
महात्मा गांधी अंग्रेज़ी माध्यम बख्तसागर विद्यालय
नागौर. राज्य के सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई व्यवस्था प्रभावित होने लगी है। शिक्षा विभाग और चुनाव आयोग के बीच समन्वय के अभाव ने शिक्षण व्यवस्था बिगाड़ दी है। नागौर जिले सहित पूरे प्रदेश के सरकारी स्कूलों में से आधस्से ज्यादा शिक्षकों को बीएलओ और सुपरवाइजर के कार्य में लगा दिया है। इसके चलते विद्यालयों में नियमित शिक्षण कार्य ठप हो गया है। जबकि प्रदेशभर में स्कूल व्याख्याता के 26,828 एवं वरिष्ठ अध्यापक के 41,683 पद पहले से रिक्त चल रहे हैं । काफी संख्या में शिक्षकों को बीएलओ एवं सुपरवाइजर का कार्य सौंपने के कारण उन्हें आगामी आदेशों तक स्कूलों से कार्यमुक्त कर दिया है। दूसरी ओर शिक्षा विभाग ने अर्द्धवार्षिक परीक्षा दिसम्बर की बजाय 20 नवम्बर से कराने की तैयारी कर ली है। इससे पाठ्यक्रम अधूरा रहने की संभावना बढ़ गई है।
पाठ्यक्रम अधूरा, परीक्षा सिर पर
राज्य सरकार ने इस बार बोर्ड परीक्षाएं फरवरी में आयोजित कराने का निर्णय लिया है, जबकि हर साल बोर्ड परीक्षा मार्च में होती हैं। ऐसे में छात्र-छात्राओं पर दोहरी मार पड़ी है, न तो शिक्षक उपलब्ध हैं और न ही पाठ्यक्रम पूरा हो सका है। बिना पढ़ाई के विद्यार्थी परीक्षा कैसे देंगे?
न्यायालय के आदेश ताक पर
न्यायालय के निर्देश थे कि विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए जहां तक संभव हो, शिक्षकों को बीएलओ या सुपरवाइजर नियुक्त नहीं किया जाए, लेकिन इन आदेशों की अनदेखी हो रही है। प्रशासन यदि चाहता तो अन्य विभागों के कर्मचारियों ग्राम विकास अधिकारी, पटवारी, कृषि सुपरवाइजर, पंचायत सहायक या तहसील व कलक्ट्रेट के कर्मचारियों को इस कार्य में लगा सकता था। अब तक इन कार्यालयों के बाबूओं की संख्या इस कार्य में नगण्य है।
समानुपातिक रूप से लगे ड्यूटी
जिला प्रशासन को चाहिए कि शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों से अन्य विभागों के कर्मचारियों को भी समानुपातिक रूप से बीएलओ बनाया जाए , ताकि शिक्षण कार्य बाधित नहीं हो। अन्य विभागों के मंत्रालयिक कर्मचारी, ग्राम विकास अधिकारी, पटवारी, कृषि सुपरवाइजर, ग्राम पंचायत में लगे बाबू आदि की ड्यूटी लगाई जा सकती है। शिक्षकों के संबंध में हाईकोर्ट ने भी आदेश दे रखे हैं।
- पवन मांजू, जिलाध्यक्ष, राजस्थान शिक्षा सेवा परिषद , नागौर
Published on:
04 Nov 2025 12:18 pm
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