
प्रदेश के राजस्व में खनन और खनिज आधारित उद्योग का महत्वपूर्ण योगदान है। लाखों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इनसे रोजगार मिल रहा है। लेकिन अवैध खनन से खनन माफिया इस खनिज संपदा को न केवल खुलेआम लूट रहे हैं बल्कि यह अपराधों की वजह भी बनता जा रहा है। पिछले कुछ सालों में शासन-प्रशासन के लिए अवैध खनन को रोकना सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरा है।
हाल ही में प्रदेश में अवैध खनन परिवहन के 125 स्थान चिन्हित किए गए हैं। यहीं से माफिया चोरी छिपे बजरी समेत अन्य खनिज संपदा का दोहन करके ले जा रहे हैं। पुलिस और खनिज विभाग की नजरों से बचकर खनन माफिया चांदी कूट रहे हैं। अब कहा तो यह जा रहा है कि अवैध खनन परिवहन के जो रास्ते चिन्हित किए गए हैं वहां अब विशेष चौकसी बरती जाएगी। आखिर किसकी शह पर ये रास्ते बने। सरकार के लाख जतन भी अवैध खनन और उनका परिवहन क्यों नहीं रोक पा रहे।
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चिंता की बात यह है कि अवैध खनन कर निकाली गई खनिज सम्पदा से भरे ट्रक हाइवे पर बेरोकटोक गुजर जाते हैं। सवाल यह है कि ओवरलोड होने के बावजूद परिवहन विभाग कोई कार्रवाई क्यों नहीं करता? सरकार ने खनिज की रॉयल्टी वसूली के लिए ठेका दे रखा है। यहां भी घालमेल कर सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाने का काम खूब होता है। गत दिनों मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने जिला कलक्टर और पुलिस अधीक्षकों की वीसी में भी अवैध खनन और उन पर हुई कार्रवाई को लेकर असंतोष जाहिर किया था। लेकिन जिम्मेदारों के कान पर जूं भी रेंग पाएगी ऐसा लगता नहींं।
प्रदेश में राजनीतिक दल चाहे कोई भी हो विपक्ष में रहने पर अवैध खनन को लेकर जैसी चिंता जताते हैं वैसे प्रयास सत्ता में आने के बाद अवैध खनन की रोकथाम के नहीं करते। अवैध खनन के विरुद्ध जीरो टोलरेंस की केवल कागजी नीति की बात होती है। धरातल पर कुछ खास प्रयास नहीं होते। सरकार को ऐसा सिस्टम बनाना होगा कि सभी सरकारी एजेंसियां सजग रहकर ईमानदारी से अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन करें। संबंधित थानों से लेकर खान, राजस्व विभाग और तहसील व उपखंड के अधिकारियों की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय करनी होगी। लापवाही में इनकी भूमिका की जांच से भी परहेज नहीं किया जाना चाहिए। मिलीभगत सामने आने पर ऐसी कार्रवाई होनी चाहिए जो नजीर बने।
Updated on:
18 Apr 2025 03:16 pm
Published on:
18 Apr 2025 03:07 pm
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