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बिहार चुनाव से पहले नया गठबंधन: ओवैसी-चंद्रशेखर और मौर्य ने मिलाया हाथ, जानिए क्या हो सकते हैं इसके नुकसान

Bihar Assembly Elections: बिहार में तीसरा गठबंधन बनाने के बाद तीनों पार्टियों ने ‘बहुजन एकता’ नारा दिया, जिसका मतलब गरीब, दलित, पिछड़े और मुस्लिम सब एकजुट होता है।

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ओवैसी-चंद्रशेखर और मौर्य ने मिलाया हाथ

Bihar Assembly Elections: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एक नया समीकरण उभरकर सामने आया है। NDA और महागठबंधन के बाद एक और गठबंधन सामने आया है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM, चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (ASP) और स्वामी प्रसाद मौर्य की अपनी जनता पार्टी (AJP) ने मिलकर एक नया गठबंधन बनाया है। इस गठबंधन को ग्रैंड डेमोक्रेटिक अलायंस (GDA) नाम दिया गया है। तीनों दलों ने मिलकर 64 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की। इसमें AIMIM को 35 सीटें, ASP को 25 सीटें और AJP को 4 सीटें दी गई हैं।

गठबंधन ने दिया ये नारा

बिहार में तीसरा गठबंधन बनाने के बाद तीनों पार्टियों ने ‘बहुजन एकता’ नारा दिया था, जिसका मतलब गरीब, दलित, पिछड़े और मुस्लिम सब एकजुट होता है। इस गठबंधन का मकसद समाज में बराबरी लाना, सबको समान मौका देना और धर्म के नाम पर होने वाली राजनीति का विरोध करना बताया जा रहा है।

गठबंधन से किसे होगा नुकसान

ओवैसी, चंद्रशेखर और स्वामी प्रसाद मौर्य के गठबंधन से महागठबंधन को नुकसान हो सकता है, क्योंकि राजद के पास एमवाई (MY) वोटबैंक माना जाता है। यदि यह गठबंधन एमवाई वोट बैंक में सेंध लगता है तो सीधा-सीधा महागठबंधन को नुकसान होगा। दरअसल, 2020 के विधानसभा चुनाव में AIMIM ने पांच सीटों पर जीत दर्ज की थी। हालांकि बाद में चार विधायक राजद में शामिल हो गए थे, लेकिन प्रदेश में मुस्लिम वोट बैंक को बांट दिया था।

NDA को फायदा मिलेगा

बिहार में यदि तीसरा मोर्चा MY वोट बैंक में सेंध लगाता है तो एनडीए को फायदा होगा। दरअसल, NDA के घटक दल जेडीयू ने अपने 101 प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। इस बार जेडीयू ने महज 4 मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दिया है। पिछली बार जेडीयू ने 11 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे। महागठबंधन का वोट बैंक बटेगा तो सीधा NDA को फायदा होगा।