Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Kesari Veer Review: सूरज पंचोली का अद्भुत प्रदर्शन, यहां पढ़ें ‘केसरी वीर’ का रिव्यू

Kesari Veer Review: सूरज पंचोली की कमबैक फिल्म केसरी वीर रिलीज हो चुकी है। इसमें सुनील शेट्टी भी हैं। यहां पढ़िये कैसी है ये मूवी।

2 min read
Google source verification
Kesari Veer Review

केसरी वीर फिल्म रिव्यू

फिल्म: केसरी वीर

कलाकार: सुनील शेट्टी, सूरज पंचोली, विवेक ओबेरॉय और आकांक्षा शर्मा

निर्देशक: प्रिंस धीमन

रेटिंग: 3/5

अवधि: 2 घंटे 36 मिनट

Kesari Veer Review: फिल्म 'केसरी वीर' में सूरज पंचोली ने दमदार वापसी की है। ये फिल्म 14वीं शताब्दी की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित है, जहां सोमनाथ मंदिर पर हुए हमलों की कहानी दिखाई गई है। सूरज पंचोली ने राजपूत राजा हमीरजी गोहिल का किरदार निभाया है, जो एक वीर योद्धा, कुशल राजा और भगवान शिव के भक्त हैं।

यह भी पढ़ें: Bhool Chuk Maaf X Review: राजकुमार राव और वामिका की फिल्म ने मचाया धमाल, जानिए क्या कह रही है जनता

क्या है कहानी 

फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे जफर खान नाम का आक्रमणकारी सोमनाथ मंदिर को नष्ट करने आता है। हमीरजी अपने साथियों के साथ मिलकर उसके खिलाफ मोर्चा खोलते हैं। फिल्म में देशभक्ति, बलिदान और एकता की भावना को बेहद भावनात्मक और असरदार ढंग से दिखाया गया है।

कैसी है एक्टिंग

सूरज ने हमीरजी के किरदार को पूरी ईमानदारी से निभाया है। उनके डायलॉग्स में दम है, बॉडी लैंग्वेज में एक योद्धा का तेज है और एक्सप्रेशन में दर्द और जोश दोनों दिखते हैं। युद्ध के दृश्य खासतौर पर सराहे जाने योग्य हैं। सुनील शेट्टी भी दमदार रोल में नजर आए हैं।

एक्शन और इमोशन का जबरदस्त मेल

फिल्म में एक्शन सीन काफी शानदार हैं। तलवारबाजी, पीछा करने वाले सीन और युद्ध के मैदान की भव्यता दर्शकों को रोमांचित करती है। दक्षिण भारत के एक्शन डायरेक्टर्स केविन और स्टेविन ने लड़ाई के दृश्यों को रियल और दमदार बनाया है।

फिल्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण दृश्य है, जहां एक रहस्यमयी आवाज जिज्ञासा से पूछती है, "ये शिव कौन है?" और इसका मार्मिक उत्तर आता है- "एक काला पत्थर जिस पर ये लोग भस्म लगाते हैं।" इसके बाद दुश्मन की क्रूरता चरम पर पहुंच जाती है जब वो कहता है- "इस शिव की धरती को राख कर दो।" ये संवाद सुनते ही कहानी एक गंभीर और भावनात्मक मोड़ लेती है। 

इसके बाद तलवारों की झनझनाहट, युद्ध के मैदान का भयावह दृश्य और योद्धाओं का अदम्य साहस देखने को मिलता है। फिल्म के हर दृश्य में देश, धर्म और आस्था की रक्षा की तीव्र और अटूट भावना स्पष्ट रूप से झलकती है।