
भारतीय नागरिकता (फाइल फोटो)
पाकिस्तानी पूनम को आखिरकार भारतीय नागरिकता मिल गई। इसके लिए पूनम को 20 सालों तक संघर्ष करना पड़ा। नागरिकता के अभाव में वह कई सालों तक अपने माता-पिता से मिलने को तरस रही। आइए जानते है पूनम का मिंगोरा से रामपुर तक सफर। 2004 में जब पाकिस्तान के स्वात घाटी में उग्रवाद बढ़ रहा था, मिंगोरा के हिंदू व्यवसायी परिवार ने मुश्किल फैसला लिया। थोक किराना व्यापारी दीना नाथ ने अपनी बेटी पूनम और बेटे गगन को सुरक्षित भविष्य के लिए भारत भेजा। पूनम ने तब बारहवीं कक्षा पूरी की थी। माता-पिता परमजीत और दीना, जल्द ही उनके साथ आने वाले थे। पूनम और गगन को बताया गया कि वे भारत में रिश्तेदारों से मिलने जा रहे हैं, लेकिन यह स्थायी स्थानांतरण था।
पूनम और गगन दिल्ली में अपनी मौसी शाहेज कौर और रामपुर में चाचा जगन नाथ चावला के पास रहे। 2005 में पूनम की शादी रामपुर के बीपी कॉलोनी में रहने वाले व्यवसायी पुनीत कुमार से हुई। लंबी अवधि के वीजा (एलटीवी) पर भारत में रहते हुए, पूनम पाकिस्तान में अपने परिवार से मिलने जाती थीं। लेकिन 2013 में एक दस्तावेज की कमी ने उनके पाकिस्तानी पासपोर्ट के नवीकरण को रोक दिया, जिससे उनकी यात्राएं बंद हो गईं।
पूनम ने भारतीय नागरिकता के लिए कई बार आवेदन किया, लेकिन दस्तावेज की कमी के कारण उनकी अर्जियां खारिज हो गईं। उन्होंने हार नहीं मानी और 2025 में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (सीएए) के तहत फिर से आवेदन किया। इस बार लगभग दो दशकों की अनिश्चितता के बाद उन्हें भारतीय नागरिकता मिल गई।
पूनम अब आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और पासपोर्ट के लिए आवेदन करने की योजना बना रही हैं। उनके पति पुनीत (45) ने बताया, हमें संबंधित विभाग से ईमेल मिला है कि पूनम को नागरिकता मिल गई है। जल्द ही दस्तावेज मिलेंगे। पूनम की इच्छा है कि वे अपने माता-पिता, दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने पाकिस्तान जाएं। उनकी शादी में उनके माता-पिता और भाई दिलीप व सनी शामिल हुए थे, लेकिन वे पाकिस्तान लौट गए। पूनम की तरह उनके भाई गगन को भी 2016 में भारतीय नागरिकता मिली और वे अब दिल्ली में अपने परिवार के साथ रहते हैं।
Published on:
27 Oct 2025 04:05 pm
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