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बिहार के चार कुख्यात बदमाशों के एनकाउंटर के बाद AATS की बड़ी कार्रवाई, ठक-ठक गैंग की कहानी खत्म!

Encounter in Delhi: दिल्ली में बिहार के चार कुख्यात बदमाशों के एनकाउंटर के साथ ही AATS ने भी बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। इसके तहत ठक-ठक गैंग के कुख्यात सरगना दीपक उर्फ निखिल और उसके दो साथियों को गिरफ्तार चोरी की सात बड़ी वारदातों का खुलासा किया गया है। इसी के साथ दिल्ली के खतरनाक ठक-ठक गैंग का लगभग सफाया हो गया।

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Delhi AATS arrests Thak-Thak gang leader Deepak Ranjan Pathak Sigma & Company Encounter in Delhi

दिल्ली में AATS ने खतरनाक ठक-ठक गैंग के सरगना समेत दो को गिरफ्तार कर सात चोरियों का खुलासा किया। (प्रतीकात्मक फोटो)

Encounter in Delhi: दिल्ली में सक्रिय कुख्यात ‘ठक-ठक’ गैंग के खिलाफ दक्षिण-पूर्व जिले की एएटीएस (Anti Auto Theft Squad) ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। पुलिस ने इस गिरोह के मुख्य सदस्य दीपक उर्फ निखिल और उसके दो साथियों बबलू उर्फ दिनेश व नौशाद को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने 25 चोरी के लैपटॉप, एक आईपैड, दो मोबाइल फोन और एक चोरी की मोटरसाइकिल बरामद की है। इस सफलता के साथ पुलिस ने सात बड़े चोरी के मामलों का खुलासा कर दिया है।

कैसे चली बड़ी कार्रवाई?

दक्षिण-पूर्व जिले में ‘ठक-ठक’ गैंग की बढ़ती वारदातों को रोकने के लिए जिला पुलिस ने एक विशेष टीम गठित की थी। वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में एएटीएस के इंस्पेक्टर अजय दलाल की अगुवाई में एसआई जितेंद्र रघुवंशी, एसआई योगेंद्र, एएसआई शरवन, एएसआई सुरेश, एचसी शेर सिंह, एचसी नाथूराम, एचसी अजय, कॉन्स्टेबल हिमांशु, अक्षय, साहिल और शिवम की टीम को अभियान में लगाया गया। कई घटनाओं के सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण किया गया और मुखबिरों को सक्रिय किया गया। पुलिस को सूचना मिली कि गैंग का सरगना दीपक उर्फ निखिल अपने साथियों से गोविंदपुरी मेट्रो स्टेशन के पास डीडीए पार्क में मिलने वाला है। इस सूचना पर टीम ने पार्क के आसपास जाल बिछाया और मौके पर पहुंचे दीपक, बबलू और नौशाद को रंगे हाथों पकड़ लिया, जब वे चोरी का आईपैड और मोबाइल बेचने की फिराक में थे।

कैसे वारदातों को अंजाम देते थे बदमाश?

पूछताछ में दीपक उर्फ निखिल ने बताया कि वह अपने साथी जाकिर (जो ऑटो रिक्शा चलाता है) के साथ मिलकर वारदातों को अंजाम देता था। दोनों पार्क की गई कारों को निशाना बनाते थे। कार में अगर कोई बैग दिख जाता, तो दीपक खिड़की तोड़कर बैग निकाल लेता और जाकिर उसे ऑटो में रखकर फरार हो जाता। चोरी के लैपटॉप, टैब और अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स को दिनेश उर्फ बबलू के जरिये नौशाद तक पहुंचाया जाता था, जो इन्हें नेहरू प्लेस के बाजार में बेचता था। नौशाद ने भी पूछताछ में कबूल किया कि वह दीपक और दिनेश से कई चोरी के लैपटॉप खरीद चुका है। उसकी दुकान पर छापा मारकर पुलिस ने 25 लैपटॉप बरामद किए, जिनमें से एक लैपटॉप साकेत क्षेत्र से चोरी का निकला।

ठक-ठक गैंग पर कई थानों में दर्ज हैं मुकदमे

दीपक ने यह भी स्वीकार किया कि उसने भारत मंडपम और सुप्रीम कोर्ट के बाहर पार्क की गई कारों की खिड़कियां तोड़कर लैपटॉप चुराने की दो घटनाओं को अंजाम दिया था, जिनके संबंध में तिलक मार्ग थाने में केस दर्ज हैं। पुलिस जांच में सामने आया कि गिरोह के खिलाफ दक्षिण-पूर्व, साकेत, तिलक मार्ग और लाजपत नगर समेत कई थानों में एक दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। गिरोह का सरगना दीपक उर्फ निखिल कई महीनों से वांटेड चल रहा था और लगातार इलाके में वारदातें बढ़ा रहा था। पुलिस अब उसके फरार साथी जाकिर की तलाश में जुटी है और बरामद लैपटॉप की पहचान कर उनके वास्तविक मालिकों से संपर्क किया जा रहा है।

एनकाउंटर में बिहार के चार कुख्यात बदमाश ढेर

दिल्ली में गुरुवार तड़के पुलिस और बदमाशों के बीच हुई भीषण मुठभेड़ में बिहार के कुख्यात ‘सिग्मा एंड कंपनी’ गिरोह के चार सदस्य मारे गए। यह एनकाउंटर दिल्ली और बिहार पुलिस के संयुक्त अभियान में सुबह करीब 2.20 बजे बहादुर शाह ज़फर मार्ग पर हुआ। मुठभेड़ में मारे गए अपराधियों की पहचान रंजन पाठक (25), बिमलेश महतो (25), मनीष पाठक (33) और अमन ठाकुर (21) के रूप में हुई है। इनमें से अमन ठाकुर दिल्ली के करावल नगर का निवासी था, जबकि बाकी तीनों बिहार के सीतामढ़ी जिले के रहने वाले थे। बताया जा रहा है कि यह गिरोह पिछले एक सप्ताह से दिल्ली में छिपा हुआ था और बिहार विधानसभा चुनाव से पहले किसी बड़ी आपराधिक वारदात को अंजाम देने की साजिश रच रहा था। एनकाउंटर के दौरान पुलिस को जवाबी फायरिंग में भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद भी बरामद हुआ है।

पिछले तीन सालों से बिहार और नेपाल में सक्रिय था गैंग

बिहार के डीजीपी विनय कुमार के अनुसार, ‘सिग्मा एंड कंपनी’ गिरोह पिछले तीन वर्षों से बिहार और नेपाल में सक्रिय था और हत्या, लूट, रंगदारी व फिरौती जैसी वारदातों में शामिल रहा है। गिरोह का सरगना रंजन पाठक 25 साल की उम्र में ही दर्जनों संगीन मामलों में वांटेड था, जिनमें कम से कम 17 मुकदमे हत्या और रंगदारी के दर्ज थे। नेपाल पुलिस ने भी उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था। एनकाउंटर में मारे गए चारों अपराधी लंबे समय से पुलिस की रडार पर थे और कई राज्यों में वांटेड चल रहे थे। बताया गया कि यह गिरोह वारदात के बाद नेपाल या दिल्ली भाग जाता था और कुछ समय बाद फिर बिहार लौटकर नई घटना को अंजाम देता था। डीजीपी ने कहा कि दिल्ली पुलिस के सहयोग से यह ऑपरेशन सफल रहा और इस मुठभेड़ के साथ बिहार के सबसे खतरनाक आपराधिक गिरोहों में से एक का सफाया हो गया।