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Lucknow–Varanasi 6-Lane Highway: लखनऊ-वाराणसी हाईवे बनेगा 6 लेन, ढाई घंटे में पहुंचेंगे काशी

Lucknow–Varanasi Highway: लखनऊ से वाराणसी के बीच सफर अब पहले से तेज और सुगम होने जा रहा है। केंद्र और प्रदेश सरकार मिलकर 9500 करोड़ रुपये की लागत से इस हाईवे को छह लेन में विकसित करेंगी। परियोजना के पूरा होने के बाद राजधानी से काशी की दूरी ढाई से तीन घंटे में तय की जा सकेगी।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Oct 24, 2025

9500 करोड़ से बनेगा 6-लेन कॉरिडोर (फोटो सोर्स : Whatsapp Group)

9500 करोड़ से बनेगा 6-लेन कॉरिडोर (फोटो सोर्स : Whatsapp Group)

Lucknow–Varanasi 6-Lane Highway : पूर्वांचल के यात्रियों, तीर्थ-यात्रियों व व्यापारियों के लिए एक बड़ी सौगात मिली है: प्रदेश सरकार तथा केंद्र सरकार मिलकर राजधानी लखनऊ से गंगा नगरी वाराणसी तक की मुख्य सड़क को छह लेन में अपग्रेड करने जा रही है। इस परियोजना की अनुमानित लागत लगभग ₹9,500 करोड़ निर्धारित की गई है। इसके पूरा होने के बाद लखनऊ–वाराणसी की दूरी तय करने में लगने वाला समय वर्तमान के लगभग 5-6 घंटे से घटकर ढाई-3 घंटे तक आ सकता है, जिससे क्षेत्रीय कनेक्टिविटी में क्रांतिकारी बदलाव होगा।

परियोजना की रूपरेखा, मार्ग व महत्व

यह हाईवे शुरुआत करेगा लखनऊ से, और इसके बाद मार्ग सुल्तानपुर, अमेठी व जौनपुर जिलों से होता हुआ विहार की ओर आगे बढ़ेगा और अंततः वाराणसी पहुंचेगा। इस तरह यह पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिलों को सीधा हाईवे संपर्क उपलब्ध कराएगा।

परियोजना के तहत मुख्य रूप से शामिल होंगे:

  • छह लेन का आधुनिक एक्सप्रेस-कॉरिडोर
  • इंटरचेंज, सर्विस लेन, फ्लाईओवर तथा पुल-पुलियों का निर्माण
  • एक्सेस नियंत्रित (access-controlled) व्यवस्था ताकि यातायात सुचारू और सुरक्षित हो सके
  • आर्थिक गतिविधियों, उद्योगों, पर्यटन व तीर्थ-यात्रा क्षेत्र में नए अवसरों का सृजन

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि इस हाईवे से “प्रदेश की सड़कों को विकास की रीढ़” बनाने का संकल्प मजबूत होगा। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे पूवांचल के लिए ऐतिहासिक अवसर बताते हुए कहा है कि “काशी-लखनऊ का नया संपर्क विकास को गंगा की तरह बहाएगा”।

लागत की पड़ताल व समय-सीमा

प्रारंभिक विवरणों के अनुसार, कुल लागत ₹9,500 करोड़ अनुमानित है। इसमें से लगभग ₹3,500 करोड़ भूमि अधिग्रहण के लिए समर्पित होंगे, जबकि शेष ₹6,000 करोड़ सड़क निर्माण, पुल-पुलियों, इंटरचेंज आदि पर खर्च होंगे। वर्तमान में डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार हो चुकी है और भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया शीघ्र आरंभ की जाएगी। निर्माण कार्य अगले वर्ष से शुरू होने की संभावना है और लक्ष्य है कि यह हाईवे साल 2028 तक पूरी तरह चालू हो जाए। निर्माण को तीन चरणों में पूरा किया जाएगा। यह समयरेखा, जबकि महत्वाकांक्षी है, लेकिन अनुभव बताते हैं कि बड़े प्रदायोजन एवं भू-अधिग्रहण वाले प्रोजेक्टों में तय समय से विचलन संभव है, और इसलिए आगे की निगरानी-प्रबंधन महत्वपूर्ण होगी।

लाभ: यात्रियों से उद्योग-तक

इस हाईवे के खुलने से अनेक लाभ सामने आएँगे:

  • यात्रा समय में भारी कटौती: लखनऊ से वाराणसी तक केवल ढाई-3 घंटे में पहुँच संभव होगा। यह तीर्थयात्रियों, छात्रों, व्यापारियों सबके लिए राहत है।
  • आर्थिक गतिविधियों में उछाल: पूर्वांचल के जिलों को बेहतर कनेक्टिविटी मिलने से निवेश, उद्योग, लॉजिस्टिक्स कार्यों को गति मिलेगी।
  • पर्यटन एवं तीर्थ-यात्रा का विकास: वाराणसी जैसे धार्मिक केंद्र के लिए बेहतर सड़क bağlantıा यात्रियों की संख्या और सुविधाएं बढ़ा सकती है।
  • ग्रामीण-शहरी संतुलन: मार्ग पर आने वाले सुल्तानपुर, अमेठी, जौनपुर जैसे जिलों में विकास-केन्द्र बनने की संभावना है, जिससे रोजगार के अवसर बेहतर हो सकते हैं।
  • सड़क सुरक्षा एवं सुविधा: एक्सप्रेस-कॉरिडोर शैली का निर्माण होने से पुराने मार्गों की अपेक्षा सुरक्षित, सीधी एवं कम कार वाहन-भीड़ वाले होते हैं।

चुनौतियाँ

  • हालाँकि अवसर बड़े हैं, पर सफल कार्यान्वयन के लिए कुछ चुनौतियाँ भी सामने हैं:
  • भूमि अधिग्रहण व निकासी: ग्रामीण इलाकों में भू निवासियों व किसानों से संवाद व मुआवजा-प्रक्रिया में समय लग सकता है।
  • पर्यावरण एवं सामाजिक प्रवर्तन: मार्ग विस्तार के दौरान पर्यावरण, वन-भूमि, सामाजिक प्रभावित समूह आदि का ध्यान रखना होगा।
  • निर्माण गुणवत्ता व समय-पालन: बड़े प्रोजेक्ट्स में ठेकेदार-प्रबंधन, बजट-ओवररन, निर्माण मानक, सुरक्षा मानदंडों का पालन आदि जोखिम कारक होते हैं।
  • वित्तीय संचालन: अनुमानित लागत के बाहर कुछ अप्रत्याशित खर्च आ सकते हैं-इसे ध्यान में रखकर बजट-रिसर्व होना आवश्यक है।
  • स्थानीय प्रभाव: मार्ग सुधार के कारण मार्गों के किनारे बसे व्यापार, आवासीय इलाके, किसानों की भूमि प्रभावित हो सकती है—इनका समुचित पुनर्वास व समायोजन होना जरूरी है।

इस परियोजना से जुड़ी बड़ी बातें

  • यह रोड परियोजना सिर्फ एक सड़क विस्तार नहीं है, बल्कि पूर्वांचल की अर्थव्यवस्था, शिक्षा-संस्थान व स्वास्थ्य-सुविधाओं में सुधार की नींव मानी जा रही है।
  • सुल्तानपुर-अमेठी-जौनपुर जैसी जिलों के लिए यह हाईवे केवल गंतव्य-स्थल से कनेक्टिविटी का माध्यम नहीं बल्कि विकास-मंच बन सकता है।
  • लखनऊ-वाराणसी दूरी में समय-संचय के साथ ही ईंधन-बचत, वाहन परिचालन लागत में कमी व प्रदूषण में संभावित घटाव होगा।
  • सरकार द्वारा इसे पूर्वांचल विकास की दिशा में एक प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर स्लाइस माना गया है, जो “विकास की गंगा” metaphor से समझाया जा रहा है।