पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में हुई कमी (Photo-IANS)
पंजाब में अक्टूबर-नवंबर में पराली जलाने की कई घटनाएं सामने आती है। दिवाली बाद दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण भी बढ़ जाता है। इसके बाद राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो जाता है। दिल्ली सरकार राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते वायु प्रदूषण के लिए पंजाब के किसानों को जिम्मेदार बताती है। हालांकि इस साल 15 सितंबर से 21 अक्टूबर के बीच पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है। इस दौरान प्रदेश में 415 घटनाएं ही सामने आई है जो कि पिछले साल इसी अवधि से 1510 कम है।
पंजाब प्रदूषम नियंत्रण बोर्ड के अनुसार 2023 में 15 सितंबर से 21 अक्टूबर के दौरान प्रदेश में पराली जलाने की 1764 घटनाएं दर्ज की गई थी। बता दें कि इस बार प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में कमी बारिश के कारण हुई है, क्योंकि अक्टूबर के पहले हफ्ते तक भारी बारिश हुई। जिससे धान की कटाई में देरी हुई।
साल | पराली जलाने की घटनाएं |
2024 | 10,909 |
2023 | 36,663 |
2022 | 49,922 |
2021 | 71,304 |
2020 | 76,590 |
2019 | 55,210 |
2018 | 50,590 |
भले ही प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई हो लेकिन पिछले 12 दिनों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह भी एक चिंताजनक बात है। राज्य में 11 अक्टूबर तक 116 घटनाएं थी जो कि 12 दिनों में बढ़कर 415 हो गई है। दरअसल, इस समय अधिकांश जिलों में फसलों की कटाई का काम चल रहा है।
प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं पर 170 एफआईआर दर्ज की गई हैं। जिनमें तरनतारन में 61 और अमृतसर में 50 एफआईआर शामिल हैं। ये मामले भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 (लोक सेवक द्वारा जारी आदेशों की अवज्ञा) के तहत दर्ज किए गए हैं।
पीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, इस साल पंजाब में धान की खेती का कुल रकबा 31.72 लाख हेक्टेयर है। 21 अक्टूबर तक इसमें से 32.84 प्रतिशत की कटाई हो चुकी थी। प्रदेश के तरनतारन जिले में धान की कटाई हो चुकी है। इस जिले में 67.95 प्रतिशत फसल की कटाई हो गई है। वहीं अमृतसर में यह आंकड़ा 70 प्रतिशत है। इसके अलावा इन दो जिलों में ही पराली जलाने की सबसे ज्यादा घटनाएं सामने आई है।
Published on:
22 Oct 2025 07:27 pm
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