
वर्जिनिटी सर्टिफिकेट विवाद में नया मोड़! AI Generated Image
Madarsa virginity certificate controversy in moradabad: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के थाना पाकबड़ा इलाके में स्थित मदरसा जामिया एहसान-उल-बनात एक बार फिर विवादों के केंद्र में है। आठवीं कक्षा में दाखिला देने से पहले 13 वर्षीय छात्रा से वर्जिनिटी सर्टिफिकेट मांगने के मामले में जांच के दौरान पुलिस को कई गंभीर खामियां मिली हैं। छात्राओं के हॉस्टल से लेकर कक्षाओं तक पुलिस को कई अनियमितताएं नजर आईं, जिसके बाद जांच का दायरा बढ़ा दिया गया है।
पुलिस जांच के दौरान मदरसे में कुछ संदिग्ध दस्तावेज मिले हैं, जिनसे विदेशी फंडिंग का शक गहरा गया है। पुलिस ने शिक्षा विभाग, अल्पसंख्यक विभाग, जिला प्रशासन और बाल कल्याण समिति को रिपोर्ट भेजकर गहन जांच की मांग की है। इसके साथ ही मदरसे के बैंक खातों और मान्यता से जुड़े दस्तावेजों की भी जांच शुरू कर दी गई है। अधिकारियों के अनुसार, अब तक जो कागजात मिले हैं, वे इस बात की ओर इशारा करते हैं कि मदरसे को विदेश से धनराशि प्राप्त हुई हो सकती है।
पुलिस की जांच में सामने आया है कि मदरसा बोर्ड और यूपी बोर्ड, दोनों की कक्षाएं एक ही परिसर में चलाई जा रही थीं। एक से बारहवीं तक की कक्षाएं संचालित थीं, जिसमें अन्य राज्यों बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड की छात्राएं भी अध्ययनरत थीं। पुलिस को मिले कुछ दस्तावेजों ने विदेशी फंडिंग के संदेह को और मजबूत किया है, जिसके बाद जांच का दायरा अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक बढ़ाया जा सकता है।
इस मामले में एडमिशन सेल प्रभारी मो. शाहजहां को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। आरोपी को शनिवार को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेजा गया। जबकि प्रधानाचार्य रहनुमा समेत अन्य आरोपी अभी फरार हैं और पुलिस उनकी तलाश में जुटी है। पुलिस के अनुसार, अन्य स्टाफ के नाम भी सामने आए हैं जिनके खिलाफ जल्द कार्रवाई की जाएगी।
छात्रा के पिता ने बताया कि पिछले वर्ष उनकी बेटी का दाखिला मदरसे में सातवीं कक्षा में हुआ था। आठवीं में एडमिशन के दौरान 35 हजार रुपये जमा कराने के बाद वर्जिनिटी सर्टिफिकेट की मांग की गई। मेडिकल रिपोर्ट न देने पर मां-बेटी के साथ बदसलूकी की गई और उन्हें बाहर निकाल दिया गया। पुलिस जांच में अब टीसी फार्म भी बरामद हुआ है, जिस पर छात्रा ने खुद घटना का विवरण लिखा है। इस दस्तावेज़ को केस का अहम हिस्सा बना लिया गया है।
शनिवार को एसडीएम सदर डॉ. राममोहन मीना, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी दिलीप कुमार और जिला विद्यालय निरीक्षक देवेंद्र कुमार पांडेय ने मदरसे में जाकर जांच की। टीम ने मदरसे के दस्तावेज खंगाले और स्टाफ से पूछताछ की। प्रधानाचार्य रहनुमा के अवकाश पर होने और स्टाफ के कम पहुंचने के बावजूद अधिकारियों ने जो भी कर्मचारी मौजूद थे, उनसे जवाब लिया। सोमवार को टीम दोबारा मौके पर जाएगी और रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को सौंपी जाएगी।
पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने मदरसे से जुड़ी प्रारंभिक रिपोर्ट शासन को भेज दी है। रिपोर्ट में अब तक की जांच और कार्रवाई का पूरा विवरण शामिल है। प्रशासन ने इस मामले में बहु-विभागीय जांच टीम गठित की है, ताकि किसी भी स्तर पर लापरवाही या गड़बड़ी न रह जाए। फिलहाल एक आरोपी जेल में है और अन्य की गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं।
सपा सांसद रुचिवीरा ने कहा कि वह पुलिस अधिकारियों से इस मामले पर बात करेंगी और निष्पक्ष जांच की मांग करेंगी। वहीं, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने इस घटना को शर्मनाक और अमानवीय बताया है। महासंघ के प्रदेश महामंत्री जोगेंद्र पाल सिंह ने कहा कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि छात्राओं की सुरक्षा और गरिमा बनी रहे।
Updated on:
26 Oct 2025 08:52 pm
Published on:
26 Oct 2025 08:39 pm
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