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नागौर. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के मूल सिद्धांतों और सिफारिशों के अनुरूप नागौर में राज्य विश्वविद्यालय खोले जाने की मांग लगातार जोर पकड़ रही है। नागौर और डीडवाना-कुचामन जैसे बड़े जिलों में उच्च शिक्षा संस्थानों की संख्या तो बढ़ी है, लेकिन विश्वविद्यालय न होने के कारण विद्यार्थियों को आज भी विवि संबंधी कार्यों के लिए अजमेर की दौड़ लगानी पड़ती है। सरकार ने हर ब्लॉक में कॉलेज तो खोल दिए हैं, लेकिन विश्वविद्यालय की कमी के कारण विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए अन्य जिलों पर निर्भर रहना पड़ता है, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति के समान पहुंच के सिद्धांत के विपरीत है।
वर्तमान में नागौर (डीडवाना-कुचामन सहित) जिले में 30 सरकारी और 135 निजी कॉलेज संचालित हैं, जिनमें 2 लाख से अधिक विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। इतनी बड़ी संख्या के बावजूद जिले में विश्वविद्यालय न होना विद्यार्थियों के लिए बड़ी बाधा बन गया है। स्थानीय शिक्षाविदों का कहना है कि यदि नागौर में विश्वविद्यालय की स्थापना होती है, तो यह न केवल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों को साकार करेगा, बल्कि ग्रामीण युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और समान अवसर भी सुनिश्चित करेगा।
30 नए विश्वविद्यालय खोलने का लक्ष्य
राजस्थान सरकार की ओर से हाल ही में जारी विकसित राजस्थान 2047 विजन डॉक्यूमेंट में वर्ष 2030 तक 30 नए विश्वविद्यालय खोले जाने का लक्ष्य रखा गया है। प्रदेश में अभी विश्वविद्यालयों की संख्या 95 हैं, 2030 तक 125 होगी।
शिक्षा में नई दिशा और बढ़ती साक्षरता
राजस्थान सतत् विकास लक्ष्य (एसडीजी) इंडेक्स 2022 में नागौर जिले को शिक्षा क्षेत्र में दूसरा स्थान मिला था। जनगणना 2011 के अनुसार जिले की साक्षरता दर 62.80 प्रतिशत थी, लेकिन पिछले 15 सालों में शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। बोर्ड, कॉलेज और प्रतियोगी परीक्षाओं में नागौर और डीडवाना-कुचामन क्षेत्र के विद्यार्थियों ने राज्य स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर यह साबित किया है कि क्षेत्र में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है।
छात्रों को होना पड़ता है परेशान
विद्यार्थियों के साथ उच्च शिक्षा से जुड़े शिक्षकों का कहना है कि जिले में कॉलेजों की संख्या बढ़ने से विद्यार्थियों की संख्या भी बढ़ी है, जिन्हें विश्वविद्यालय से जुड़े हर कार्य के लिए अजमेर जाना पड़ता है। इसके कारण विद्यार्थियों का समय, श्रम और धन नष्ट होता है। वहीं दूसरी तरफ जिले से दूर होने के कारण कई बार कॉलेज से भेजे जाने वाले दस्तावेज व पत्र समय पर नहीं पहुंच पाते हैं, यदि पहुंच जाए तो उनका रिप्लाई नहीं आता और सीधा जुर्माना लगा दिया जाता है। ऐसे में यदि जिले में विश्वविद्यालय खोला जाए तो कॉलेज प्रबंधन व विद्यार्थी, दोनों को फायदा मिलेगा।
शिक्षाविदों की राय
विश्वविद्यालय की स्थापना से ग्रामीण युवाओं की गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा तक समान पहुंच सुनिश्चित होगी। बहु विषयक शिक्षा को बल मिलेगा और क्षेत्र के सामाजिक आर्थिक विकास के लिए आवश्यक अनुसंधान और कौशल विकास को गति मिलेगी। इसलिए नागौर में शीघ्र ही विश्वविद्यालय की स्थापना करना राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सफल कार्यान्वयन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
- मेजर डॉ. प्रेमसिंह बुगासरा, प्रोफेसर, राजकीय मिर्धा महाविद्यालय, नागौर
धीरे-धीरे सभी महाविद्यालय या तो डिग्री प्रदान करने वाले स्वायत्त कॉलेज बन जाएंगे या किसी विश्वविद्यालय के अंग के रूप में विकसित होंगे। साथ ही केंद्र और राज्य शिक्षा क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश को बढ़ाने के लिए जीडीपी के 6 प्रतिशत तक जल्द से जल्द पहुंचाने के लिए मिलकर काम करेंगे। इसलिए जिले नागौर में विश्वविद्यालय खोला जाना चाहिए।
- अंकित वैष्णव, शोधार्थी
उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात को भी 2030 तक 40 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए नए विश्वविद्यालयों की स्थापना आवश्यक है, जिनमें नागौर को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। नागौर में विश्वविद्यालय की स्थापना न केवल क्षेत्रीय शैक्षणिक असमानता को खत्म करेगी, बल्कि राज्य की शिक्षा नीति में संतुलित विकास की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी।
- सुनील बुगासरा, शिक्षक
Updated on:
03 Nov 2025 11:20 am
Published on:
03 Nov 2025 11:19 am
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