प्रतीकात्मक तस्वीर - पत्रिका
Artificial Rain India: भारत में इन दिनों एक खास तरह की बारिश देखने को मिल रही है, जो असली बारिश (Natural vs Artificial Rain) से बिल्कुल अलग है। यह आर्टिफिशियल बारिश (Artificial Rain India) है, यानी वैज्ञानिकों ने बादलों को हल्का करने के लिए खास तकनीक का इस्तेमाल किया है। इसे क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding 2025) कहते हैं, जिसमें बादलों में रसायन छोड़े जाते हैं ताकि बारिश शुरू हो सके। दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे शहरों में सूखे की मार से बचने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। लेकिन लोग सोच रहे हैं कि यह असली बारिश की तरह ठंडक देगी या नहीं? आइए, इसकी खासियत समझें।
मौसम विभाग के अनुसार असली बारिश प्रकृति का तोहफा होती है, जो हवा, नमी और बादलों के आपसी खेल से होती है। इसमें धरती को प्राकृतिक पोषण मिलता है, लेकिन यह अनियमित होती है। दूसरी ओर, आर्टिफिशियल बारिश इंसानों से नियंत्रित होती है। इसमें सिल्वर आयोडाइड या ड्राई आइस जैसे रसायनों का इस्तेमाल होता है, जो बादलों में पानी की बूंदें बनाते हैं। असली बारिश में मिट्टी की स्मैल और ठंडी हवा होती है, जबकि कृत्रिम बारिश में यह अनुभव कम हो सकता है। असली बारिश घंटों चलती है, लेकिन कृत्रिम बारिश 30 मिनट से लेकर 2 घंटे तक ही रहती है, जो मौसम पर निर्भर करती है।
भारत में इस नई तकनीक से किसानों को बड़ी उम्मीद है। महाराष्ट्र में पिछले महीने सूखे से फसलें बर्बाद हो रही थीं, तो सरकार ने क्लाउड सीडिंग की। वहीं 20 अक्टूबर को पुणे में 15 मिमी बारिश हुई, जो फसलों को राहत दे गई। लेकिन वैज्ञानिक कहते हैं कि यह बारिश हर जगह एक जैसी नहीं होती। दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए इसे आजमाया गया, जहां हवा की गुणवत्ता में 10-15% सुधार हुआ। फिर भी, यह असली बारिश जितनी गहरी नमी नहीं दे पाती, जिससे जमीन सूखी रह सकती है। लोग इसे 'स्काईवॉटर' कह कर मजाक उड़ा रहे हैं।
आर्टिफिशियल बारिश का फायदा यह है कि यह सूखे से निपटने और प्रदूषण घटाने में मदद करती है। राजस्थान में पिछले साल 50 मिलियन लीटर पानी जुटाया गया था, जो पीने के लिए इस्तेमाल हुआ। लेकिन इसके नुकसान भी हैं। रसायनों से मिट्टी और पानी प्रदूषित हो सकता है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि बार-बार इस्तेमाल से मौसम चक्र बिगड़ सकता है। असली बारिश में यह खतरा नहीं होता। लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या यह लंबे समय तक टिकाऊ है या सिर्फ अस्थायी राहत? सरकार इसे और बेहतर करने की कोशिश में है।
भारत में लोग इस नई बारिश को लेकर उत्साहित हैं, लेकिन शक भी कर रहे हैं। मुंबई के एक किसान ने कहा, "यह फसल बचाएगी, लेकिन असली बारिश की मिठास कहां?" सोशल मीडिया पर #ArtificialRain ट्रेंड कर रहा है, जहां लोग तस्वीरें शेयर कर रहे हैं। सरकार का कहना है कि 2026 तक इसे 10 और शहरों में लागू किया जाएगा। वैज्ञानिकों का दावा है कि तकनीक में सुधार से यह असली बारिश जितनी कारगर हो सकती है। लेकिन इसके लिए जागरूकता और सावधानी जरूरी है, ताकि पर्यावरण को नुकसान न हो।
आर्टिफिशियल बारिश का आना भारत के लिए क्रांतिकारी कदम है, लेकिन असली बारिश की मिठास और गहराई इससे गायब है। यह सूखे से राहत दे, लेकिन पर्यावरण पर असर चिंता का विषय है!
सन 2026 में 10 और शहरों में क्लाउड सीडिंग शुरू होगी। क्या यह प्रदूषण और सूखे को पूरी तरह हल कर पाएगी? अगले मौसम अपडेट पर नजर रखें।
Updated on:
23 Oct 2025 07:38 pm
Published on:
23 Oct 2025 07:37 pm
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