
दिल्ली की रामलीला में अभिनेत्री पूनम पांडे नहीं बनेंगी मंदोदरी। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
Delhi Ramlila: दिल्ली के लालकिला मैदान में हर साल भव्य रूप से आयोजित होने वाली लव कुश रामलीला इस बार एक बड़े विवाद की वजह से सुर्खियों में आ गई है। सोशल मीडिया पर मशहूर सेलिब्रिटी और अभिनेत्री पूनम पांडे अब इस रामलीला का हिस्सा नहीं होंगी। समिति ने उन्हें मंदोदरी की भूमिका के लिए चुना था, लेकिन समाज के विभिन्न वर्गों और धार्मिक संगठनों की कड़ी आपत्तियों के बाद उनका नाम वापस ले लिया गया। यह फैसला लव कुश रामलीला कमेटी की स्क्रीनिंग कमेटी ने सर्वसम्मति से लिया। पूनम पांडे का नाम हटाए जाने से जहां धार्मिक संगठनों ने राहत की सांस ली है, वहीं सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर बहस छिड़ गई है। एक वर्ग इसे सही कदम बता रहा है तो वहीं दूसरा वर्ग इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हस्तक्षेप मान रहा है।
प्रेस वार्ता के दौरान कमेटी के अध्यक्ष अर्जुन कुमार ने कहा कि, “हमारे लिए भगवान श्रीराम और उनकी लीलाओं का मंचन केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण भी है। किसी भी परिस्थिति में हमारी कोशिश यही रहती है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्शों और उनके संदेश को बिना किसी विवाद के समाज तक पहुंचाया जाए।”
अर्जुन कुमार ने बताया कि अभिनेत्री को निर्णय की जानकारी एक औपचारिक पत्र लिखकर दी गई है। पत्र में साफ कहा गया है कि मंदोदरी की भूमिका अब किसी अन्य कलाकार को सौंपी जाएगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि समिति का यह कदम किसी व्यक्तिगत पूर्वाग्रह से प्रेरित नहीं है, बल्कि वर्तमान परिस्थितियों और सामाजिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
पत्र में समिति ने पूनम पांडे के उत्साह और सहयोग की भावना की सराहना करते हुए लिखा है, “आपका धन्यवाद कि आपने हमारे निमंत्रण को स्वीकार कर मंदोदरी की भूमिका निभाने की सहमति दी। किन्तु आपकी सहमति के बाद हमें समाज के कई वर्गों से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं मिलीं। समिति का उद्देश्य रामायण के संदेश को सही रूप में पहुंचाना है, और यदि कोई परिस्थिति इस उद्देश्य को प्रभावित करती है तो उस पर गौर करना हमारी जिम्मेदारी है।”
पूनम पांडे के चयन का विरोध सबसे पहले विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने किया। विहिप के दिल्ली प्रांत मंत्री सुरेंद्र गुप्ता ने समिति को पत्र लिखकर कहा कि रामलीला को 'ग्लैमरस' बनाने की कोशिश गलत है। उन्होंने कहा, “रामलीला केवल मंचन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति को समझने का एक माध्यम है। इससे युवा पीढ़ी परंपरा और मर्यादा से जुड़ती है। ऐसे में पूनम पांडे जैसी अभिनेत्री को मंदोदरी जैसे पवित्र किरदार में देखना उचित नहीं होगा।”
विहिप के अलावा बजरंग दल, हिंदू जागरण मंच, संस्कृति रक्षा मंच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े स्थानीय समूह, और कई धार्मिक संतों व सामाजिक संगठनों ने भी इस फैसले पर आपत्ति दर्ज कराई। इन संगठनों का कहना था कि विवादित छवि वाली अभिनेत्री को धार्मिक मंच से जोड़ना जनभावनाओं को आहत कर सकता है।
विवाद गहराने के बाद लव कुश रामलीला कमेटी ने बैठक कर सभी पहलुओं पर विचार किया और अंततः यह निर्णय लिया कि मंदोदरी की भूमिका के लिए किसी अन्य कलाकार को लिया जाए। समिति ने यह भी कहा कि रामलीला की गरिमा और पवित्रता से समझौता नहीं किया जा सकता। अर्जुन कुमार ने स्पष्ट किया, “पूनम पांडे के प्रति हमारा सम्मान पहले जैसा ही है। हम उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं, लेकिन रामलीला जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन में हमें समाज की भावनाओं को सर्वोपरि रखना पड़ता है।”
Published on:
23 Sept 2025 05:12 pm
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