
डेटा-विश्वसनीयता संकट के बीच शासन ने डीएमों को यंत्रों की साफ-सफाई के निर्देश दिए (फोटो सोर्स : Whatsapp Group)
UP Weather Stations Fail Accuracy Test, IMD Flags Faulty Data: उत्तर प्रदेश के अधिकांश जिलों में स्थापित ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन (AWS) व ऑटोमेटिक रेन गेज (ARG) तापमान एवं वर्षा का सही माप लेने में सक्षम नहीं पाए जा रहे हैं। यह जानकारी खुद भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने दी है। विभाग की रिपोर्ट के बाद शासन ने इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए सभी जिलाधिकारियों (DM) को पत्र जारी किया है, जिसमें यंत्र लग चुके स्थानों पर झाड़ी-खरपतवार हटाने और उपकरणों की नियमित सफाई कराने के निर्देश दिए गए हैं।
प्रदेश में प्रत्येक जिले, तहसील और ब्लॉक कार्यालयों में राहत आयुक्त कार्यालय के माध्यम से लगभग 450 ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन (AWS) व 2,000 ऑटोमेटिक रेन गेज (ARG) स्थापित किए गए हैं। इन यंत्रों का कार्य है -
उदाहरण स्वरूप, मशीन के आसपास उगी ऊँची घास से वर्षा गेज का कॅप्चर बंद हो गया, या वेदर स्टेशन के आसपास निर्माण-कार्य से तापमान सेंसर पर असर हुआ।
मौसम विभाग की रिपोर्ट मिलने के बाद राज्य शासन ने राहत आयुक्त कार्यालय के माध्यम से सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी किया है। निर्देश के मुख्य बिंदु हैं-
जिलाधिकारी ने बताया,हमने तुरंत आदेश दिए हैं, एजेन्सी को बुलाया गया है और सफाई अभियान सोमवार से शुरू हो गया है।
सटीक मौसम-डेटा न सिर्फ वैज्ञानिक अध्ययन के लिए आवश्यक है, बल्कि प्रशासनिक निर्णयों, कृषि पद्धतियों, आपदा प्रबंधन व वर्षा-भवन के लिए भी अहम है। यदि वर्षा का माप सही नहीं होगा, तो किसानों को फसल प्रारंभ या बचाने में गलत संकेत मिलेंगे। तापमान के माप में विसंगति हो तो शीतलहर या पारा-माप न हो पाएगा। आईएमडी के एक प्रतिनिधि ने बताया कि गलत माप से हम तूफान-पूर्व चेतावनी या बाढ़-पूर्वानुमान भी गलत दे सकते हैं। यह राज्य के लिए गंभीर समस्या है।
राज्य के पूर्वांचल, बुंदेलखंड व मध्य-प्रदेश की सीमावर्ती जिलों में यंत्रों की स्थिति खराब बताई गई है।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि
उदाहरण के तौर पर, एक ब्लॉक अधिकारी ने कहा कि हमने अगले तीन दिन में सभी यंत्रों की सफाई पूरी करने का लक्ष्य रखा है। चिन्हित उपकरणों को प्राथमिकता दी गयी है।
मौसम विभाग का कहना है कि यदि ये सुधार समय से नहीं हुए तो राज्य स्तर पर मौसम-डेटा का भरोसा खो सकता है और आपदा-प्रबंधन योजनाओं में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
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Published on:
24 Oct 2025 08:52 pm
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