Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

प्रसंगवश: अवैध खनन परिवहन के रास्ते बंद करने के ठोस प्रयास करने होंगे

अवैध खनन परिवहन के जो रास्ते चिन्हित किए गए हैं वहां अब विशेष चौकसी बरती जाएगी। आखिर किसकी शह पर ये रास्ते बने। सरकार के लाख जतन भी अवैध खनन और उनका परिवहन क्यों नहीं रोक पा रहे।

2 min read
Google source verification

कोटा

image

Ashish Joshi

Apr 18, 2025

प्रदेश के राजस्व में खनन और खनिज आधारित उद्योग का महत्वपूर्ण योगदान है। लाखों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इनसे रोजगार मिल रहा है। लेकिन अवैध खनन से खनन माफिया इस खनिज संपदा को न केवल खुलेआम लूट रहे हैं बल्कि यह अपराधों की वजह भी बनता जा रहा है। पिछले कुछ सालों में शासन-प्रशासन के लिए अवैध खनन को रोकना सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरा है।

हाल ही में प्रदेश में अवैध खनन परिवहन के 125 स्थान चिन्हित किए गए हैं। यहीं से माफिया चोरी छिपे बजरी समेत अन्य खनिज संपदा का दोहन करके ले जा रहे हैं। पुलिस और खनिज विभाग की नजरों से बचकर खनन माफिया चांदी कूट रहे हैं। अब कहा तो यह जा रहा है कि अवैध खनन परिवहन के जो रास्ते चिन्हित किए गए हैं वहां अब विशेष चौकसी बरती जाएगी। आखिर किसकी शह पर ये रास्ते बने। सरकार के लाख जतन भी अवैध खनन और उनका परिवहन क्यों नहीं रोक पा रहे।


यह भी पढ़ें : प्रसंगवश : बच्चों को जीवन का फलसफा सिखाने की सराहनीय पहल

चिंता की बात यह है कि अवैध खनन कर निकाली गई खनिज सम्पदा से भरे ट्रक हाइवे पर बेरोकटोक गुजर जाते हैं। सवाल यह है कि ओवरलोड होने के बावजूद परिवहन विभाग कोई कार्रवाई क्यों नहीं करता? सरकार ने खनिज की रॉयल्टी वसूली के लिए ठेका दे रखा है। यहां भी घालमेल कर सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाने का काम खूब होता है। गत दिनों मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने जिला कलक्टर और पुलिस अधीक्षकों की वीसी में भी अवैध खनन और उन पर हुई कार्रवाई को लेकर असंतोष जाहिर किया था। लेकिन जिम्मेदारों के कान पर जूं भी रेंग पाएगी ऐसा लगता नहींं।

यह भी पढ़ें : प्रसंगवश: सबके प्रयासों से ही होगी हवा में घुलते जहर की रोकथाम

प्रदेश में राजनीतिक दल चाहे कोई भी हो विपक्ष में रहने पर अवैध खनन को लेकर जैसी चिंता जताते हैं वैसे प्रयास सत्ता में आने के बाद अवैध खनन की रोकथाम के नहीं करते। अवैध खनन के विरुद्ध जीरो टोलरेंस की केवल कागजी नीति की बात होती है। धरातल पर कुछ खास प्रयास नहीं होते। सरकार को ऐसा सिस्टम बनाना होगा कि सभी सरकारी एजेंसियां सजग रहकर ईमानदारी से अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन करें। संबंधित थानों से लेकर खान, राजस्व विभाग और तहसील व उपखंड के अधिकारियों की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय करनी होगी। लापवाही में इनकी भूमिका की जांच से भी परहेज नहीं किया जाना चाहिए। मिलीभगत सामने आने पर ऐसी कार्रवाई होनी चाहिए जो नजीर बने।

  • आशीष जोशी ashish.joshi@epatrika.com