UP MLC Election (फोटो सोर्स : Congress WhatsApp Group )
UP MLC Election News: उत्तर प्रदेश की सियासत में फिर हलचल है। जहां लोकसभा चुनाव 2024 में एक-दूसरे का हाथ थामकर मैदान में उतरे समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस ने "इंडिया गठबंधन" की मजबूती का दावा किया था, वहीं अब विधान परिषद (एमएलसी) चुनाव में दोनों के रास्ते जुदा हो गए हैं। प्रदेश की 11 सीटों पर होने वाले इस चुनाव में दोनों दलों ने अपने-अपने प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हैं, जिससे राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। सवाल उठने लाजमी हैं ,क्या यह गठबंधन में दरार की शुरुआत है, या फिर रणनीतिक स्वतंत्रता का प्रदर्शन?
कांग्रेस का यह कदम संदेश देता है कि पार्टी अब "सहयोगी राजनीति" से आगे बढ़कर स्वतंत्र पहचान बनाने के मूड में है। प्रदेश में लंबे समय से हाशिये पर चली आ रही कांग्रेस अब यह साबित करना चाहती है कि उसकी राजनीतिक नब्ज अभी भी जीवित है।
प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने सपा से दूरी के सवाल पर दो टूक कहा कि विधान परिषद का चुनाव पार्टी सिंबल का नहीं, बल्कि मेहनत, संवाद और जनसंपर्क का चुनाव है। यह नेताओं की नहीं, बल्कि शिक्षकों, डॉक्टरों और वकीलों की आवाज को विधान परिषद तक पहुंचाने की लड़ाई है। अजय राय ने साफ किया कि कांग्रेस इस बार ‘जनप्रतिनिधित्व’ की असली भावना को पुनर्जीवित करना चाहती है। उनके अनुसार, यह चुनाव किसी गठबंधन का विस्तार नहीं बल्कि कांग्रेस की वापसी का संकेत है।
अजय राय ने अपने बयान में बीजेपी सरकार पर सीधा प्रहार किया। भाजपा ने विधान परिषद की समितियों पर कब्जा कर लोकतांत्रिक संस्थाओं की आवाज कुचल दी है। जो मंच शिक्षकों, डॉक्टरों और कर्मचारियों की आवाज उठाने के लिए बने थे, वे आज सत्ता के कब्जे में हैं। जो बोलेगा, उसे सजा दी जाएगी - ऐसा माहौल बीजेपी ने बनाया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अब इस चुप्पी को तोड़ेगी। अजय राय ने वाराणसी में एक वकील की हत्या का जिक्र करते हुए कहा कि एक वकील की हत्या उसकी पत्नी के सामने कर दी गई, लेकिन स्थानीय एमएलसी ने एक शब्द तक नहीं बोला। क्या यही लोकतंत्र है?” उनके तेवरों ने साफ कर दिया कि कांग्रेस अब विपक्ष की असली आवाज बनने की कोशिश में है।
कांग्रेस ने इस बार बसपा को भी नहीं छोड़ा। अजय राय ने कहा कि जैसे आरएसएस बीजेपी के लिए काम करता है, वैसे ही आज मायावती बीजेपी के लिए परोक्ष रूप से काम कर रही हैं। उनका मकसद विपक्षी वोटों को बांट कर बीजेपी को फायदा पहुंचाना है।” उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि दलित समाज यह समझे कि मायावती अब ‘दलित राजनीति’ नहीं, बल्कि ‘बीजेपी की राजनीति’ कर रही हैं।
उधर, सपा की ओर से भी संकेत मिले हैं कि पार्टी गठबंधन से नाराज नहीं, बल्कि रणनीतिक रूप से अलग लड़ रही है। सपा सूत्रों के अनुसार, विधान परिषद का चुनाव स्थानीय समीकरणों और व्यक्तिगत संपर्कों पर निर्भर करता है। ऐसे में पार्टी का मानना है कि अलग चुनाव लड़ना संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करेगा। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी हाल के बयानों में कहा है कि “गठबंधन राष्ट्रीय राजनीति के लिए है, स्थानीय चुनावों में हर दल को अपनी मजबूती दिखानी चाहिए।” यानी सपा भी अपनी राजनीतिक स्वायत्तता को बनाए रखने के पक्ष में है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सपा-कांग्रेस का अलग-अलग चुनाव लड़ना 2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारी का संकेत है। राजनीतिक पंडित डॉ. अरविंद मिश्रा का कहना है कि दोनों दलों की रणनीति एक-दूसरे से टकराने की नहीं, बल्कि अपनी पहचान बचाने की है। सपा अपनी पारंपरिक जातीय राजनीति पर केंद्रित है, जबकि कांग्रेस शिक्षित वर्ग और शहरी मतदाताओं को साधना चाहती है। दरअसल, दोनों दल जानते हैं कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी को चुनौती देने के लिए गठबंधन जरूरी है, लेकिन उसी के भीतर ‘अपनी पकड़ मजबूत करना’ और ‘नेतृत्व की होड़’ भी उतनी ही अहम है।
कांग्रेस अब उत्तर प्रदेश में “बचाव की राजनीति” से आगे बढ़कर “संघर्ष की राजनीति” करने की तैयारी में है। अजय राय की शैली में “आक्रामक विपक्ष” झलकता है। उनकी रणनीति है कि कांग्रेस को अब एक “ज़मीन से जुड़ी पार्टी” के रूप में पेश किया जाए, न कि केवल विचारों की प्रतीक पार्टी के रूप में। विधान परिषद का यह चुनाव कांग्रेस के लिए राजनीतिक ‘टेस्ट केस’ माना जा रहा है। अगर पार्टी यहां अच्छा प्रदर्शन करती है, तो यह उसके संगठन को नई ऊर्जा देगा और कार्यकर्ताओं के मनोबल को मजबूत करेगा।
आम मतदाता इस पूरे घटनाक्रम को दिलचस्पी से देख रहा है। एक तरफ बीजेपी अपनी सत्ता को बरकरार रखने की कोशिश में है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष अपनी एकजुटता को बनाए रखने के संघर्ष में जुटा है। लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति विभाग के छात्र सुरेश ने कहा कि जनता गठबंधन से उम्मीद करती है कि वो बीजेपी को चुनौती दे, लेकिन जब साथी दल आपस में अलग हो जाएं, तो जनता का भरोसा कमजोर होता है।
Updated on:
11 Oct 2025 03:39 pm
Published on:
11 Oct 2025 03:38 pm
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