गुढ़ा भगवानदास के पशु चिकित्सालय भवन की गत दिनों पट्टियां गिर गईं
नागौर. जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में आधे से ज्यादा पशु चिकित्सालय थैलों में चल रहे हैं, यानी उनका कोई स्थाई ठिकाना नहीं है। विभागीय सूत्रों के अनुसार जिले में करीब 270 पशु चिकित्सा संस्थान हैं, जिनमें से करीब 70 चिकित्सा संस्थानों के पास न तो भवन है और न ही पट्टे। इसी प्रकार 90 से अधिक पशु चिकित्सालय ऐसे हैं, जिनके लिए जमीन आवंटित होकर पट्टे मिल गए, लेकिन भवन के लिए बजट नहीं मिलने से स्थाई ठिकाना नहीं है। जिले में जायल, डेगाना, बड़ी खाटू, गुढ़ा भगवानदास, पांचौड़ी व करणू ऐसे पशु चिकित्सालय हैं, जिनके पुराने समय में भवन तो बने हुए हैं, लेकिन जमीन का पट्टा नहीं होने से अब पुराने भवनों की मरम्मत नहीं हो रही है, जिसके कारण जर्जर हो रहे हैं। गुढ़ा भगवानदास के पशु चिकित्सालय भवन की गत दिनों पट्टियां तक गिर गईं।
जिले के पशु चिकित्सालयों की स्थिति
कुल पशु चिकित्सा संस्थान - 270
पॉलिक्लिनिक - 4
कुल प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सालय - 23
राजकीय भवन में संचालित - 21
पंचायत के भवन में संचालित - 2
कुल पशु चिकित्सालय - 58
राजकीय भवन में संचालित - 33
दानदाता के भवन में संचालित - 4
पंचायत के भवन में संचालित - 9
अन्य व्यवस्था - 12
पशु चिकित्सा उप केन्द्र - 185
राजकीय भवन में संचालित - 46
दानदाता के भवन में संचालित - 1
पंचायत के भवन में संचालित - 66
अन्य व्यवस्था - 72
वर्षों बाद भी नहीं बन पाए भवन
जिले में कई पशु चिकित्सालय ऐसे हैं, जिनको पिछले 10-15 साल से जमीन नहीं मिल पाई है, इसके चलते पशु चिकित्सकों एवं कंपाउंडरों का कोई स्थाई ठिकाना नहीं है। सरकार बजट घोषणा में पुराने पशु चिकित्सा संस्थानों को क्रमोन्नत तो कर रही है, लेकिन भवन और जमीन देने को लेकर गंभीर नहीं है, यही वजह है कि कई चिकित्सा संस्थानों को आज 10-15 साल बाद भी जमीन और भवन नहीं मिल पाया है, जिसके कारण कोई पंचायत भवन में तो कोई स्कूल या अन्य स्थानों पर चल रहे हैं। एक प्रकार से ऐसे चिकित्सा संस्थान थैले में ही संचालित हो रहे हैं, डॉक्टर या कंपाउंडर जहां बैठ जाए, वहीं चिकित्सालय है।
बजट की मांग की है
जिले में करीब 90 से अधिक पशु चिकित्सालयों के लिए जमीन आवंटित होने पर बजट की मांग की गई है, जिसके जल्द ही मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा करीब 70 पशु चिकित्सा संस्थान ऐसे हैं, जिनके लिए जमीन नहीं है, उनके लिए जमीन आवंटित करवाने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं।
- डॉ. महेश कुमार मीणा, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग, नागौर
Published on:
06 Oct 2025 11:12 am
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