Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Podcast : शरीर ही ब्रह्माण्ड : ब्रह्म रथी – रथ माया

Gulab Kothari Article Sharir Hi Brahmand: जीवात्मा में भी बीजरूप से सारे शब्द रहते हैं। गर्भावस्था में ही गंधर्व उसके मन में शब्द बीज को बो देते हैं। अत: वाणी की शक्ति असीम है। सूर्य पिता होने से शब्दब्रह्म रूप में कार्य करता है। माता अर्थब्रह्म है, धरती रूपा है। शरीर ही ब्रह्माण्ड शृंखला में सुनें पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी का यह विशेष लेख- ब्रह्म रथी - रथ माया

less than 1 minute read
Google source verification

जयपुर

image

Opinion Desk

Oct 31, 2025

Gulab Kothari Article शरीर ही ब्रह्माण्ड: "शरीर स्वयं में ब्रह्माण्ड है। वही ढांचा, वही सब नियम कायदे। जिस प्रकार पंच महाभूतों से, अधिदैव और अध्यात्म से ब्रह्माण्ड बनता है, वही स्वरूप हमारे शरीर का है। भीतर के बड़े आकाश में भिन्न-भिन्न पिण्ड तो हैं ही, अनन्तानन्त कोशिकाएं भी हैं। इन्हीं सूक्ष्म आत्माओं से निर्मित हमारा शरीर है जो बाहर से ठोस दिखाई पड़ता है। भीतर कोशिकाओं का मधुमक्खियों के छत्ते की तरह निर्मित संघटक स्वरूप है। ये कोशिकाएं सभी स्वतंत्र आत्माएं होती हैं।"
पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी की बहुचर्चित आलेखमाला है - शरीर ही ब्रह्माण्ड। इसमें विभिन्न बिंदुओं/विषयों की आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से व्याख्या प्रस्तुत की जाती है। गुलाब कोठारी को वैदिक अध्ययन में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। उन्हें 2002 में नीदरलैन्ड के इन्टर्कल्चर विश्वविद्यालय ने फिलोसोफी में डी.लिट की उपाधि से सम्मानित किया था। उन्हें 2011 में उनकी पुस्तक मैं ही राधा, मैं ही कृष्ण के लिए मूर्ति देवी पुरस्कार और वर्ष 2009 में राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान से सम्मानित किया गया था। 'शरीर ही ब्रह्माण्ड' शृंखला में प्रकाशित विशेष लेख पढ़ने के लिए क्लिक करें नीचे दिए लिंक्स पर

शरीर ही ब्रह्माण्ड – गर्भ से प्रकाश

शरीर ही ब्रह्माण्ड – ब्रह्म की अभिव्यक्ति है माया

शरीर ही ब्रह्माण्ड – मां ही संस्कृत है-संस्कृति है

शरीर ही ब्रह्माण्ड – दाम्पत्य में अपरा व परा भाव

शरीर ही ब्रह्माण्ड – मोक्ष तक पत्नी का साथ