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एक वोट को डिलीट करने में लगे 80 रुपये, राहुल गांधी के वोट चोरी के आरोपों पर कर्नाटक SIT का बड़ा खुलासा

Vote Chori In Karnataka: SIT की टीम ने काला बुरगी जिले में एक डेटा ऑपरेटिंग सेंटर पर छापा मारा। सेंटर का संचालन मोहम्मद अशफाक और मोहम्मद अकबर कर रहे थे।

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Vote Chori In Karnataka

वोट चोरी के आरोपों पर कर्नाटक SIT का बड़ा खुलासा (फाइल फोटो)

Vote Chori In Karnataka: कर्नाटक के 2023 विधानसभा चुनाव से पहले अलंद सीट पर मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर हेराफेरी का मामला सामने आया है। स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने जांच में पाया कि 6,018 फर्जी डिलीट आवेदन चुनाव आयोग को भेजे गए। प्रत्येक फर्जी आवेदन के लिए डेटा ऑपरेटरों को 80 रुपये का भुगतान किया गया, यानी कुल 4.8 लाख रुपये खर्च हुए।

डेटा सेंटर से चल रहा था खेल

SIT की टीम ने काला बुरगी जिले में एक डेटा ऑपरेटिंग सेंटर पर छापा मारा। सेंटर का संचालन मोहम्मद अशफाक और मोहम्मद अकबर कर रहे थे। यहां से फर्जी आवेदन तैयार कर चुनाव आयोग के पोर्टल पर अपलोड किए जा रहे थे। जांच में एक लैपटॉप बरामद हुआ, जिसका इस्तेमाल इन आवेदनों के लिए किया गया।

भाजपा नेता के ठिकानों पर तलाशी

SIT ने पूर्व विधायक और भाजपा नेता सुभाष गुट्टेदार के घर सहित उनके बेटों हर्षानंद, संतोश और चार्टर्ड अकाउंटेंट मल्लिकार्जुन महांतगोल के ठिकानों पर छापेमारी की। यहां से सात लैपटॉप और कई मोबाइल फोन बरामद किए गए। जांच में 75 फर्जी मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल सामने आया, जो मुर्गी फार्म मजदूरों, स्थानीय निवासियों और पुलिसकर्मियों के रिश्तेदारों के नाम पर थे।

चुनाव आयोग पोर्टल तक कैसे पहुंचे संचालक?

SIT अब इस बात की पड़ताल कर रही है कि डेटा सेंटर संचालकों को चुनाव आयोग के पोर्टल की लॉगिन क्रेडेंशियल्स कैसे मिलीं। जिन मतदाताओं के नाम हटाए गए, उन्हें इसकी भनक तक नहीं लगी। अशफाक को 2023 में पूछताछ के बाद छोड़ा गया था, लेकिन वह अब दुबई भाग चुका है।

गुट्टेदार ने खारिज किए आरोप

सुभाष गुट्टेदार ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा, मेरा या मेरे परिवार का इस हेराफेरी से कोई संबंध नहीं है। हालांकि, SIT की जांच जारी है और नए खुलासे होने की संभावना है।

राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ आरोप को मिला बल

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 2023 में इसे वोट चोरी करार दिया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि भाजपा ने कांग्रेस समर्थक मतदाताओं के नाम हटाने के लिए संगठित जालसाजी की। SIT की रिपोर्ट ने उनके दावों को मजबूती दी है, जिससे अलंद सीट पर लोकतंत्र की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो गए हैं।