी खिसकने लगती है।
भारत और अमरीका, दोनों देशों में भूस्खलनों के पीछे जलवायु परिवर्तन ही एक प्रमुख कारण है, लेकिन उससे निपटने की क्षमता में स्पष्ट अंतर है। अमरीका के पास आधुनिक उपग्रह तकनीक, मौसम पूर्वानुमान प्रणालियां और आपदा प्रबंधन संस्थान जैसे फेमा हैं, जो चेतावनी और राहत कार्यों को कुशलता से अंजाम देते हैं। भारत में राज्य आपदा प्राधिकरण सक्रिय तो हैं, लेकिन संसाधनों की कमी, ग्रामीण क्षेत्रों तक सीमित पहुंच और प्रशासनिक ढिलाई के चलते समय पर चेतावनी और राहत देना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। जहां अमरीका में जलवायु परिवर्तन पर राजनीतिक बहस और विरोध भी देखने को मिलता है, वहीं भारत में समस्या को समझने और नीतियों में प्रभावी क्रियान्वयन की गंभीर कमी है। भारत को तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाने के साथ-साथ स्थानीय समुदायों को प्रशिक्षित करना होगा और पर्यावरणीय नीतियों को जमीनी स्तर पर लागू करना होगा।
दोनों देशों का अनुभव यह बताता है कि जलवायु परिवर्तन अब एक धीमा संकट नहीं रह गया है, बल्कि यह प्रत्यक्ष और विनाशकारी रूप में सामने आ रहा है। वैश्विक स्तर पर सहयोग, अनुभवों का आदान-प्रदान और संयुक्त प्रयास ही इस संकट से निपटने का एकमात्र विकल्प है। भारत और अमरीका यदि अपने अनुभवों को साझा करें और मिलकर रणनीति बनाएं, तो भूस्खलन जैसी आपदाओं के साथ जलवायु परिवर्तन की व्यापक चुनौती से भी बेहतर तरीके से निपटा जा सकता है। भूस्खलन अब केवल एक भौगोलिक समस्या नहीं, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन की जीवंत अभिव्यक्ति बन चुका है। भारत और अमरीका की तुलनात्मक स्थिति यह दर्शाती है कि विकास, प्रौद्योगिकी और नीति क्रियान्वयन की गुणवत्ता इस संकट से निपटने में कितनी अहम भूमिका निभाते हैं।
वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक संकट बन चुका है, जो मानव जीवन, जैव विविधता और आर्थिक संरचनाओं को गहराई से प्रभावित कर रहा है। इस चुनौती से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग की आवश्यकता है। इसमें भारत तथा अमरीका की साझेदारी अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो जाती है। भारत एक विकासशील देश है, जहां तीव्र आर्थिक प्रगति, बढ़ती जनसंख्या और शहरीकरण के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण की बड़ी चुनौतियां हैं। दूसरी ओर अमरीका तकनीकी रूप से उन्नत और आर्थिक रूप से संपन्न देश है, लेकिन वह दुनिया खासकर भारत के साथ मिलकर काम करे तो यह साझेदारी वैश्विक जलवायु प्रयासों को एक नई दिशा दे सकती है। इस बारे में दोनों देशों को मिलकर सोचना चाहिए।
Published on:
17 Aug 2025 04:09 pm