मंदिर-मस्जिद की सरहदें टूटी, प्रेमानंद महाराज के लिए मुस्लिम समाज ने मांगी दुआ (फोटो सोर्स : Ritesh Singh )
Lucknow Unites in Prayer: राजधानी लखनऊ के मॉल एवेन्यू स्थित ऐतिहासिक दरगाह दादा मियां में मंगलवार को एक अनोखा दृश्य देखने को मिला, जहां धर्म की सीमाएं मिटती हुई नजर आईं। हिंदू संत वृंदावन के प्रेमानंद महाराज के स्वास्थ्य लाभ की कामना के लिए यहां मुस्लिम समुदाय के लोग बड़ी संख्या में जुटे। दरगाह पर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद अखलाक ने चादर चढ़ाकर प्रेमानंद महाराज की लंबी आयु और शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की दुआ मांगी। इस मौके पर दरगाह के सेवक और समुदाय के कई गणमान्य लोग भी मौजूद रहे।
चादर चढ़ाने के बाद सपा नेता मोहम्मद अखलाक ने कहा कि प्रेमानंद महाराज जैसे लोग समाज के लिए प्रेरणा हैं। वे हमेशा समाज को जोड़ने, प्रेम और एकता का संदेश देने की बात करते हैं। ऐसे व्यक्तित्व दुर्लभ होते हैं, जो इंसान को इंसान के रूप में देखते हैं, न कि किसी धर्म या मजहब के चश्मे से।
उन्होंने कहा कि जैसे ही उन्हें महाराज के अस्वस्थ होने की खबर मिली, मन बहुत दुखी हो गया। तब से वह लगातार दुआ कर रहे हैं और लोगों से भी अपील कर रहे हैं कि महाराज के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करें। ऐसे संत वास्तव में ईश्वर का वरदान होते हैं। वे प्रेम, करुणा और इंसानियत का सन्देश देते हैं। समाज को आज ऐसे लोगों की सख्त ज़रूरत है जो नफरत नहीं, मोहब्बत का संदेश फैलाएं।
दरगाह परिसर में मौजूद लोगों से बातचीत के दौरान मोहम्मद अखलाक ने एक शेर सुनाया, जो वहां मौजूद हर दिल को छू गया - “कौन हिंदू, कौन मुसलमान... तू पढ़ ले मेरी गीता, मैं पढ़ लूं तेरा कुरआन।”
उन्होंने कहा कि प्रेमानंद महाराज जैसे संत इस पंक्ति की सजीव मिसाल हैं। उन्होंने अपने आचरण से यह साबित किया है कि इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है। महाराज लोगों के दिलों को जोड़ने का काम करते हैं। वह नफरत की दीवारों को तोड़कर मोहब्बत की राह दिखाते हैं। ऐसे लोग किसी एक मजहब के नहीं, बल्कि पूरे मानव समाज के होते हैं।
मोहम्मद अखलाक ने बताया कि न सिर्फ उत्तर प्रदेश, बल्कि देश के कई हिस्सों में प्रेमानंद महाराज के लिए दुआएं और प्रार्थनाएं की जा रही हैं। हिंदू हों या मुसलमान, सबकी आंखों में एक ही दुआ है- महाराज जल्द स्वस्थ होकर अपनी यात्रा फिर से शुरू करें और अपने भक्तों को आशीर्वाद दें। अखलाक ने कहा कि जब समाज के बीच धर्म के नाम पर खाई खोदी जा रही हो, ऐसे समय में प्रेमानंद महाराज जैसे लोग एक ‘पुल’ की तरह हैं, जो इंसान को इंसान से जोड़ते हैं।
अखलाक ने कुछ असहिष्णु लोगों की मानसिकता पर भी निशाना साधा, जो समाज में नफरत फैलाने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग किसी की दुआ पर भी आपत्ति जताते हैं, वे मानसिक रूप से बीमार हैं। दुआ और प्रेम किसी धर्म की बपौती नहीं होती। इंसानियत की कोई सरहद नहीं होती।
उन्होंने आगे कहा कि समाजवादी पार्टी और उसके कार्यकर्ता हमेशा से सामाजिक सौहार्द की परंपरा को आगे बढ़ाते रहे हैं। हम समाज में नफरत की दीवार नहीं, बल्कि मोहब्बत का पुल बना रहे हैं। प्रेमानंद महाराज के लिए आज हमने चादर चढ़ाई है और आगे भी उनकी सलामती के लिए दुआ करते रहेंगे।
दरगाह दादा मियां पर मंगलवार को सुबह से ही बड़ी संख्या में लोग जुटने लगे थे। किसी ने फूल चढ़ाए तो किसी ने इबादत में सिर झुकाया। माहौल पूरी तरह आध्यात्मिक और भावनात्मक था। दरगाह के सेवक हाफिज सलीम ने बताया कि यह पहली बार नहीं है जब किसी संत या महात्मा के लिए यहां दुआ मांगी गई हो। यह दरगाह हमेशा से मानवता की प्रतीक रही है। यहां हर धर्म, हर जाति, हर वर्ग के लोग आते हैं। प्रेमानंद महाराज के लिए आज जिस तरह की भीड़ उमड़ी है, वह दिखाती है कि इंसानियत अभी ज़िंदा है।
स्थानीय नागरिकों और श्रद्धालुओं ने भी कहा कि प्रेमानंद महाराज ने हमेशा ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ का संदेश दिया है। मोहम्मद अब्दुल रहीम, जो दरगाह पर मौजूद थे, ने कहा कि महाराज ऐसे इंसान हैं जो धर्म से ऊपर उठकर हर किसी से प्रेम करते हैं। उन्होंने गरीबों, जरूरतमंदों की सेवा की है। उनके लिए दुआ करना हर इंसान का फर्ज है। वहीं नसीम खान ने कहा कि आज जब लोग एक-दूसरे से नफरत कर रहे हैं, तब महाराज जैसे लोग इंसानियत की मिसाल बने हुए हैं। उनके लिए पूरी कौम की दुआएं हैं।”
वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज अपने मधुर प्रवचनों और आध्यात्मिक शिक्षाओं के लिए प्रसिद्ध हैं। वे अक्सर अपने संदेशों में कहते हैं कि “ईश्वर हर जगह है, हर रूप में है, और हर इंसान में है। उनका यही संदेश सभी धर्मों के अनुयायियों को जोड़ता है। चाहे वेदों की वाणी हो या कुरान की सच्चाई - महाराज ने हमेशा प्रेम, सेवा और करुणा का संदेश दिया।
दरगाह दादा मियां पर मंगलवार को जो दृश्य सामने आया, वह एक “गंगा-जमुनी तहजीब” की जीवंत मिसाल था। जहां एक तरफ नमाज़ पढ़ी जा रही थी, वहीं दूसरी तरफ लोगों की आंखों में संत प्रेमानंद महाराज की सलामती की दुआ थी। यह नजारा साबित करता है कि लखनऊ सिर्फ नवाबों का शहर नहीं, बल्कि मोहब्बत और भाईचारे की धरती है, जहां धर्म नहीं, दिलों की बात होती है।
Published on:
14 Oct 2025 10:00 pm
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