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UP में मौसम उपकरणों की सटीकता पर सवाल, IMD की चेतावनी के बाद प्रशासन सख्त

UP Weather: उत्तर प्रदेश में मौसम मापने वाले ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन (AWS) और ऑटोमेटिक रेन गेज (ARG) सही डेटा देने में विफल हो रहे हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की रिपोर्ट के बाद शासन ने सभी डीएमों को तुरंत उपकरणों के आसपास की सफाई और मेंटेनेंस कराने के निर्देश जारी किए हैं, ताकि मौसम पूर्वानुमान प्रभावित न हो।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Oct 24, 2025

डेटा-विश्वसनीयता संकट के बीच शासन ने डीएमों को यंत्रों की साफ-सफाई के निर्देश दिए (फोटो सोर्स : Whatsapp Group)

डेटा-विश्वसनीयता संकट के बीच शासन ने डीएमों को यंत्रों की साफ-सफाई के निर्देश दिए (फोटो सोर्स : Whatsapp Group)

UP Weather Stations Fail Accuracy Test, IMD Flags Faulty Data: उत्तर प्रदेश के अधिकांश जिलों में स्थापित ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन (AWS) व ऑटोमेटिक रेन गेज (ARG) तापमान एवं वर्षा का सही माप लेने में सक्षम नहीं पाए जा रहे हैं। यह जानकारी खुद भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने दी है। विभाग की रिपोर्ट के बाद शासन ने इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए सभी जिलाधिकारियों (DM) को पत्र जारी किया है, जिसमें यंत्र लग चुके स्थानों पर झाड़ी-खरपतवार हटाने और उपकरणों की नियमित सफाई कराने के निर्देश दिए गए हैं।

 समस्या का स्वरूप

प्रदेश में प्रत्येक जिले, तहसील और ब्लॉक कार्यालयों में राहत आयुक्त कार्यालय के माध्यम से लगभग 450 ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन (AWS) व 2,000 ऑटोमेटिक रेन गेज (ARG) स्थापित किए गए हैं। इन यंत्रों का कार्य है -

  • तापमान मापना
  • वर्षा (मानसून, तूफ़ान, सालाना बारिश) का डेटा एकत्र करना
  • इस डेटा को मौसम विभाग व शासन तक पहुंचाना
  • हालांकि IMD के अनुसार कई जिलों में स्थापित ये यंत्र इस मानक पर काम नहीं कर रहे हैं। 
  • यंत्रों की परिधि (बाउंड्री) में झाड़ी-खरपतवार उग जाना
  • उपकरणों को घेरना, सेंसर की कार्यक्षमता प्रभावित होना
  • इस कारण सेंसर सही ढंग से तापमान या वर्षा का माप नहीं ले पा रहे
  • इस दोषपूर्ण डेटा के आधार पर मौसम विभाग को गलत जानकारी मिल रही है

उदाहरण स्वरूप, मशीन के आसपास उगी ऊँची घास से वर्षा गेज का कॅप्चर बंद हो गया, या वेदर स्टेशन के आसपास निर्माण-कार्य से तापमान सेंसर पर असर हुआ।

शासन का निर्देश एवं जिम्मेदारी बंटवारा

मौसम विभाग की रिपोर्ट मिलने के बाद राज्य शासन ने राहत आयुक्त कार्यालय के माध्यम से सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी किया है। निर्देश के मुख्य बिंदु हैं-

  • यंत्रों की बाउंड्री का नियमित सर्वे करना
  • झाड़ी-खरपतवार हटाना, उपकरण और परिसर की सफाई
  • जिला स्तर पर कस्टोडियन के रूप में जिलाधिकारी नामित हैं
  • तहसील-स्तर पर नोडल अधिकारी (SDM) जिम्मेदार होंगे
  • यंत्रों की कार्यक्षमता सुनिश्चित करना तथा मासिक रिपोर्ट भेजना

जिलाधिकारी ने बताया,हमने तुरंत आदेश दिए हैं, एजेन्सी को बुलाया गया है और सफाई अभियान सोमवार से शुरू हो गया है।

डेटा की विश्वसनीयता क्यों ज़रूरी

सटीक मौसम-डेटा न सिर्फ वैज्ञानिक अध्ययन के लिए आवश्यक है, बल्कि प्रशासनिक निर्णयों, कृषि पद्धतियों, आपदा प्रबंधन व वर्षा-भवन के लिए भी अहम है। यदि वर्षा का माप सही नहीं होगा, तो किसानों को फसल प्रारंभ या बचाने में गलत संकेत मिलेंगे। तापमान के माप में विसंगति हो तो शीतलहर या पारा-माप न हो पाएगा। आईएमडी के एक प्रतिनिधि ने बताया कि गलत माप से हम तूफान-पूर्व चेतावनी या बाढ़-पूर्वानुमान भी गलत दे सकते हैं। यह राज्य के लिए गंभीर समस्या है।

प्रभावित क्षेत्र एवं कृषि पर प्रभाव

राज्य के पूर्वांचल, बुंदेलखंड व मध्य-प्रदेश की सीमावर्ती जिलों में यंत्रों की स्थिति खराब बताई गई है।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि 

  • बारिश के समय माप-योग्य वर्षा गेज काम न करना - सिंचाई योजना प्रभावित
  • तापमान सेंसर काम न करना -गेहूँ/धान में रोग-प्रकोप का अंदेशा नहीं मिलेगा
  • मौसम-पूर्वानुमान कम विश्वसनीय होंगे, जिससे किसानों को नुकसान
  • एक कृषि अधिकारी ने कहा कि अगर बारिश का सही आंकड़ा नहीं आएगा तो हम फसल-राहत योजना कैसे बना पाएंगे?

क्या हो रहा है यंत्रों के साथ

  • नियंत्रण-बिंदुओं की सूची कुछ इस प्रकार है-
  • स्टेशन के चारों ओर झाड़ी उगी थी, सेंसर की हवा-सर्कुलेशन बाधित
  • वर्षा गेज के मेन पाइप में मिट्टी जमा थी, माप बंद था
  • कुछ मोटा निर्माण-सामग्री यंत्र के समीप रखी गई थी, तापमान माप पर प्रभाव
  • नियमित कैलिब्रेशन (सेंसर समायोजन) व रखरखाव नहीं हुआ था
  • स्थानीय तकनीशियन ने बताया कि महीनों से सफाई नहीं हुई थी। हमें बुलाया गया तो देखा कि गेज की मुंडी पर मछलियाँ आराम कर रही थीं।

सुधार की दिशा में उठाए कदम

  • शासन द्वारा उठाए गए कदमों में मुख्यतः शामिल हैं -
  • हर यंत्र के लिए मासिक चेक-लिस्ट तैयार करना
  • वर्षा व तापमान माप में कैलीब्रेशन की टाइमलाइन निर्धारित करना
  • जेपीएस ट्रैकिंग व लाइव डेटा फ्रॉम यंत्रों का मॉनिटरिंग पैनल बनाना
  • यंत्रों के आसपास कंटेनमेंट ज़ोन यानी झाड़ी-उन्मूलन क्षेत्र घोषित करना
  • जिला-तहसील स्तर पर रखरखाव बजट एवं उपकरण रखवाली की व्यवस्था करना

उदाहरण के तौर पर, एक ब्लॉक अधिकारी ने कहा कि हमने अगले तीन दिन में सभी यंत्रों की सफाई पूरी करने का लक्ष्य रखा है। चिन्हित उपकरणों को प्राथमिकता दी गयी है।

समय-रेखा और आगे का रास्ता

  • अक्टूबर-नवम्बर 2025 -यंत्रों का ऑडिट व अभ्यास
  • दिसंबर 2025 - सुधार रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजी जाएगी
  • 2026-27 मानसून-- पूरी तरह कार्यक्षम यंत्रों के माध्यम से वास्तविक माप लिया जाएगा

मौसम विभाग का कहना है कि यदि ये सुधार समय से नहीं हुए तो राज्य स्तर पर मौसम-डेटा का भरोसा खो सकता है और आपदा-प्रबंधन योजनाओं में बाधा उत्पन्न हो सकती है।