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RJD के स्टार प्रचारक ने छोड़ी पार्टी, पूर्व सांसद अनिल सहनी ने थामा बीजेपी का दामन

Bihar Elections: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के पूर्व सांसद अनिल सहनी ने बुधवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया है और बीजेपी में शामिल हो गए है।

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बिहार चुनाव

पूर्व सांसद अनिल सहनी बीजेपी में शामिल

Bihar Elections: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को एक और बड़ा झटका लगा है। आरजेडी के वरिष्ठ नेता, पूर्व विधायक और पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल सहनी ने बुधवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। आरजेडी के पूर्व सांसद ने अपना इस्तीफा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मांगनी लाल मंडल को सौंपा है। आरजेडी ने डॉ. अनिल सहनी को बिहार चुनाव के लिए स्टार प्रचारक बनाया था। चुनाव से पहले अनिल सहनी का इस्तीफा आरजेडी के लिए बड़ा नुकसान माना जा रहा है। केंद्रीय मंत्री और बिहार बीजेपी के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। इसके अलावा भी कई अन्य नेताओं ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की है।

अनिल सहनी ने आरजेडी पर लगाए गंभीर आरोप

अनिल सहनी ने इस्तीफा देते हुए पार्टी नेतृत्व पर कई आरोप लगाए हैं। पूर्व विधायक सहनी ने कहा है कि लालू यादव की पार्टी में अतिपिछड़ा वर्ग के नेताओं और कार्यकर्ताओं का लगातार अपमान होना पड़ रहा है। परिवारवाद और चापलूसी का जिक्र करते हुए कहा कि पार्टी में अब योग्यता और जनाधार को महत्व नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उनको पार्टी ने स्टार प्रचारक बनाया था, लेकिन महागठबंधन के टिकट बंटवारे और संगठनात्मक निर्णयों में अतिपिछड़ों की उपेक्षा कर रहे है।

आरजेडी में जातीय और पारिवारिक राजनीति हावी

अनिल सहनी ने कहा कि पार्टी की मौजूदा रणनीति और नेतृत्व के फैसलों से वे लंबे समय से असहज थे। उन्होंने हमेशा पार्टी को मजबूत करने के लिए काम किया है। मौजूदा समय में आरजेडी में जातीय और पारिवारिक राजनीति हावी है, इससे वे काफी निराश है।

टिकट बंटवारों को लेकर नाखुश थे सहनी

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, सहनी कई महीनों से राजद से नाखुश थे और हाल ही में हुए टिकट आवंटन के बाद उनकी शिकायतें और बढ़ गई थीं। उनके बीजेपी में शामिल होने के दौरान पार्टी के कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे, जो चुनावों से पहले एनडीए के लिए एक रणनीतिक बढ़त का संकेत है। सहनी पिछड़े वर्ग के समुदायों पर अच्छा-खासा प्रभाव रखते हैं और उनके इस कदम से प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाताओं पर असर पड़ सकता है।